भारत रत्न दलाई लामा: क्या चीन को होगी कड़वी जलन?
भारत रत्न दलाई लामा को देने की मांग एक बार फिर ज़ोर पकड़ रही है. यह मांग उनके 90वें जन्मदिन के मौके पर फिर से चर्चा में आई है. जहां भारत में उन्हें विश्व शांति, करुणा और अहिंसा का प्रतीक माना जाता है, वहीं चीन उन्हें अलगाववादी करार देता है. ऐसे में सवाल उठता है – अगर भारत दलाई लामा को भारत रत्न से सम्मानित करता है, तो चीन की प्रतिक्रिया क्या होगी?
दलाई लामा की भारत में उपस्थिति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत रत्न दलाई लामा की चर्चा तब शुरू हुई जब उन्होंने मार्च 1959 में तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद भारत में शरण ली थी. युवा उम्र में आए इस बौद्ध भिक्षु ने भारत में आध्यात्मिक शरण ली और तब से भारत को अपना दूसरा घर बना लिया. उन्होंने लगातार भारत की धरती से शांति और सहिष्णुता का संदेश दिया.
90वें जन्मदिन पर बढ़ी भारत रत्न की मांग
हाल ही में जब दलाई लामा ने अपना 90वां जन्मदिन मनाया, तो भारत सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों – किरण रिजिजू और जितेंद्र सिंह – ने उनसे मुलाकात कर शुभकामनाएं दीं. इस मुलाकात ने भारत रत्न दलाई लामा को लेकर अटकलों को और हवा दी. कई विश्लेषकों का मानना है कि भारत अब उन्हें भारत रत्न से सम्मानित कर सकता है.
चीन की प्रतिक्रिया पहले भी रही आक्रामक
हर बार जब भारत सरकार या भारतीय नेता दलाई लामा की तारीफ करते हैं, चीन तीखी प्रतिक्रिया देता है. अगर भारत उन्हें भारत रत्न दलाई लामा के रूप में सम्मानित करता है, तो शी जिनपिंग सरकार इसे सीधे अपनी “एक चीन नीति” के खिलाफ कदम मानेगी.
चीन का दर्द: उत्तराधिकारी की घोषणा पर आपत्ति
कुछ ही दिन पहले दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी को लेकर स्पष्ट कर दिया कि उनका पुनर्जन्म किसी स्वतंत्र देश में होगा, और उसे चीन मान्यता नहीं देगा. यह बयान चीन को बहुत चुभा. चीनी सरकार ने तुरंत इसे खारिज कर दिया और पंचेन लामा की नियुक्ति कर अपने वफादार धार्मिक प्रतिनिधि को आगे किया.
भारत रत्न दलाई लामा: सॉफ्ट पावर की दिशा में बड़ा कदम
भारत रत्न दलाई लामा को देने का प्रस्ताव भारत की सॉफ्ट पावर को वैश्विक स्तर पर मजबूती देगा. जैसे मदर टेरेसा, नेल्सन मंडेला और खान अब्दुल गफ्फार खान को भारत रत्न देकर भारत ने अपनी नैतिक नेतृत्व की छवि को और मजबूत किया था, वैसे ही यह कदम चीन की आक्रामकता के जवाब में एक शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावशाली संदेश होगा.
चीन की संभावित प्रतिक्रियाएं
अगर भारत उन्हें भारत रत्न दलाई लामा बनाता है, तो चीन इन कदमों से बौखला सकता है:
- कूटनीतिक विरोध: भारतीय राजदूत को बुलाकर कड़ा विरोध दर्ज करना।
- आर्थिक दबाव: व्यापारिक प्रतिबंध या निवेश रोकना।
- सीमा पर तनाव: जैसे गलवान घाटी में हुआ था, वैसे ही सैन्य हलचल बढ़ा सकता है।
- प्रचार युद्ध: चीन इसे “विदेशी साजिश” बताकर प्रचार करेगा।

भारत रत्न दलाई लामा के लिए जन समर्थन
2021 में हुए एक सर्वे में 62.4% भारतीयों ने दलाई लामा को नोबेल पुरस्कार से नवाजने का समर्थन किया था. अब, जब उनके 90वें जन्मदिवस पर फिर से ये मांग उठी है, तो यह भारत की ओर से एक सशक्त नैतिक पहल हो सकती है. ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत के 80 सांसदों ने भी इसका समर्थन किया है.
नोबेल विजेता को भारत रत्न क्यों नहीं?
भारत रत्न दलाई लामा को 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनका संदेश हमेशा से ही अहिंसा, संवाद और सह-अस्तित्व का रहा है. इसलिए, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान उन्हें देना न केवल तर्कसंगत होगा, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी स्पष्ट करेगा कि भारत किस प्रकार के मूल्यों में विश्वास करता है.
निष्कर्ष: क्या भारत तैयार है एक कड़ा संदेश देने के लिए?
भारत रत्न दलाई लामा को देने का मतलब सिर्फ एक पुरस्कार देना नहीं होगा, बल्कि यह एक वैचारिक स्थिति होगी – शांति के पक्ष में और दमन के खिलाफ. भारत को तय करना है कि वह चीन की नाराजगी से डरे या फिर अपने ऐतिहासिक मूल्यों और वैश्विक नैतिक नेतृत्व की रक्षा करे
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