अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस जहाँ अतीत बोलता है – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

नई दिल्ली | 17 मई:
अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 18 मई (International Museum Day) को दुनियाभर में मनाया जाएगा। इस वर्ष की थीम है “Museums for a Sustainable Future in Rapidly Changing Communities” (तेजी से बदलते समाज में संग्रहालयों का भविष्य) न केवल संग्रहालयों की पारंपरिक भूमिका को पुनर्परिभाषित करती है, बल्कि उन्हें सामाजिक नवाचार और स्थिरता के केंद्र बिंदु के रूप में स्थापित करने का आह्वान भी करती है। भारत के विभिन्न संग्रहालयों में इस अवसर पर विशेष प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं, और छात्रों के लिए निःशुल्क भ्रमण जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। राजधानी दिल्ली से लेकर मैसूरु और कोलकाता तक कई संग्रहालयों ने तैयारियाँ पूरी कर ली हैं।

यह दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर International Council of Museums (ICOM) द्वारा वर्ष 1977 में शुरू किया गया था और तब से 140 से अधिक देशों में इसे मनाया जाता है। हर साल इसकी एक नई थीम होती है जो समकालीन सामाजिक और सांस्कृतिक चुनौतियों को केंद्र में रखती है। इस वर्ष की थीम, डिजिटल युग, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक परिवर्तन जैसे मुद्दों के बीच संग्रहालयों की भूमिका को रेखांकित करती है।

दुनियाभर में आयोजन की तैयारियाँ 

इस बार अमेरिका के स्मिथसोनियन संग्रहालय, फ्रांस के लौवर, ब्रिटेन के ब्रिटिश म्यूजियम और जापान के क्योटो म्यूजियम ऑफ कल्चर जैसे प्रमुख संस्थानों ने विशेष प्रदर्शनियों और पैनल चर्चाओं का आयोजन किया है।विशेषकर “म्यूज़ियम्स फॉर क्लाइमेट एक्शन” नामक एक वैश्विक अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें संग्रहालय यह दिखा रहे हैं कि वे पर्यावरणीय जागरूकता फैलाने और हरित पहल को प्रोत्साहित करने में कैसे योगदान दे सकते हैं। इसके अलावा, युनेस्को और ICOM (The International Council of Museums) संयुक्त रूप से एक वर्चुअल एक्सपो का आयोजन कर रहे हैं जिसमें दुनिया के सुदूरवर्ती संग्रहालय अपने डिजिटल संग्रह प्रदर्शित करेंगे। इस पहल का उद्देश्य संग्रहालयों की पहुँच को भौगोलिक सीमाओं से परे ले जाना है।

भारत में संग्रहालय दिवस की तैयारी

भारत में भी संग्रहालय दिवस को लेकर तैयारियाँ चरम पर हैं। राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली, में 18 मई को सुबह से शाम तक खुला सत्र, इंटरैक्टिव प्रदर्शनियाँ और छात्रों के लिए निःशुल्क प्रवेश की व्यवस्था की गई है।अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के उपलक्ष्य में कई शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इस वर्ष की थीम “तेजी से बदलते समाज में संग्रहालयों का भविष्य” को ध्यान में रखते हुए संग्रहालय ने खासतौर पर छात्रों, शोधार्थियों और आम जनता के लिए विशेष गाइडेड टूर, इंटरैक्टिव प्रदर्शनियाँ, और आर्ट वर्कशॉप्स की योजना बनाई है।

संग्रहालय परिसर में “विरासत और नवाचार” विषय पर एक ओपन डिस्कशन फोरम आयोजित किया जाएगा, जहाँ इतिहासकार, संग्रहालय पेशेवर और युवा प्रतिभागी संग्रहालयों की सामाजिक भूमिका पर संवाद करेंगे।
इसके अतिरिक्त, बच्चों के लिए हेरिटेज गेम्स, डिजिटल गैलरी विज़िट और क्विज़ प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाएंगी। प्रवेश निःशुल्क रखा गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इतिहास और संस्कृति से जुड़ सकें। यह आयोजन न केवल दिल्ली के नागरिकों को आकर्षित कर रहा है, बल्कि विभिन्न राज्यों से आने वाले पर्यटकों के लिए भी खास अनुभव का अवसर है।

कोलकाता के भारतीय संग्रहालय, एशिया के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक, ने “डिजिटल हेरिटेज वीक” की शुरुआत की है, जिसमें संग्रहालय का आभासी दौरा, क्विज़ और पैनल डिस्कशन जैसे कार्यक्रम हो रहे हैं।

मैसूरु में ‘म्यूज़ियम्स ऑन व्हील्स’ नामक एक विशेष पहल चलाई जा रही है जिसमें एक बस संग्रहालय शहर के विभिन्न हिस्सों में घूमेगी और आम जनता को प्रदर्शनियाँ दिखाएगी। यह पहल लोगों को संग्रहालयों तक लाने के बजाय संग्रहालयों को जनता तक ले जाने की दिशा में एक अभिनव कदम है।

मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय इस अवसर पर विशेष गाइडेड टूर और ‘बैकस्टेज म्यूज़ियम’ अनुभव की पेशकश कर रहा है, जहाँ दर्शक संग्रहालय के भीतर के संरक्षित हिस्सों को देख सकेंगे।

नवाचार और संग्रहालयों की भूमिका

आज संग्रहालय केवल वस्तुएँ दिखाने की जगह नहीं रह गए हैं। वे शिक्षा, शोध, सामाजिक संवाद और सतत विकास के मंच बन चुके हैं। इस वर्ष की थीम संग्रहालयों को ‘सामाजिक परिवर्तन एजेंट’ के रूप में स्थापित करने का एक सार्थक प्रयास है। डिजिटल तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और संवर्धित वास्तविकता (AR) जैसी तकनीकों ने संग्रहालयों के अनुभव को अधिक सजीव और सुलभ बना दिया है। कई संग्रहालय अब वर्चुअल रियलिटी टूर, इंटरएक्टिव डिस्प्ले, और डिजिटल आर्काइविंग की ओर बढ़ रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 2025 हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि संग्रहालय केवल अतीत का आईना नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा भी हो सकते हैं। वे न केवल इतिहास को संजोते हैं, बल्कि समाज को शिक्षित करने, प्रेरित करने और जोड़ने का कार्य भी करते हैं।

भारत सहित पूरी दुनिया में इस दिवस को मनाने का उद्देश्य सिर्फ एक दिन की औपचारिकता नहीं, बल्कि संग्रहालयों की भूमिका को नये संदर्भों में समझने और उन्हें अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की ओर एक गंभीर कदम है।

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