बलूच नेशनल मूवमेंट (BNM) की मानवाधिकार संस्था ‘पान्क’ की मई 2025 की रिपोर्ट में बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों की गंभीर तस्वीर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार 128 लोगों को जबरन गायब किया गया और 27 लोगों की पाकिस्तानी सुरक्षाबलों द्वारा गैर-न्यायिक हत्या की गई। संस्था ने यूरोपीय संघ से पाकिस्तान के GSP+ व्यापार दर्जे की पुनर्समीक्षा की अपील की है।
इस्लामाबाद/बलूचिस्तान, 17 जून (ani): बलूच नेशनल मूवमेंट (BNM) की मानवाधिकार इकाई ‘पान्क’ (Paank) ने मई 2025 के लिए अपनी मासिक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, मई महीने में 128 जबरन गायब किए जाने के मामले और 27 गैर-न्यायिक हत्याएं दर्ज की गई हैं। पान्क ने यूरोपीय संघ से पाकिस्तान के जीएसपी+ (GSP+) व्यापार दर्जे की पुनः समीक्षा करने की अपील की है।
जबरन गायब और गैर-न्यायिक हत्याओं में वृद्धि
रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा बलूच नागरिकों, छात्रों, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाकर हिरासत में लिया जा रहा है और उन्हें गुप्त स्थानों पर बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के रखा जा रहा है। कई मामलों में इन व्यक्तियों को यातना दी जाती है और कुछ को मारा भी जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में अकेले 15 जिलों में 128 जबरन गायब किए जाने के मामले सामने आए, जिनमें कराची, सिंध से भी 10 मामले शामिल हैं। सबसे अधिक घटनाएं ग्वादर और कीच जिलों में दर्ज की गई हैं।
पान्क ने यह भी बताया कि 27 मई को नुश्की जिले में दो अज्ञात व्यक्तियों की यातना देकर हत्या कर दी गई और उनके शव को फेंक दिया गया। इस प्रकार की घटनाएं बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के होती हैं और न्यायिक तंत्र को पूरी तरह दरकिनार कर दिया जाता है।
मानवाधिकार संगठनों की अपीलों की अनदेखी
रिपोर्ट में कहा गया है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों की कई चेतावनियों के बावजूद पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकने में असफल रही है। बलूच नेता जैसे माहरंग बलूच, सिबघत उल्लाह बलूच, गुलजादी बलूच, बीबर्ग बलूच और बीबो बलूच को बिना किसी औपचारिक आरोप के हिरासत में रखा गया है।

इन नेताओं का एकमात्र ‘अपराध’ यह है कि उन्होंने बलूच समुदाय के अधिकारों और न्याय की मांग की है। यह दमन की एक व्यापक नीति का हिस्सा है, जिससे बलूच लोगों की लोकतांत्रिक आवाज़ को दबाया जा सके।
यूरोपीय संघ से जीएसपी+ दर्जे पर पुनर्विचार की मांग
पान्क ने यूरोपीय संघ से पाकिस्तान को दिए गए जीएसपी+ दर्जे की तत्काल समीक्षा की मांग की है। यह दर्जा उन देशों को व्यापारिक छूट प्रदान करता है जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का पालन करते हैं। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान इन मानकों का उल्लंघन कर रहा है और बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचार इस बात का सबूत हैं।
पाकिस्तान में बलूचिस्तान की स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। मई 2025 में दर्ज 128 जबरन गायबियों और 27 गैर-न्यायिक हत्याओं ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तानी सुरक्षा बल राज्य-प्रायोजित दमन के तहत नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। पान्क की रिपोर्ट एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करती है कि वह इस मामले में चुप न रहे और पाकिस्तान को मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए उत्तरदायी ठहराया जाए।
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