नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में वापसी कर रही है। हालांकि इस बार पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, लेकिन भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और गठबंधन के सहारे एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है। इस जीत के पीछे तीन बड़े फैक्टर अहम माने जा रहे हैं—हिंदुत्व का दांव, नव राष्ट्रवाद का उदय और लाभार्थी वर्ग के रूप में नया वोट बैंक। आइए इन तीन फैक्टरों की विस्तार से पड़ताल करते हैं।
1. हिंदुत्व का दांव
मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल की तैयारी में जिस प्रमुख रणनीति को अपनाया, वह हिंदुत्व की राजनीति थी। राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक पर कानून, धारा 370 हटाना, समान नागरिक संहिता पर बहस और लव जिहाद विरोधी कानून जैसे मुद्दों को बीजेपी ने अपने चुनावी कैंपेन में आगे रखा।
राम मंदिर का उद्घाटन वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की और इसे देश की सांस्कृतिक अस्मिता और हिंदू गौरव का प्रतीक बताया। इसका असर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान जैसे राज्यों में स्पष्ट देखा गया।
हिंदुत्व एजेंडे ने खासकर शहरी मध्यम वर्ग और बुजुर्ग मतदाताओं को बीजेपी के साथ जोड़े रखा। वहीं भाजपा ने अपने अभियान में यह संदेश भी दिया कि कांग्रेस और विपक्षी दल हिंदू संस्कृति के विरोधी हैं।

2. नव राष्ट्रवाद का उदय
दूसरा प्रमुख फैक्टर रहा राष्ट्रवाद का उभार। यह केवल परंपरागत देशभक्ति की भावना नहीं थी, बल्कि एक नव राष्ट्रवाद था जिसमें सेना, सुरक्षा, सीमा नीति और बाहरी खतरों के खिलाफ कड़े रुख को प्रमुखता दी गई।
सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और राष्ट्रीय सुरक्षा पर मोदी सरकार के ‘जीरो टॉलरेंस’ रुख ने यह संदेश दिया कि देश सुरक्षित हाथों में है। इस राष्ट्रवाद की छवि में मोदी स्वयं ‘मजबूत नेता’ के रूप में उभरे।
चुनावी रैलियों में पाकिस्तान, आतंकवाद, सेना, और बांग्लादेशी घुसपैठ जैसे मुद्दों का बार-बार ज़िक्र हुआ। बीजेपी का प्रचार यह रहा कि विपक्ष इन मुद्दों पर नरम है और भारत की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।
नव राष्ट्रवाद ने युवा मतदाताओं और पहली बार वोट देने वाले नागरिकों में अच्छा असर दिखाया, जो राष्ट्रीय गौरव और पहचान से जुड़ाव महसूस करने लगे हैं।

3. लाभार्थी वर्ग के रूप में नया वोट बैंक
तीसरा और सबसे ठोस फैक्टर रहा लाभार्थी वर्ग का उदय। मोदी सरकार ने पिछले दस वर्षों में गरीबों और निम्न मध्यम वर्ग को सीधे लाभ पहुंचाने वाले कई योजनाएं शुरू कीं—जैसे उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, पीएम आवास योजना, मुफ्त राशन, जनधन योजना, और पीएम किसान योजना।
इन योजनाओं के कारण एक नया वोट बैंक तैयार हुआ है, जिसे आमतौर पर ‘लाभार्थी वर्ग’ कहा जा रहा है। ये वो मतदाता हैं जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से सरकार से लाभ मिला है, और वे उस लाभ को दोबारा पाने की आशा में वोट डालते हैं।
मोदी की लोकप्रियता इस वर्ग में काफी मजबूत रही है। यही कारण रहा कि तमाम विपक्षी एकजुटता और महंगाई जैसे मुद्दों के बावजूद यह वर्ग बीजेपी के साथ बना रहा।
बीजेपी की रणनीति और चुनावी आंकड़े
BJP ने अपने अभियान को बहुत संगठित और तकनीकी तरीके से चलाया। सोशल मीडिया, डेटा एनालिटिक्स और बूथ मैनेजमेंट के ज़रिये पार्टी ने हर सीट पर अलग रणनीति बनाई। प्रधानमंत्री मोदी ने 200 से अधिक रैलियां और रोड शो किए।

2014 में BJP ने 282 सीटें, 2019 में 303 सीटें जीती थीं। 2024 में यह संख्या घटकर 240 रह गई, लेकिन एनडीए गठबंधन को बहुमत मिला, जिससे सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया।
BJP की यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि पार्टी ने केवल अपनी सीटों में नहीं, बल्कि गठबंधन की राजनीति में भी बाज़ी मारी है। जेडीयू, टीडीपी, एलजेपी जैसे सहयोगी दलों के साथ गठजोड़ कर पार्टी ने विपक्षी एकता की रणनीति को प्रभावी ढंग से काटा।
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