Dree Festival भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश की अपातानी जनजाति का प्रमुख कृषि उत्सव है। यह हर साल 5 जुलाई को बड़े धूमधाम और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व का उद्देश्य फसलों की अच्छी पैदावार के लिए देवी-देवताओं को खुश करना और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना होता है।
आज की व्यस्त दुनिया में जब लोग अपनी संस्कृति से कटते जा रहे हैं, Dree Festival जैसी पारंपरिक परंपराएं हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती हैं। यह उत्सव न केवल सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और प्रकृति के साथ सामंजस्य का भी उदाहरण है।
Dree Festival का इतिहास और उत्पत्ति
Dree Festival की शुरुआत सदियों पहले अपातानी समुदाय द्वारा की गई थी। यह त्योहार कृषि कार्यों की शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। अपातानी लोग विश्वास करते हैं कि कुछ देवताओं को खुश करके फसलों की रक्षा और वर्षा की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
मुख्य रूप से इस दिन तामु, मिपी, डायी, और हर्नी अंग देवताओं की पूजा की जाती है। यह देवता कीटों, बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं से फसल को बचाने के लिए माने जाते हैं।
Dree Festival का धार्मिक महत्व
Dree Festival का प्रमुख उद्देश्य फसल की उन्नति, परिवार की खुशहाली और समाज में एकता बनाए रखना होता है। यह पर्व पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा, बलिदान, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भरा होता है।

लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनकर नृत्य करते हैं, संगीत बजाते हैं और सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं। इस दिन ‘मदिरा’ और ‘पकवान’ विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं जो समुदाय के सभी लोगों द्वारा मिल-बांटकर खाए जाते हैं।
Dree Festival में होने वाली परंपराएं
- पारंपरिक पूजा: देवताओं को बलि और प्रसाद चढ़ाना।
- लोकनृत्य और संगीत: युवा पारंपरिक वेशभूषा में सामूहिक नृत्य करते हैं।
- खेल–कूद प्रतियोगिताएं: तीरंदाजी, रस्साकशी जैसी गतिविधियों का आयोजन।
- स्थानीय व्यंजन: अपातानी शैली के विशेष भोजन बनाए जाते हैं।
- समुदाय भोज: सब मिलकर खाते हैं, जो एकता का प्रतीक है।
Dree Festival और अपातानी जनजाति का संबंध
Dree केवल एक त्योहार नहीं बल्कि अपातानी समुदाय की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व यह दर्शाता है कि कैसे यह जनजाति प्रकृति, कृषि और सामाजिक सहयोग को महत्व देती है।
अपातानी लोग अरुणाचल प्रदेश के निचले सुबनसिरी जिले के मुख्य निवासी हैं और वे अपनी समृद्ध संस्कृति, नाक की अनूठी सजावट और खेतों की सिंचाई की पारंपरिक विधियों के लिए जाने जाते हैं। Dree उनकी विरासत को जीवंत बनाए रखता है।
Dree Festival का आधुनिक स्वरूप
आज के युग में सिर्फ एक क्षेत्रीय उत्सव नहीं रहा। यह राज्य सरकार और टूरिज्म विभाग द्वारा भी प्रोत्साहित किया जाता है। राजधानी ईटानगर में हर साल इसका भव्य आयोजन होता है, जहां हजारों लोग भाग लेते हैं, जिनमें पर्यटक भी शामिल होते हैं।
आधुनिकता के साथ-साथ अपातानी लोग अपनी परंपराओं को भी बनाए रखे हुए हैं। इस आयोजन में अब डिजिटल माध्यम से भी सहभागिता बढ़ रही है।
कैसे मनाएं Dree Festival 2025
अगर आप इस साल Dree Festival को खास बनाना चाहते हैं, तो नीचे दिए सुझावों को अपनाएं:
- ईटानगर या जीरो घाटी की यात्रा करें
- स्थानीय हस्तशिल्प और संस्कृति को जानें
- अपातानी व्यंजन जरूर चखें
- पर्यावरण संरक्षण में भाग लें
- फेस्टिवल की झलकियों को सोशल मीडिया पर शेयर करें #DreeFestival2025
Dree Festival पर सरकारी समर्थन और पर्यटन
अरुणाचल प्रदेश सरकार और भारत सरकार का टूरिज्म मंत्रालय Dree Festival को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में जुटा है। इसका उद्देश्य न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और पहचान भी देना है।

Dree Festival से जुड़े प्रेरक विचार
“धरती को पूजा की जरूरत नहीं, उसे समझने की जरूरत है।”
“Dree Festival हमें सिखाता है कि खेती और प्रकृति पूजा का अनोखा संगम हमारी संस्कृति की जड़ है।”
Dree Festival केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन है, जो हमें प्रकृति, समाज और परंपराओं के महत्व को समझाता है। 5 जुलाई को इस त्योहार को मनाकर हम अपनी जड़ों से जुड़ सकते हैं और एक बेहतर समाज की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
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