विश्व सी टर्टल डे 2025: समुद्री कछुओं की सुरक्षा का संकल्प – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

हर साल 16 जून को पूरी दुनिया में World Sea Turtle Day मनाया जाता है। यह दिन उन विशेष जीवों की याद दिलाता है, जो लाखों वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद हैं – समुद्री कछुए। यह दिन विशेष रूप से प्रसिद्ध समुद्री जीवविज्ञानी डॉ. आर्ची कैर की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वे समुद्री कछुओं की सुरक्षा और संरक्षण में अहम भूमिका निभा चुके हैं।

इस दिन का उद्देश्य समुद्री कछुओं के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना, उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा करना और उनके अस्तित्व को बचाए रखने के लिए समाज को प्रेरित करना है।

समुद्री कछुओं का पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान

समुद्री कछुए हमारे समुद्रों के पारिस्थितिक संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे समुद्री घास (seagrass) को खाकर उसे संतुलित बनाए रखते हैं, जिससे अन्य समुद्री जीवों को जीवनदायिनी जगह मिलती है।

उनके अंडों से निकले पोषक तत्व समुद्र तट की मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं। इनका अस्तित्व सीधे-सीधे समुद्री जैव विविधता से जुड़ा हुआ है। यदि कछुए समाप्त हो जाएं तो समुद्र का पूरा खाद्य चक्र प्रभावित हो सकता है।

समुद्री कछुओं को मिल रहे हैं ये बड़े खतरे

  1. प्लास्टिक प्रदूषण: समुद्र में तैरता प्लास्टिक कछुओं के लिए जानलेवा साबित होता है। वे अक्सर प्लास्टिक को भोजन समझकर निगल लेते हैं।
  2. तटीय अतिक्रमण: पर्यटकों की बढ़ती संख्या और अवैध निर्माण समुद्री कछुओं के अंडे देने वाले स्थानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
  3. अवैध शिकार और तस्करी: कई जगहों पर कछुओं की खाल, मांस और अंडों का व्यापार अब भी जारी है।
  4. मछली पकड़ने में फंसना: पारंपरिक मछली पकड़ने की विधियों से कई बार कछुए जाल में फंसकर दम तोड़ देते हैं।
  5. जलवायु परिवर्तन: समुद्र का बढ़ता तापमान और रेत का अत्यधिक गर्म होना कछुओं के अंडों के विकास और लिंग संतुलन को बिगाड़ देता है।

संरक्षण की दिशा में वैश्विक और स्थानीय प्रयास

  • टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TED): इस डिवाइस की मदद से मछली पकड़ते समय कछुए सुरक्षित बाहर निकल सकते हैं।
  • सुरक्षित नेस्टिंग साइट्स: कई देशों में समुद्री तटों पर निगरानी और सुरक्षा दल तैनात किए गए हैं।
  • समुद्री सफाई अभियान: पर्यावरण कार्यकर्ता और स्वयंसेवी संस्थाएं समुद्र तटों को प्लास्टिक और गंदगी से मुक्त रखने के लिए अभियान चला रही हैं।
  • शिक्षा और जनजागरूकता: स्कूल, कॉलेज और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को समुद्री जीवन के महत्व की जानकारी दी जा रही है।

भारत में समुद्री कछुओं की स्थिति

भारत में पांच प्रमुख समुद्री कछुओं की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध है ओलिव रिडले कछुआ। ओडिशा के गाहिरमाथा समुद्री तट पर हर साल लाखों की संख्या में ओलिव रिडले कछुए अंडे देने आते हैं।

भारत सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं:

  • Project Sea Turtle: ओडिशा में समुद्री कछुओं के संरक्षण हेतु शुरू की गई विशेष योजना।
  • स्थानीय समुदाय की भागीदारी: मछुआरे और गांववाले स्वयं कछुओं की रक्षा के लिए आगे आ रहे हैं।
  • कोस्ट गार्ड की निगरानी: भारत की कोस्ट गार्ड टीम समुद्र तटों पर गश्त करके अवैध गतिविधियों को रोक रही है।
  • नेस्टिंग सीजन में प्रतिबंध: सरकार ने नेस्टिंग सीजन के दौरान समुद्री गतिविधियों पर रोक लगाकर कछुओं को सुरक्षित वातावरण देने का प्रयास किया है।

हम क्या कर सकते हैं?

  • प्लास्टिक का उपयोग कम करें: खासकर समुद्र तटों पर कभी भी प्लास्टिक या कचरा न फेंके।
  • नेस्टिंग क्षेत्रों से दूरी बनाए रखें: यदि आप समुद्री तट पर हों और वहां कछुए अंडे दे रहे हों, तो उन्हें परेशान न करें।
  • स्वयंसेवी बनें: स्थानीय पर्यावरण समूहों से जुड़कर समुद्री जीवन के संरक्षण में भाग लें।
  • जागरूकता फैलाएं: सोशल मीडिया, स्कूल और समाज में लोगों को समुद्री कछुओं के महत्व के बारे में बताएं।

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