यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने की कोशिशें दिल्ली में लंबे समय से चल रही हैं। सरकारें बदलती रहीं, योजनाएं बनती रहीं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। इन प्रयासों में सबसे महत्वपूर्ण कदम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का अपग्रेडेशन माना गया है। उद्देश्य साफ है — गंदे पानी को ट्रीट करके ही यमुना में छोड़ा जाए।
STP अपग्रेडेशन का शुरुआती प्लान
करीब 9–10 साल पहले दिल्ली जल बोर्ड ने 18 STP को अपग्रेड करने का विस्तृत प्लान बनाया। मकसद था कि रोजाना निकलने वाले 792 MGD (मिलियन गैलन प्रति दिन) सीवेज में से अधिकतम हिस्से को ट्रीट किया जा सके।
लेकिन इतने सालों के बाद भी सिर्फ 38–39 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो पाया है। यानी आधे से भी कम लक्ष्य पर काम हो सका है।
अब तक पूरा हुआ काम
दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, अब तक केवल चार STP का अपग्रेडेशन कार्य पूरा हुआ है। ये अब ट्रायल फेज में चल रहे हैं। इसके अलावा सात अन्य STP का कार्य काफी पीछे है।
नई डेडलाइन अब दिसंबर 2026 रखी गई है, लेकिन ये भी पहली बार नहीं है जब समयसीमा बदली गई हो।
पूर्ण हुए STP और उनकी क्षमता
- रिठाला फेज-2: 40 MGD (कोई बढ़ोतरी नहीं)
- कोंडली फेज-4: 45 MGD (कोई बढ़ोतरी नहीं)
- रोहिणी सेक्टर-25: 15 से बढ़ाकर 25 MGD
- नरेला: 10 से बढ़ाकर 15 MGD
- नजफगढ़, कोरोनेशन फेज-1, फेज-2 और फेज-3
इसके अतिरिक्त, पप्पन कलां, निलोठी और केशोपुर (फेज-2 व फेज-3) जैसे STP की क्षमता 120 MGD से बढ़ाकर 170 MGD कर दी गई है और कार्य पूरा हो चुका है।

अभी निर्माणाधीन STP
कुछ महत्वपूर्ण STP अब भी निर्माणाधीन हैं, जिनमें शामिल हैं:
- ओखला फेज-5
- महरौली
- घीटोरनी
- वसंत कुंज
- यमुना विहार फेज-1
इन सभी का कार्य दिसंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
अधूरी योजना, बढ़ती चुनौतियां
दिल्ली में कुल 37 STP मौजूद हैं, लेकिन सिर्फ 18 को अपग्रेड करने की योजना बनी थी। धीमी प्रगति को देखते हुए अब नए STP बनाने की भी योजनाएं सामने आ रही हैं।
वर्तमान में दिल्ली में 792 MGD सीवेज उत्पन्न होता है, लेकिन इसमें से केवल 640 MGD ही ट्रीट हो पाता है। बाकी अशोधित पानी यमुना में बहा दिया जाता है, जिससे नदी का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।
क्या है समाधान?
जब तक STP पूरी क्षमता से और समय पर अपग्रेड नहीं होते, तब तक यमुना की सफाई अधूरी ही रहेगी। इसके लिए जरूरी है:
- मजबूत निगरानी
- पारदर्शिता
- तय समयसीमा में कार्य पूर्ण होना
केवल घोषणाएं और डेडलाइन बढ़ाने से यमुना साफ नहीं होगी। इसके लिए जमीन पर ठोस काम करना होगा।
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