
पेट्रा, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और चट्टानों को काटकर बनाए गए भवनों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी इसी खूबसूरती के कारण इसे दुनिया के 7 नए अजूबों में शामिल किया गया है। इसका निर्माण लगभग 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में किया गया था। आज पेट्रा एक पर्यटक स्थल बन चूका है। जहां दुनिया भर से लोग इसकी खूबसूरती देखने है, आइये जानते है पेट्रा से जुडी कुछ ख़ास बाते-
पेट्रा: एक प्राचीन चमत्कार का परिचय
“Petra” शब्द ग्रीक भाषा का है, जिसका मतलब होता है – “चट्टान”। जो दक्षिणी जॉर्डन के रेगिस्तानी इलाके में, वादी मूसा (Wadi Musa) नामक स्थान के पास स्थित है। इसका निर्माण लगभग 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व (5th century BCE) में नबातियन सभ्यता (Nabataean Civilization) द्वारा किया गया था। जो एक प्राचीन अरबी जनजाति थी। यानी, अगर हम इसे शताब्दी में गिनें तो यह ईसा पूर्व की 6वीं से 5वीं सदी (लगभग 2500 साल पहले) के बीच का समय माना जाता है।

पेट्रा अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ इमारतों को सीधे चट्टानों को काटकर बनाया गया है। Petra का सबसे प्रसिद्ध स्मारक Al-Khazneh (The Treasury) है, जो एक विशाल मंदिरनुमा भवन है। यहाँ तक पहुँचने के लिए संकीर्ण घाटी Siq से होकर गुजरना होता है, जो खुद एक अनुभव है। Petra अपने चरम पर 1st century BCE से लेकर 2nd century CE तक रहा, जब यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गया था और इसका उपयोग रेशम मार्ग तथा अन्य व्यापारिक मार्गों के लिए होता था।
वास्तुकला
नबातियन, जो नक्काशी तकनीक में माहिर थे ने पेट्रा को तराशने का काम किया और पेट्रा की सभ्यता की स्थापना की, नबातियन लोगों ने गुलाबी-लाल बलुआ पत्थर की पहाड़ियों को तराशकर मंदिर, मकबरे, सीढ़ियाँ और घर बनाए। Petra की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी इमारतें पत्थर की चट्टानों को सीधे काटकर बनाई गई हैं। पेट्रा में ग्रीक शैली के स्तंभ, रोमन मेहराब और नबातियन सांस्कृतिक शैली का अद्भुत संयोजन देखने को मिलता है। पेट्रा में वर्षा जल को एकत्र करने की एक विकसित जल प्रबंधन प्रणाली थी जिसमें सुरंगें, जल निकासी नालियाँ, बाँध और जलाशय शामिल थे। यह रेगिस्तानी क्षेत्र में रहने के लिए अद्भुत तकनीकी उपलब्धि थी। पेट्रा की वास्तुकला सुंदर के साथ तकनीकी दृष्टि से उन्नत, सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध, और ऐतिहासिक दृष्टि से अमूल्य है। यह दर्शाता है कि प्राचीन सभ्यताएँ सीमित साधनों में भी अद्वितीय निर्माण कर सकती थीं।
प्रमुख स्थल
पेट्रा में कई प्रमुख स्थल हैं जिनकी अपनी एक खासियत है, जो इसकी ऐतिहासिक, धार्मिक और स्थापत्य महत्व को दर्शाती हैं।
1. Al-Khazneh (The Treasury)
अल-खज़नेह (The Treasury), “Treasury” का अर्थ है “खज़ाना”, लोककथाओं में माना जाता है कि इसमें खजाना छिपा था। यह पेट्रा की सबसे प्रसिद्ध और प्रतीकात्मक इमारत हैं। यह एक मंदिरनुमा संरचना है जो गुलाबी बलुआ पत्थर की चट्टान को काटकर बनाई गई है। इसमें ग्रीक-रोमन शैली की नक्काशी और स्तंभ हैं। ऊँचाई करीब 40 मीटर है। यह फिल्मों (जैसे Indiana Jones) में भी दिखाई गई है।

2. Ad-Deir (The Monastery)
एड-डेर (the monastery) यह अरबी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ “मठ” है। यह अल-खज़नेह से भी विशाल हैं जिसका उपयोग संभवतः धार्मिक समारोहों के लिए किया जाता था। यह एक ऊँचे पठार पर स्थित है और 48 मीटर ऊंचा है, जहाँ तक पहुँचने के लिए करीब 800 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। इसके पीछे का हॉल पहली शताब्दी ईस्वी के मध्य में पहाड़ को काटकर बनाया गया था।

3. Siq (The Siq)
“सीक” (The Siq) की खासियत पेट्रा का भव्य और मुख्य प्रवेश द्वार हैं इसकी एक लंबी, संकरी और घुमावदार घाटी जो करीब 1.2 किमी लंबी है , Petra के मुख्य प्रवेश द्वार तक जाती है, एक प्राकृतिक दर्रा है जिसमें दीवारों पर धार्मिक और सांस्कृतिक आकृतियाँ उकेरी गई हैं। Siq से होकर पेट्रा में प्रवेश करना एक रहस्यमय और भव्य अनुभव है। दीवारों पर जल निकासी प्रणाली भी देखी जा सकती है।

4. Royal Tombs
“रॉयल टॉम्ब्स” जिन्हे शाही मकबरे भी कहा जाता है, में गहरी नक्काशी और जटिल डिज़ाइन देखने को मिलते हैं। यह राजसी कब्रों का समूह, जिनमें Urn Tomb, Silk Tomb (जिसकी चट्टानों में रंग-बिरंगे पैटर्न हैं), Corinthian Tomb और Palace Tomb शामिल हैं।

5. High Place of Sacrifice
“बलिदान का उच्च स्थान” (High Place of Sacrifice) को “अल-मदबाह” भी कहा जाता है, यह एक धार्मिक स्थल है, जो ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ प्राचीन समय में बलिदान चढ़ाया जाता था। यहाँ से पेट्रा का शानदार दृश्य दिखाई देता है।

6. Petra Theater
यह एक रोमन-शैली का थिएटर है, जो चट्टान को काटकर पहली शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था, इसमें करीब 4,000 दर्शकों की क्षमता थी। संभवतः इसका उपयोग सार्वजनिक कार्यक्रम, धार्मिक समारोह और सभाएँ आदि के लिए किया जाता था।

पेट्रा का महत्व
यह मंदिरों, मकबरों, थिएटरों और एक जटिल जल प्रणाली के साथ एक व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र था, जो दसियों हज़ारों की आबादी का भरण-पोषण करता था। यह अरब को मिस्र, सीरिया और भूमध्य सागर से जोड़ता था। इसके पगडंडियों और छिपे हुए रास्तों का विशाल नेटवर्क और भी दूर तक फैला हुआ है। 1985 में पेट्रा को UNESCO World Heritage Site (विश्व धरोहर स्थल) घोषित किया गया। आज के समय में यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया हैं।
पेट्रा की खोज और पुनरुत्थान
1812 में स्विस खोजकर्ता जोहान लुडविग बर्कहार्ट ने इस शहर की खोज की हालाँकि अरब के लोग इसके बारे में पहले से ही जानते थे इसके बाद दुनिया भर में इसे प्रसिद्धि मिलने लगी और इसके संरक्षण और रखरखाव की कोशिशें की जाने लगी इसके। बाद 1985 में पेट्रा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था और 2007 में इसे दुनिया के सात नए अजूबों में से एक घोषित किया गया था।
“रोज़ सिटी” कहने का कारण
पेट्रा को “Rose City” (गुलाबी नगरी) कहा जाता है, क्यूकि अधिकांश इमारतें और चट्टानें गुलाबी, लाल, नारंगी और सुनहरी रंगों की बलुआ पत्थर (sandstone) से बनी हैं। जब सूरज की रोशनी इन चट्टानों पर पड़ती है, तो पूरा शहर गुलाबी या गुलाब के रंग जैसा चमकने लगता है। इन चट्टानों में कई प्राकृतिक रंग होते हैं जैसे कि हल्का गुलाबी, गहरा लाल, बैंगनी और नारंगी। ये रंग प्राकृतिक खनिजों के कारण बने हैं। दिन के समय के अनुसार ये चट्टानें रंग बदलती है, सूर्योदय, दोपहर और सूर्यास्त के समय Petra की चट्टानों का रंग बदलता रहता है कभी हल्का गुलाबी, कभी सुनहरा, और कभी गहरा लाल। यह इसे और भी खूबसूरत बनाता है। इसकी यह विशेषता इसे दुनिया के सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक स्थलों में से एक बनाती है।
खोया हुआ शहर कहने का कारण
अक्सर “Lost City” (खोया हुआ शहर) भी कहा जाता है। इसके पीछे एक रोचक ऐतिहासिक कारण है। पेट्रा लगभग 7वीं शताब्दी ईस्वी के बाद प्राकृतिक आपदाओं (जैसे भूकंप) और व्यापार मार्गों के बदल जाने के कारण धीरे-धीरे उजड़ गया। लोग वहाँ से चले गए और यह शहर रेगिस्तान में एकदम वीरान हो गया। इसके बाद ये कई सालो तक बाहरी दुनिया से छिपा रहा और पश्चिमी दुनिया के लोगों के लिए पूरी तरह से अनजान था। केवल आसपास के बद्दू (Bedouin) लोग ही इसके अस्तित्व को जानते थे, लेकिन वे इसे गुप्त रखते थे। 1812 में एक स्विस खोजकर्ता Johann Ludwig Burckhardt ने स्थानीय लोगों से चालाकी से बात करके पेट्रा का रहस्य जान लिया और उसने इसे पश्चिमी दुनिया के सामने फिर से प्रस्तुत किया। तब जाकर यह “खोया हुआ शहर” फिर से “पाया गया”।
पेट्रा के प्रमुख रहस्य
पेट्रा का रहस्य यह है कि यह एक लुप्त, भव्य और उन्नत नगर था, जो चट्टानों में बना हुआ है, पेट्रा की इमारतें जो 100 फीट ऊँची और सुंदर हैं, इन चट्टानों को उस समय लोग इतनी सटीकता और खूबसूरती से कैसे काटते थे? यह आज भी एक रहस्य है।

लोककथाओं के अनुसार, अल-खज़नेह को लोग मानते थे कि इसमें कोई राजसी खज़ाना छिपा था, इसलिए इसे “The Treasury” कहा गया। लेकिन इतिहासकारों को आज तक पूरी तरह यकीन नहीं है कि यह वास्तव में कोई मंदिर था, मकबरा (tomb) था या फिर कोषागार (treasury) था। कुछ संरचनाओं का उद्देश्य क्या था? यह आज भी एक रहस्य है, पेट्रा में कई ऐसी इमारतें हैं जिनका उपयोग आज तक समझ में नहीं आया है जैसे कि कुछ गुफाएँ, दीवारों में खुदी आकृतियाँ, बलिदान स्थल आदि। लेकिन इसके बनने, उजड़ने और उपयोग से जुड़े कई प्रश्न आज भी अनसुलझे हैं।
निष्कर्ष
पेट्रा की वास्तुकला केवल सुंदर ही नहीं, बल्कि तकनीकी दृष्टि से उन्नत, सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध, और ऐतिहासिक दृष्टि से अमूल्य है। यह दर्शाता है कि प्राचीन सभ्यताएँ सीमित साधनों में भी अद्वितीय निर्माण कर सकती थीं। पेट्रा केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि मानव रचनात्मकता, तकनीकी कौशल और सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत प्रतीक है। चट्टानों को काटकर बनाई गई इसकी इमारतें आज भी दुनिया को आश्चर्यचकित करती हैं। यह शहर एक समय व्यापार, कला और आस्था का केंद्र था, लेकिन फिर सदियों तक रेगिस्तान में खोया हुआ रहा।आज पेट्रा को “Rose City” और “Lost City” के नाम से जाना जाता है और यह विश्व के 7 नए अजूबों में शामिल है। यह हमें सिखाता है कि प्राचीन सभ्यताएँ भी अद्भुत निर्माण और जीवन प्रणाली विकसित कर सकती थीं।
पेट्रा न केवल अतीत की एक खिड़की है, बल्कि यह आधुनिक मानव को संरक्षण, विरासत और सीखने की प्रेरणा भी देता है।