बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए 1,000 किलोग्राम ‘हरिभंगा’ आम भेजे हैं। ये आम पीएम मोदी और राजनयिकों को दिए जाएंगे।
नई दिल्ली: बांग्लादेशa की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने भारत के साथ संबंध सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। उन्होंने खास किस्म के ‘हरिभंगा’ आमों के 1,000 किलोग्राम भारत भेजे हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय राजनयिकों और अन्य अधिकारियों को उपहार स्वरूप भेंट किया जाएगा। यूनुस की इस पहल को ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ के रूप में देखा जा रहा है।
ममता बनर्जी और त्रिपुरा के सीएम को भी भेजे आम
मोहम्मद यूनुस ने मैंगो डिप्लोमेसी के तहत न केवल पीएम मोदी को, बल्कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा को भी बांग्लादेशी आम भेजे हैं। हरिभंगा आम को बांग्लादेश में उच्च कोटी का माना जाता है और यह भारत सहित दुनियाभर में पसंद किया जाता है। ये आम गुरुवार शाम लगभग 5:15 बजे अखौरा लैंड पोर्ट के जरिए भेजे गए।
सद्भावना और पुराने रिश्तों का प्रतीक
बांग्लादेशी अखबार डेली सन की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश उच्चायोग के एक अधिकारी ने बताया कि ये आम सद्भावना के प्रतीक के रूप में भेजे जा रहे हैं और सोमवार को नई दिल्ली पहुंचेंगे। भारत को बांग्लादेश की ओर से आम भेजने की यह परंपरा नई नहीं है। इससे पहले भी विभिन्न सरकारें इस परंपरा को निभाती रही हैं। हालांकि, इस बार इसे खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि पिछले वर्ष छात्र आंदोलनों के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी थी।

हसीना को भारत का करीबी सहयोगी माना जाता था, और उनके हटने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में कुछ खटास आने की अटकलें लगाई जा रही थीं। ऐसे में यह सवाल उठ रहा था कि क्या यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी या इसे खत्म कर दिया जाएगा। इसी संदर्भ में आम भेजे जाने को सकारात्मक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
हसीना के बाद रिश्तों में तनाव
शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से ही भारत और बांग्लादेश के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। पिछले साल सितंबर में अंतरिम सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए भारत को हिल्सा मछली का निर्यात पूरी तरह से रोक दिया। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू बाजार में हिल्सा मछली की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करना था। हर साल दुर्गा पूजा से पहले भारत आने वाली यह मछली न केवल अपने स्वाद के कारण लोकप्रिय है, बल्कि यह भारत-बांग्लादेश संबंधों की एक खास पहचान बन चुकी है, जिसे ‘हिल्सा डिप्लोमेसी’ के नाम से जाना जाता है। अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद यह पहली बार था जब हिल्सा निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई।
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