मुंबई (महाराष्ट्र), 13 जून (ANI): शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। दिन की शुरुआत में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही 1.5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ खुले, लेकिन दिन के कारोबार में धीरे-धीरे रिकवरी करते हुए अंत में केवल 0.6 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए। भले ही बाजार ने हफ्ते भर की कमाई गंवा दी हो, लेकिन शुरुआती तेज गिरावट से उबरकर बाजार ने निवेशकों को थोड़ी राहत जरूर दी।
शुक्रवार को बीएसई सेंसेक्स 524.62 अंकों की गिरावट के साथ 81,167.35 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 152.20 अंक या 0.61 प्रतिशत गिरकर 24,739.60 पर बंद हुआ। हालांकि यह गिरावट दिन की शुरुआत की तुलना में काफी कम रही, जब दोनों सूचकांक 1.5 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट के साथ खुले थे।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर केवल मीडिया और रियल्टी सेक्टर को छोड़कर बाकी सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान पर बंद हुए। FMCG, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSU Banks), तेल और गैस, पावर और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में 0.5% से लेकर 1% तक की गिरावट देखने को मिली। इसके अलावा, BSE के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी कमजोरी के साथ बंद हुए।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने वैश्विक निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। चूंकि मध्य पूर्व क्षेत्र विश्व के तेल आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, इसलिए वहां अस्थिरता से कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिल सकता है, जिसका सीधा असर भारत जैसे तेल आयातक देशों पर पड़ता है।
आनंद राठी ग्लोबल फाइनेंस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नवीन व्यास के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार की गिरावट का मुख्य कारण मध्य पूर्व में बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव है। “भारत अपनी 80 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल की आवश्यकता के लिए आयात पर निर्भर है। अगर ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष और बढ़ता है, तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें 82 से 85 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जा सकती हैं, जो भारतीय उद्योगों पर दबाव बनाएगा,” उन्होंने कहा।
व्यास के अनुसार, तेल विपणन कंपनियां (जैसे बीपीसीएल, एचपीसीएल और आईओसी), पेंट कंपनियां (जैसे एशियन पेंट्स और बर्जर पेंट्स), ऑटोमोबाइल और सीमेंट उद्योग इस तनाव से सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। यदि यह संकट 3-6 महीने तक बना रहता है, तो इन क्षेत्रों में मांग में गिरावट और मुनाफे पर दबाव पड़ सकता है।

वेंचुरा रिसर्च के हेड विनीत बोलिंजकर ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण ऊर्जा-गहन उद्योगों की इनपुट लागत में वृद्धि की आशंका है। इसके परिणामस्वरूप निवेशकों ने इक्विटी से धन निकालकर उसे सुरक्षित निवेश जैसे कि सोना और सरकारी बांड में स्थानांतरित कर दिया है।
हेज्ड इन के उपाध्यक्ष डॉ. प्रवीण द्वारकानाथ के अनुसार, “बाजार फिलहाल 24,500 से 25,200 के दायरे में सीमित रहेगा जब तक कि किसी स्तर पर निर्णायक ब्रेक न हो।” वहीं, जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक स्तर पर नकारात्मक संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार दबाव में रहा।
हालांकि मई महीने की खुदरा महंगाई दर (CPI) भारतीय रिजर्व बैंक की आरामदायक सीमा से नीचे रही, जो एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन विदेशी भू-राजनीतिक तनाव ने इस सकारात्मकता को दबा दिया।
इस प्रकार, इजराइल-ईरान के बीच तनाव और उसके असर से जुड़ी चिंताओं के कारण शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बनी रही, हालांकि दिन के अंत तक बाजार ने कुछ हद तक रिकवरी दिखाई।
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