Tibetans Protest in Geneva, Expose China at UNHRC Session – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

जिनेवा/नई दिल्ली, 19 जून (ANI): संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 59वें सत्र की शुरुआत के साथ ही, स्विट्जरलैंड और लिकटेंस्टीन की Tibetan समुदाय (TCSL) ने 16 जून को जिनेवा में एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आयोजन किया। इस प्रदर्शन का उद्देश्य चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) द्वारा अपने ही देश में किए जा रहे दमनकारी कृत्यों की ओर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना था। यह जानकारी केंद्रीय Tibetan प्रशासन (CTA) की रिपोर्ट के माध्यम से सामने आई है।

प्रदर्शन में शामिल रहे प्रमुख प्रतिनिधि

इस विरोध प्रदर्शन में Tibetan ब्यूरो जिनेवा की प्रतिनिधि थिनले चुकी, UN एडवोकेसी ऑफिसर फुंत्सोक टॉपग्याल, और अकाउंटेंट तेनजिन चोसांग मौजूद रहे। इसके अतिरिक्त रिकॉन मठ के अभोट, TCSL के अध्यक्ष और कार्यकारिणी सदस्य, स्थानीय Tibetan NGO के सदस्य, और चीनी संगठनों जैसे द चर्च ऑफ ऑलमाइटी गॉड और एसोसिएशन फॉर द डिफेंस ऑफ ह्यूमन राइट्स एंड रिलीजियस फ्रीडम (ADHRRF) के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। CTA की रिपोर्ट के अनुसार, कुल मिलाकर लगभग 120 Tibetan और चीनी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन में भाग लिया।

प्रतिनिधि थिनले चुकी ने अपने संबोधन में बताया कि तिब्बत पर चीनी कब्जे को लगभग 70 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन तिब्बतियों पर अत्याचार अब भी जारी हैं। उन्होंने कहा कि यह दमन केवल तिब्बतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि उइगर मुस्लिमों और चीनी ईसाई समुदाय को भी इसी तरह की पीड़ा झेलनी पड़ रही है।

उन्होंने चीनी सरकार पर ट्रांसनेशनल दमन (विश्व स्तर पर कार्यकर्ताओं और निर्वासितों को डराने का प्रयास) का आरोप लगाया और कहा कि यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बड़ा खतरा है।

संस्कृति और धर्म पर खतरा: बच्चों को परिवार से जबरन दूर किया जा रहा

थिनले चुकी ने यह भी कहा कि चीनी सरकार Tibetan संस्कृति और धर्म को मिटाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने विशेष रूप से “औपनिवेशिक शैली के बोर्डिंग स्कूलों” का उल्लेख किया, जहाँ Tibetan बच्चों को उनके परिवारों से जबरन अलग कर राज्य की विचारधारा से ‘ब्रेनवॉश’ किया जा रहा है। इससे उनकी भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को खतरा पैदा हो गया है।

Protesters holding Tibetan flags outside the UN building in Geneva
Protesters holding Tibetan flags outside the UN building in Geneva

Tibetan धार्मिक स्थलों पर हमले और पानचेन लामा की गुमशुदगी

थिनले चुकी ने कहा कि सरकारी दखल के कारण Tibetan धार्मिक परंपराओं पर सीधा हमला हो रहा है। चीन ने मठों को अपने नियंत्रण में ले रखा है और धार्मिक आज़ादी को कुचला जा रहा है।

उन्होंने विशेष रूप से 11वें पानचेन लामा की 30 साल से जारी गुमशुदगी पर चिंता जताई। पानचेन लामा को चीन ने 1995 में अगवा किया था, और तब से उनकी कोई खबर नहीं है।

CTA रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने तिब्बत में बड़े पैमाने पर डैम निर्माण किए हैं जिससे वहाँ की संवेदनशील पारिस्थितिकी को भारी नुकसान पहुंचा है। इसके कारण घुमंतू जनजातियों को विस्थापित किया गया है और कई मठों को भी अन्यत्र स्थानांतरित करना पड़ा है।

“वर्ष 2025 – करुणा का वर्ष” : दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस की याद

प्रदर्शन के अंत में थिनले चुकी ने बताया कि इस वर्ष परम पावन 14वें दलाई लामा का 90वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। उन्होंने दलाई लामा को शांति, करुणा और सहनशीलता का प्रतीक बताया और वर्ष 2025 को “करुणा का वर्ष” (Year of Compassion) के रूप में मनाने की अपील की।

प्रदर्शन का समापन प्रार्थनाओं और शांति की कामनाओं के साथ किया गया।

ETGE Slams China-Central Asia Agreement, Warns of Grave Threat to Sovereignty

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