इस्लामाबाद / तोरखम, 12 जून 2025 (AP): पाकिस्तान सरकार ने अवैध रूप में रह रहे अफगानों को देश छोड़ने का आदेश यह कहते हुए दिया कि उनके पास केवल 45 मिनट का समय है। यह आदेश अचानक जारी होने से अफ़गान सभ्य जीवन छोड़ कर पलायन पर मजबूर हो गए।
शेर खान की आपबीती
42 वर्षीय शेर खान, जो पाकिस्तान में ईंट भट्ठे पर काम करते थे, जब घर लौटे तो दरवाजे पर सादे कपड़ों में पुलिस कर्मी खड़े थे और उन्हें केवल 45 मिनट में सामान समेटकर पाकिस्तान छोड़ने का कहा गया। उन्होंने अपनी पत्नी और नौ बच्चों के लिए केवल रसोई और कपड़े ही अपने साथ ले पाए, बाकी सबकुछ वहीं छोड़ना पड़ा। खान पाकिस्तान में जन्मे और पले-बढ़े थे, उनकी पूरी दुनिया पलट गई।
बड़े पैमाने पर निष्कासन
अक्टूबर 2023 से पाकिस्तान ने विदेशी अशरणार्थियों के खिलाफ अभियान शुरू किया था। उसके बाद लगभग 10 लाख अफगानों को देश छोड़ना पड़ा, लेकिन अभी भी लाखों अफगान देश में रह रहे हैं और सरकार उन्हें भी भेजना चाहती है ।
तोरखम शिविर: सीमापार बढ़ता पलायन
शेर खान सहित कई लोग अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित तोरखम शिविर में आ रहे हैं। वहां हर परिवार को एक सिम कार्ड और 10,000 अफगानी (लगभग 145 डॉलर) की मदद दी जा रही है और वे तीन दिन तक शरण में रह सकते हैं। शिविर के निदेशक मौलवी हाशिम मैवंडवाल ने बताया कि प्रतिदिन लगभग 150 परिवार आ रहे हैं, जबकि दो महीने पहले यह संख्या 1,200 थी। ईद अल-अजहा के बाद संख्या फिर बढ़ने की आशंका जताई गई है।

पाकिस्तान के आरोप और अफगानिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान सरकार का कहना है कि यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया है क्योंकि कई आतंकी हमलों में अफगानों की भूमिका थी। हालांकि, अफगान सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है। पाकिस्तान कहता है कि यह अभियान केवल अवैध निवासियों पर है और इसमें मानवाधिकारों का ख्याल रखा जा रहा है। लेकिन इस अचानक निष्कासन की रणनीति का अनेक मानवाधिकार समूहों ने कड़ा विरोध किया है।
यूएन एजेन्सियों की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और मानवाधिकार समूहों ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि इस तरह का अचानक निष्कासन और तेजी से कार्रवाई, अफगान नागरिकों के लिए मानवाधिकारों का उल्लंघन कर सकता है। Human Rights Watch, Amnesty International ने भी इस निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि यह योजना बिना पूर्व सूचना और उचित प्रक्रिया के स्पष्ट रूप में जबरन निष्कासन है ।
अफगानिस्तान की तैयारी और चुनौतियाँ
अफगानिस्तान में जो लोग लौट रहे हैं, वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उनका सामना सीमावर्ती शिविरों में आवास, खाद्य आपूर्ति, स्वास्थ्य-रक्षा जैसी मूलभूत समस्याओं से हो रहा है । UNHCR और IOM ने खतरनाक संभावनाओं की चेतावनी दी है क्योंकि पाकिस्तान ने इस कदम की समय सीमा बिना किसी विस्तार के तय की थी। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तान से कम से कम एक सम्मानजनक समय सीमा देने का आग्रह किया ।
पाकिस्तान का यह अचानक और अल्टीमेटम आधारित कदम अफगानों के लिए एक मानवाधिकार संकट बना हुआ है। जिन परिवारों ने वर्षों की मेहनत से देश में जीवन बसाया, उन्हें कुछ ही घंटों में घर-बाहर होना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर यूएन एजेंसियाँ, पाकिस्तान से अपील कर रही हैं कि निष्कासन को मानवतावादी ढंग से और व्यवस्थित तरीके से किया जाए। साथ ही अफगान सीमा पर बने शिविरों में बेहतर सहायता, संसाधन और समय की जरूरत है ताकि लौटे हुए लोग नजरअंदाज न हों।
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