
🏯 परिचय :- चीन की विशाल दीवार, जिसे (Changcheng) के नाम से भी जाना जाता है, मानव इतिहास की सबसे लंबी और प्रभावशाली संरचनाओं में से एक है। यह दीवार प्राचीन चीन की सुरक्षा, सामरिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
📜 इतिहास और निर्माण
प्रारंभिक निर्माण: चीन की विभिन्न राज्यों ने 7वीं से 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच अपनी-अपनी दीवारें बनाई थीं।
क्विन राजवंश (221–206 ईसा पूर्व): पहले सम्राट Qin Shi Huang ने विभिन्न दीवारों को जोड़कर एक एकीकृत दीवार बनाई।
मिंग राजवंश (1368–1644): इस काल में दीवार का अधिकांश हिस्सा पुनर्निर्मित हुआ और यह वर्तमान में सबसे संरक्षित भाग है।
📏 संरचना और लंबाई
कुल लंबाई: लगभग 21,196 किलोमीटर (13,171 मील)।
मुख्य निर्माण: मिंग राजवंश के दौरान 8,850 किलोमीटर लंबी दीवार बनाई गई।
सामग्री: मिट्टी, पत्थर, लकड़ी और ईंटों का उपयोग किया गया।
🏰 प्रमुख खंड
बादालिंग (Badaling): बीजिंग के पास स्थित यह खंड सबसे अधिक पर्यटकों द्वारा देखा जाता है।
मुतियान्यू (Mutianyu): यह खंड संरक्षित और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
जिनशानलिंग (Jinshanling): यह खंड लंबी पैदल यात्रा के लिए प्रसिद्ध है।
सिमाताई (Simatai): यह खंड अपनी खड़ी चढ़ाई और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
🛡️ उद्देश्य और महत्व
सुरक्षा: उत्तरी आक्रमणों से रक्षा के लिए।
संचार: संदेशों के आदान-प्रदान के लिए सिग्नल टावरों का निर्माण।
वाणिज्य: वाणिज्यिक मार्गों की सुरक्षा।
संस्कृति: चीन की सांस्कृतिक पहचान और गौरव का प्रतीक।
🌿 रोचक तथ्य
पारिस्थितिकी प्रभाव: दीवार के दोनों ओर पौधे आनुवंशिक रूप से अलग हो गए हैं, क्योंकि दीवार ने उनकी प्रजनन प्रक्रिया को प्रभावित किया है।
संरक्षण प्रयास: चीन सरकार ने दीवार के संरक्षण के लिए विभिन्न पहलें शुरू की हैं, जिनमें ऑनलाइन क्राउडफंडिंग अभियान भी शामिल हैं।
संस्कृति और पर्यटन: दीवार के विभिन्न खंडों पर पर्यटन गतिविधियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
🧭 यात्रा सुझाव
समय: वसंत और शरद ऋतु में यात्रा करना सबसे अच्छा रहता है।
परिवहन: बीजिंग से बस, कार या टूर पैकेज के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
सुरक्षा: दीवार पर चढ़ाई करते समय सावधानी बरतें, विशेषकर खड़ी चढ़ाई वाले हिस्सों में।
चीन की विशाल दीवार
चीन की महाप्राचीर, सरलीकृत चीनी वर्ण: पारम्परिक चीनी वर्ण: पिनयिन: Wanli Changcheng; मूल ‘दश हज़ार ली दीवार’, दुर्गों के प्राकार की एक शृंखला है जो प्राचीन चीनी राज्यों और शाही चीन की ऐतिहासिक उत्तरी सीमाओं पर यूरेशियाई स्तेपी से विभिन्न खानाबदोश समूहों के विरुद्ध सुरक्षा के रूप में बनाई गई थी। सप्तम शताब्दी ईसा पूर्व में कई प्राचीरों का निर्माण किया गया था, जिसमें बाद में छिन षी ह्वाङ (220-206 ईसा पूर्व), चीन के प्रथम सम्राट शामिल हुए। छिन दीवार का थोड़ा भाग बचा है। बाद में, कई क्रमिक राजवंशों ने सीमा की प्रकारों के कई अंशों का निर्माण और रक्षणावेक्षण किया। प्राकार के सबसे प्रसिद्ध खण्ड मिङ राजवंश (1368-1644) द्वारा बनाए गए थे।
रक्षा के अतिरिक्त, महाप्राचीर के अन्य उद्देश्यों में सीमा नियंत्रण, कौशेय मार्ग के साथ परिवहन किए गए सामानों पर शुल्कों को लागू करने, व्यापार के विनियमन या प्रोत्साहन और आप्रवासन और उत्प्रवास के नियंत्रण शामिल हैं। इसके अलावा, महाप्राचीर की रक्षात्मक वैशिष्ट्यों को गुम्मटों, सैन्य बैरकों, सैन्यदल स्थानों, धूम्र या अग्नि के माध्यम से संकेतन क्षमताओं के निर्माण से बढ़ाया गया था, और तथ्य यह है कि महाप्राचीर का मार्ग परिवहन गलियारों के रूप में भी कार्य करता है।

विभिन्न राजवंशों द्वारा निर्मित सीमांत दीवारों में कई शृंखलाएँ हैं। सामूहिक रूप से, वे पूर्व में ल्याउदोङ से लेकर पश्चिम में लोप नुर तक, उत्तर में वर्तमान चीन-रूसी सीमा से लेकर दक्षिण में थाओ नदी तक फैले हुए हैं; एक चाप के साथ जो मोटे तौर पर मंगोलियाई स्तेपी के किनारे को चित्रित करता है; कुल 21,196.18 किलोमीटर में फैला है। आज, महाप्राचीर की रक्षात्मक प्रणाली को साधारणतः इतिहास में सबसे प्रभावशाली वास्तुशिल्प कार्यों में से एक माना जाता है।
पिनयिन
‘चीनी फीनयीन कार्यक्रम’ चीनी अक्षरों के उच्चारण को दर्शाने वाला एक प्रतीक है, जिसमें दो भाग हैं, जिन में स्वर व ब्यंजन रखे गए, व्यंजनों की संख्या 21 व स्वर 39 है।
चिन शी हुआंग
चिन शी हुआंग जिसे चिन शी हुआंगदी हिंदी : चीन का प्रथम सम्राट) (जिसका असली नाम यिंग जेंग था )के नाम से भी जाना जाता है, चीन का प्रथम सम्राट था। इसी ने चिन राजवंश की स्थापना कि थी। उसने चीन के बाकि झगड़ते राज्यों को चिन देश के अधीन किया था।
उसने शांग राजवंश और झोऊ राजवंश की पारंपरिक उपाधि महाराज ( wang ) को त्याग कर सम्राट ( huang dì) को अपनाया जो की उसकी मृत्यु के २००० वर्ष तक चीन के शासकों ने धारण कि।
चिन शी के सेनापतियो ने चू राज्य के दक्षिण में स्थित युएझ़ी काबिले को हराकर हुनान और गुआंगदोंग क्षेत्र को चिन राज्य में सम्मिलित किया। उन्होंने शियोंगनु काबिले से बीजिंग के पश्चिम की भूमि प्राप्त कि। पर इसके उत्तर में शियोंगनु काबिले ने मोदू चानयू के नेतृत्व में एक संघ बनाया चिन राज्य से लड़ने के लिए। चिन शी हुआंग ने अपने मंत्रीली सी के साथ मिलकर चीन के आर्थिक और राजनैतिक स्थिति सुधारने और उसके मानकीकरण के हेतु कई नियम बनाये जिस कारण कई ग्रंथो को जलाया गया और विद्वानों को जिन्दा दफनाया गया। उसने अपनी जनता के लिए विशाल राजमार्गो की प्रणाली स्थापित की और अपनी जनता की सुरक्षा के लिए सभी राज्यों की दीवारों को जोड़कर चीन की महान दीवार बनवाई। उसने खुदके लिए एक नगर के आकार की समाधी बनवाई और उसकी रक्षा के लिए टेराकोटा सेना खड़ी की। अपने अमृत की खोज के निरर्थक प्रयास के बाद २१० ईसापूर्व में उसकी मृत्यु हो गयी, पारे के अत्यधिक सेवन के कारण।
