Dalai Lama Successor को लेकर दुनियाभर में चर्चा तेज हो गई है। 14वें दलाई लामा, जो अब 90 वर्ष के होने जा रहे हैं, उन्होंने संकेत दिया है कि वे अपने जीवनकाल में ही अगला Dalai Lama Successor चुनना चाहते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म में यह परंपरा बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन इस बार परिस्थिति पहले से बहुत अलग है।
Dalai Lama Successor: क्या है पारंपरिक मान्यता?
Dalai Lama Successor की पारंपरिक मान्यता यह है कि जब कोई दलाई लामा मृत्यु को प्राप्त करता है, तो उसकी आत्मा पुनर्जन्म लेती है। तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं का एक दल स्वप्नों, धार्मिक संकेतों और प्राकृतिक घटनाओं के आधार पर उस विशेष बच्चे की पहचान करता है, जिसमें पूर्व दलाई लामा की आत्मा मानी जाती है।
जब वह बच्चा पूर्व दलाई लामा की वस्तुएं पहचान लेता है या कहता है “यह मेरा है”, तब उसे आधिकारिक रूप से Dalai Lama Successor घोषित किया जाता है।
Dalai Lama Successor की पहचान के पारंपरिक तरीके
तिब्बती परंपरा में Dalai Lama Successor की खोज के लिए कुछ विशेष विधियाँ अपनाई जाती हैं:
- एक विधि में, पूर्व दलाई लामा के उत्तराधिकारी के नाम को कागज पर लिखकर आटे की लोइयों में रखा जाता है और फिर एक लोई को चुना जाता है।
- दूसरी विधि में, 1793 की Qing वंश की परंपरा अनुसार स्वर्ण कलश (Golden Urn) का प्रयोग किया जाता है, जिसमें से नाम निकाला जाता है।
इस बार क्यों है विशेष?
इस बार स्वयं दलाई लामा ने कहा है कि वे चाहते हैं कि अगला Dalai Lama Successor उनके जीवनकाल में ही घोषित किया जाए, ताकि कोई भ्रम न रहे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि यह उत्तराधिकारी चीन के बाहर जन्म लेगा और उसकी पहचान Gaden Phodrang Foundation द्वारा की जाएगी।

यह संस्था 2015 में स्थापित हुई थी और अब दलाई लामा की धार्मिक व सांस्कृतिक जिम्मेदारियों को आगे बढ़ा रही है। यहीं से एक चयन समिति सपने, आध्यात्मिक संकेत और पारंपरिक प्रतीकों के माध्यम से Dalai Lama Successor की पहचान करेगी।
चीन और Dalai Lama Successor को लेकर विवाद
Dalai Lama Successor को लेकर सबसे बड़ा विवाद चीन से है। चीन का कहना है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार उसी के पास है। वह Golden Urn प्रणाली से चयन करना चाहता है, जिससे तिब्बती समुदाय सहमत नहीं है।
तिब्बती बौद्ध अनुयायी इसे धर्म में राजनीतिक हस्तक्षेप मानते हैं। वे कहते हैं कि Dalai Lama Successor का चयन केवल धार्मिक और आध्यात्मिक प्रक्रियाओं से होना चाहिए।
क्या बोले 14वें दलाई लामा?
14वें दलाई लामा ने स्पष्ट कर दिया है कि वे नहीं चाहते कि उनका उत्तराधिकारी चीन द्वारा थोपा जाए। उन्होंने दुनिया भर के भिक्षुओं से परामर्श किया है और कहा है कि अगला Dalai Lama Successor पारदर्शी प्रक्रिया से चुना जाएगा, जो तिब्बती जनता के विश्वास और स्वतंत्रता की भावना से जुड़ा होगा।
दलाई लामा चीन के दावों का विरोध
तिब्बती सरकार-इन-एक्साइल और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी चीन के दावे का विरोध किया है। उनका कहना है कि धार्मिक नेता का चयन एक आध्यात्मिक निर्णय है, न कि कोई राजनीतिक नियुक्ति।

तिब्बती नेता यह भी कह रहे हैं कि अगर चीन अपने अनुसार किसी Dalai Lama Successor की घोषणा करता है, तो उसे तिब्बत और दुनिया के बौद्ध समाज में मान्यता नहीं मिलेगी।
भविष्य की दिशा
ऐसा पहली बार होगा जब Dalai Lama Successor को जीवित दलाई लामा द्वारा घोषित किया जाएगा। इससे न सिर्फ भ्रम दूर होगा बल्कि चीन के हस्तक्षेप की आशंका भी खत्म हो सकती है। यह फैसला तिब्बती बौद्ध धर्म की आज़ादी को नई दिशा देगा।
दलाई लामा केवल एक धार्मिक पद नहीं, बल्कि तिब्बती समाज की आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है। जब चीन जैसा शक्तिशाली राष्ट्र उसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश करता है, तब यह सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक मुद्दा बन जाता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अगला Dalai Lama Successor कौन होगा और उसकी पहचान कितनी व्यापक स्वीकृति पाती है।
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