होमबाउंड की पहली समीक्षाएं: संवेदनशील विषयों को छूती एक प्रभावशाली फिल्म
नीरज घायवान द्वारा निर्देशित और करण जौहर द्वारा समर्थित फिल्म होमबाउंड ने 78वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में धूम मचा दी है। इस फिल्म का प्रीमियर यून सर्टेन रिगार्ड (Un Certain Regard) सेक्शन में हुआ, जो विश्व सिनेमा की कुछ बेहतरीन प्रस्तुतियों के लिए जाना जाता है।
यह फिल्म इस साल कान्स में दिखाई जाने वाली एकमात्र भारतीय फीचर फिल्म है, और इसके प्रति उम्मीदें शुरू से ही बहुत अधिक थीं। बुधवार को हुए प्रीमियर में फिल्म को 9 मिनट तक खड़े होकर तालियां (Standing Ovation) मिलीं। यदि समीक्षाओं पर विश्वास किया जाए, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि नीरज घायवान ने मसान के बाद एक बार फिर दर्शकों को झकझोर देने वाली कहानी दी है।
इशान खट्टर के अभिनय की मिली खास सराहना
प्रसिद्ध समीक्षक और Next Best Picture के एडिटर-इन-चीफ मैट नेगिया ने फिल्म की समीक्षा करते हुए इसे “सुंदर तरीके से कही गई एक कहानी” बताया। उन्होंने लिखा:
“होमबाउंड दो युवाओं की दोस्ती की कहानी है, जो आधुनिक भारत में पुलिस अधिकारी बनने की कोशिश करते हैं और एक बेहतर जीवन की उम्मीद रखते हैं।”
‘एक गहरी त्रासदी पर केंद्रित संवेदनशील फिल्म’
वेरायटी के लिए लिखते हुए सिद्धांत अदलखा ने फिल्म को “उत्कृष्ट” बताया। उन्होंने लिखा:
“होमबाउंड में सबसे ज्यादा असर डालने वाले मोड़ अचानक नहीं आते। फिल्म का निर्माण इतने सटीक तरीके से किया गया है कि वे व्यवस्थित असफलताओं को उजागर करते हुए धार्मिकता की गहराई तक पहुँचते हैं। यह एक गहरी त्रासदी है, जो अपने प्रभाव से झकझोर देती है।”
संवेदनशील जातिगत और धार्मिक मुद्दों को छूती है फिल्म
स्क्रीन इंटरनेशनल की समीक्षक एलिजाबेथ केर ने होमबाउंड की सराहना करते हुए इसे ‘ब्रेकआउट’ शीर्षक बनने की संभावना जताई। उन्होंने कहा:
“यह फिल्म मुस्लिम और अनुसूचित जाति (पूर्व में दलित) समुदाय के जीवन के कठिन वर्षों को दर्शाती है। यह भारत के तीव्र संघर्ष और गहन सामाजिक संरचनाओं की एक ज्वलंत तस्वीर पेश करती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि फिल्म बेहद सूक्ष्म है, लेकिन इसका संदेश अत्यंत प्रभावशाली है।
कहानी का सार: सपनों और संघर्षों की कहानी
कान्स फिल्म फेस्टिवल की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार:
“उत्तर भारत के एक छोटे गांव में दो बचपन के दोस्त पुलिस की नौकरी पाने का सपना देखते हैं, जो उन्हें वह गरिमा दिला सकती है जिससे वे हमेशा वंचित रहे हैं। लेकिन जब वे अपने लक्ष्य के करीब होते हैं, तो हताशा उनके रिश्ते की नींव को हिला देती है।”

फिल्म निर्माण से जुड़ी प्रमुख हस्तियाँ
इस फिल्म का निर्माण करण जौहर, अदर पूनावाला, अपूर्व मेहता, और सोमेन मिश्रा ने किया है। इसके अलावा सह-निर्माताओं में मारिज्क डी सूजा और मेलिटा टोस्कन डु प्लांटियर का भी योगदान है।
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