America’s Sky Shield: Golden Dome Now in Action – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

नई दिल्ली:
दुनियाभर में अब एयरस्पेस सुरक्षा को लेकर ध्यान तेज़ी से बढ़ रहा है। खासकर, यूक्रेन-रूस युद्ध ने दुनिया की सरकारों को सतर्क कर दिया है।
अब जबकि यह माना जा रहा है कि भविष्य की लड़ाइयाँ ज़मीन नहीं, बल्कि आसमान में होंगी,
ऐसे में, अमेरिका ने भी एक हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम तैयार किया है, जिसे गोल्डन डोम नाम दिया गया है।

अमेरिका की तैयारी: बढ़ते खतरे के बीच बड़ी पहल

यह सिस्टम अमेरिका को मिसाइल और परमाणु हमलों से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। खास बात यह है कि, यह केवल पारंपरिक खतरों से नहीं, बल्कि साइबर और इलेक्ट्रॉनिक हमलों से भी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होगा।

इसके अलावा, इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित ट्रैकिंग और निर्णय प्रणाली भी होगी। यह प्रणाली खतरे की पहचान कर तुरंत प्रतिक्रिया दे सकेगी।
इस प्रकार, रिएक्शन टाइम में भारी सुधार होगा।

डोनाल्ड ट्रंप का दावा: “अब हमारे पास तकनीक है

हाल ही में, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने एक रैली में इसका ज़िक्र किया।
उन्होंने बताया कि, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने गोल्डन डोम का प्रारंभिक डिजाइन तैयार कर लिया है।

उनके अनुसार:

“हम अमेरिका पर हमलों को रोकने के लिए गोल्डन डोम बना रहे हैं। इसमें लेजर, एडवांस वॉर्निंग सिस्टम और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी शामिल होंगी।
यह वही है जो रोनाल्ड रीगन चाहते थे, लेकिन उनके पास तकनीक नहीं थी। अब, हमारे पास है।”

लागत और समयसीमा: एक बड़ा निवेश

ट्रंप ने यह भी कहा कि, इस सिस्टम पर करीब 175 अरब डॉलर की लागत आएगी। इसके अलावा, अनुमान है कि यह प्रणाली साल 2029 तक पूरी तरह तैयार हो सकती है। यदि ऐसा होता है, तो यह अमेरिका की हवाई सुरक्षा को एक नई ऊँचाई पर पहुँचा सकता है।

इज़राइल का आयरन डोम: प्रेरणा का स्रोत

वास्तव में, अमेरिका का गोल्डन डोम सिस्टम आंशिक रूप से इज़राइल के आयरन डोम से प्रेरित है।
आयरन डोम रडार के ज़रिए दुश्मन की मिसाइल को ट्रैक करता है और उड़ान में ही उसे नष्ट कर देता है।

हालांकि, हाल के कुछ हमलों में कुछ मिसाइलें इस सिस्टम को पार कर गईं।
इससे, इसकी सीमाएं भी उजागर हुई हैं।

भारत की तैयारी: आत्मनिर्भरता की दिशा में

दूसरी ओर, भारत भी अपनी एयर डिफेंस क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा वैज्ञानिकों के साथ इस विषय पर एक महत्वपूर्ण बैठक की। फिलहाल, भारत के पास रूस से खरीदा गया S-400 डिफेंस सिस्टम मौजूद है। साथ ही, भारत अब स्वदेशी तकनीकों के विकास पर भी ज़ोर दे रहा है।

DRDO द्वारा विकसित ‘आकाश’ और ‘प्रलय’ मिसाइलें इसी दिशा में अहम मानी जा रही हैं।
इन प्रयासों से, भारत आने वाले समय में अधिक आत्मनिर्भर और सशक्त बन सकता है।

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