नई दिल्ली, 19 जून ((ANI): PM नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कनाडा के कानानास्किस में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit) में हिस्सा लिया। इस सम्मेलन के दौरान PM मोदी ने विश्व नेताओं को भारत की सांस्कृतिक और पारंपरिक शिल्पकला से जुड़े विशिष्ट और बेमिसाल उपहार भेंट किए।
इन उपहारों ने न केवल भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को दुनिया के सामने पेश किया, बल्कि भारत की सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) का एक सशक्त उदाहरण भी प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री द्वारा जिन प्रमुख नेताओं को उपहार भेंट किए गए, उनमें शामिल थे:
- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों – डोक्रा नंदी
- जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ – कोणार्क व्हील की बलुआ पत्थर की प्रतिकृति
- ऑस्ट्रेलिया के PM एंथनी अल्बनीज – कोल्हापुरी चांदी का कलश
डोक्रा नंदी: भारत की आध्यात्मिकता और आदिवासी कला का मिलन
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को प्रधानमंत्री मोदी ने जो भेंट दी, वह डोक्रा नंदी की अद्भुत मूर्ति थी। यह मूर्ति पूर्वी भारत की जनजातीय धातु कारीगरी और तमिलनाडु की आध्यात्मिक परंपरा का मिश्रण है।
- डोक्रा कला भारत की सबसे प्राचीन लॉस्ट वैक्स (Lost Wax) धातु ढलाई तकनीक पर आधारित है, जो सदियों से चली आ रही है।
- मूर्ति की बनावट में जालीदार डिज़ाइन और सूक्ष्म नक्काशी इसे अत्यंत आकर्षक बनाते हैं।
- लाल रंग की काठी नंदी को राजसी रूप प्रदान करती है।
- यह केवल एक सजावटी वस्तु नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में धैर्य, भक्ति और शक्ति का प्रतीक मानी जाती है।

प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति को डोक्रा नंदी की मूर्ति सौंपी
कोणार्क चक्र: समय, धर्म और ब्रह्मांड का प्रतीक
जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ को प्रधानमंत्री मोदी ने भेंट में दी कोणार्क सूर्य मंदिर के प्रसिद्ध व्हील की प्रतिकृति।
- यह 13वीं सदी के भव्य कोणार्क सूर्य मंदिर (ओडिशा) से प्रेरित है।
- मूल चक्र को सूर्यघड़ी (Sundial) के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
- इसमें कुल 24 तीलियाँ हैं, जो दिन के 24 घंटे या वर्ष के 12 महीनों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- इस प्रतिकृति में नर्तकियों, पुष्प डिज़ाइनों और देवताओं की सुंदर नक्काशी की गई है।
- यह चक्र न केवल समय और ब्रह्मांड का प्रतीक है, बल्कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में भी इसे स्थान प्राप्त है।
- यह भेंट भारत की वैज्ञानिकता और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत उदाहरण रही।
कोल्हापुरी चांदी का कलश: मराठा कला की बेमिसाल पेशकश
ऑस्ट्रेलिया के PM एंथनी अल्बनीज को प्रधानमंत्री मोदी ने जो उपहार दिया, वह था कोल्हापुरी चांदी का कलश।
- यह सुंदर कलश शुद्ध चांदी से निर्मित है।
- इस पर फूलों और पायसली डिज़ाइन की बारीक नक्काशी की गई है।
- कलश पर बना सजावटी ढक्कन इसकी भव्यता में चार चाँद लगाता है।
- कोल्हापुरी चांदी के बर्तन पारंपरिक रूप से मंदिरों और राजमहलों में पवित्र जल या प्रसाद रखने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे।
- इन डिजाइनों में प्रकृति, मराठा संस्कृति और मंदिर वास्तुकला की झलक साफ दिखाई देती है।
- कोल्हापुरी चांदी अपने शुद्धता और महीन कारीगरी के लिए भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध है।

ऑस्ट्रेलियाई पीएम को कोल्हापुरी चांदी का कलश भेंट दिया
वैश्विक मंच पर भारतीय संस्कृति का संदेश
G7 शिखर सम्मेलन दुनिया के सात प्रमुख औद्योगिक देशों — अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली, कनाडा और यूरोपीय संघ का वार्षिक सम्मेलन है। प्रधानमंत्री मोदी की यह लगातार छठी G7 भागीदारी रही और 10 वर्षों में उनकी पहली कनाडा यात्रा थी।
PM मोदी द्वारा प्रस्तुत किए गए ये उपहार केवल प्रतीकात्मक उपहार नहीं हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने का माध्यम हैं। यह संदेश देते हैं कि भारत आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि संस्कृति और विरासत के क्षेत्र में भी वैश्विक मंच पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
भारत की सांस्कृतिक कूटनीति क्यों जरूरी?
- सांस्कृतिक कूटनीति देशों के बीच सॉफ्ट पावर बढ़ाती है।
- इससे भारत की छवि केवल एक आर्थिक शक्ति के रूप में ही नहीं, बल्कि एक संस्कृति संपन्न देश के रूप में भी मजबूत होती है।
- यह भारत के पर्यटन, हस्तशिल्प उद्योग और स्थानीय शिल्पकारों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करता है।
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