Global Unity for Taiwan: President Lai Thanks G7 for Supporting Stability in Taiwan Strait – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

ताइपेई [ताइवान], 19 जून: ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते (Lai Ching-te) ने हाल ही में संपन्न G7 शिखर सम्मेलन (G7 Summit) में ताइवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता बनाए रखने के प्रति समर्थन जताने पर G7 देशों का आभार व्यक्त किया है।

राष्ट्रपति लाई ने साफ-साफ कहा कि चीन की उकसावे वाली गतिविधियों (provocative actions) को लेकर अब वैश्विक स्तर पर एकजुटता बन रही है और दुनिया लोकतांत्रिक ताइवान के साथ खड़ी हो रही है। यह प्रतिक्रिया ताइवान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘Central News Agency (CNA)’ की रिपोर्ट पर आधारित है।

G7 अध्यक्षीय सारांश में चीन पर सख्त संदेश

यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई जब कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस में आयोजित G7 समिट के समापन पर जारी G7 अध्यक्षीय सारांश (Chair’s Summary) में ताइवान स्ट्रेट, पूर्वी चीन सागर और दक्षिणी चीन सागर में चीन की अस्थिर करने वाली गतिविधियों पर गंभीर चिंता जताई गई थी।

  • G7 देशों ने स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक (Indo-Pacific) क्षेत्र को बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई।
  • ताइवान स्ट्रेट (Taiwan Strait) में शांति बनाए रखना अब अंतरराष्ट्रीय एजेंडा का हिस्सा बन चुका है।
  • इसके अलावा, चीन की औद्योगिक नीतियों, वैश्विक बाजार में असंतुलन और अतिउत्पादन (Overcapacity) जैसे मुद्दों पर भी चिंता जताई गई।

सोशल मीडिया पर ताइवान का संदेश

राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) के जरिए G7 देशों को धन्यवाद देते हुए कहा:

“ताइवान समान विचारधारा वाले वैश्विक साझेदारों के साथ मिलकर चीन की दबाव नीति (coercion) का सामना करेगा और आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगा ताकि क्षेत्र में स्थायी शांति और समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।”

उनकी इस प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट संदेश गया कि ताइवान अब केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं रहा, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में उभर रहा है।

Global Unity for Taiwan: President Lai Thanks G7 for Supporting Stability in Taiwan Strait

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते G7 समर्थन के लिए सोशल मीडिया पर धन्यवाद व्यक्त करते हुए

ताइवान के विदेश मंत्री का बयान

ताइवान के विदेश मंत्री लिन चिया-लुंग (Lin Chia-lung) ने भी G7 नेताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह बयान दर्शाता है कि अब ताइवान स्ट्रेट में शांति बनाए रखना वैश्विक प्राथमिकता बन चुका है।

  • ताइवान के विदेश मंत्रालय (MOFA) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि G7 अध्यक्षीय सारांश में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में कानून के शासन पर आधारित स्वतंत्रता को समर्थन देने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
  • उन्होंने कहा कि यह लगातार दूसरा अवसर है जब G7 ने ताइवान के समर्थन में अपना रुख स्पष्ट किया है—पहले मार्च और अप्रैल में भी G7 विदेश मंत्रियों के संयुक्त बयानों में यही बात कही गई थी।

ताइवान-संबंधित वैश्विक समर्थन में निरंतर वृद्धि

इस ताजा घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि ताइवान के प्रति वैश्विक समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है, विशेषकर ऐसे समय में जब चीन बार-बार ताइवान के खिलाफ सैन्य और आर्थिक दबाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।

  • ताइवान ने स्पष्ट कर दिया है कि वह संप्रभुता, लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का समर्थक है।
  • अमेरिका, जापान, यूरोपीय संघ और अब G7 देशों का समर्थन ताइवान के लिए सुरक्षा कवच के रूप में उभर रहा है।

चीन पर वैश्विक चिंता क्यों?

G7 देशों द्वारा जारी बयानों में चीन की नीतियों को लेकर कई महत्वपूर्ण चिंताएं सामने आई हैं। ये चिंताएं केवल क्षेत्रीय स्थिरता तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसका सीधा प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर भी पड़ता है। मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

1️⃣ आर्थिक नीतियों से वैश्विक असंतुलन

चीन की आर्थिक नीतियाँ खास तौर पर औद्योगिक सब्सिडी और अनुचित व्यापार प्रथाओं पर आधारित हैं, जिससे वह अपने उत्पादों को अत्यधिक सस्ते दामों में वैश्विक बाजारों में बेचता है। इसका परिणाम यह होता है कि:

  • अन्य देशों के स्थानीय उद्योग कमजोर होते हैं।
  • वैश्विक बाजारों में मूल्य प्रतिस्पर्धा (Price Competition) असंतुलित हो जाती है।
  • न्यायसंगत व्यापार (Fair Trade) की भावना को नुकसान पहुंचता है।

2️⃣ Overcapacity (अति उत्पादन) के ज़रिए दबाव

चीन अपनी अति उत्पादन नीति (Overcapacity) के जरिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारी मात्रा में माल भेजता है, जिससे:

  • अन्य देशों की स्थानीय कंपनियां बंद होने की कगार पर पहुंच जाती हैं।
  • वैश्विक डिमांड-सप्लाई संतुलन बिगड़ जाता है।
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक रिश्तों में तनाव उत्पन्न होता है।

विशेष रूप से स्टील, सौर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन और टेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में यह प्रवृत्ति अधिक देखी जा रही है।

3️⃣ सैन्य गतिविधियाँ और क्षेत्रीय अस्थिरता

चीन की सैन्य आक्रामकता अब केवल उसके पड़ोसियों तक सीमित नहीं रही:

  • दक्षिणी चीन सागर में कृत्रिम द्वीप निर्माण और सैन्य ठिकानों का विस्तार क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा बन चुका है।
  • ताइवान स्ट्रेट में लगातार सैन्य अभ्यास और वायुसेना की घुसपैठ जैसी गतिविधियाँ संभावित संघर्ष (Potential Conflict) की स्थिति उत्पन्न कर रही हैं।
  • इससे न केवल एशिया-प्रशांत क्षेत्र, बल्कि वैश्विक व्यापार मार्ग (Sea Lanes of Communication) भी असुरक्षित होते जा रहे हैं।

Source | ANI

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