नई दिल्ली [भारत]: क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने अनुमान लगाया है कि भारतीय विमानन उद्योग वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) में 20,000-30,000 करोड़ रुपये (20-30 अरब रुपये) का शुद्ध घाटा दर्ज कर सकता है, जो पिछले वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के अनुमानित नुकसान के करीब रहेगा।
ईंधन महंगाई और प्रतिस्पर्धा बनी चुनौती
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में 16 अरब रुपये के शुद्ध लाभ के बाद फिर से घाटे की स्थिति बने रहने की संभावना है, क्योंकि एयरलाइंस महंगे एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) के बीच पर्याप्त यात्री भार कारक (PLF) बनाए रखने के प्रयास कर रही हैं।
हालांकि, घरेलू हवाई यात्रा की मांग मजबूत बनी हुई है, लेकिन प्रतिस्पर्धात्मक दबाव और मूल्य संवेदनशीलता के कारण टिकट दरों में भारी वृद्धि की संभावना नहीं है। इसके साथ ही, महंगे ईंधन और बढ़ती लागत मुनाफे पर असर डाल सकती है।
लीज देनदारियों और ब्याज लागत में वृद्धि
आईसीआरए ने कहा कि वित्त वर्ष 26 में कई एयरलाइनों द्वारा विमानों की डिलीवरी लेने के कारण लीज देनदारियों और ब्याज लागत में वृद्धि होगी। इससे वित्तपोषण लागत बढ़ेगी और मार्जिन और घट सकता है।
हालांकि, यह घाटा कोविड-19 काल में हुए नुकसान से काफी कम है। विमानन उद्योग ने वित्त वर्ष 2021-22 में 23,500 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2022-23 में 17,400 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था।
रिपोर्ट में बताया गया कि वित्तीय दबाव के बावजूद, उद्योग का ब्याज कवरेज अनुपात FY26 में 1.5-2.0 गुना के बीच रहने की उम्मीद है, जो ऋण सेवा क्षमता में स्थिरता का संकेत है।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्री यातायात में वृद्धि
जून 2025 में भारत में घरेलू हवाई यात्री यातायात 138.7 लाख रहा, जो जून 2024 (132.1 लाख) की तुलना में 5.1% अधिक है। हालांकि, पिछले महीने की तुलना में इसमें 1.3% की मामूली गिरावट दर्ज की गई।
जून 2025 में एयरलाइनों की क्षमता तैनाती जून 2024 की तुलना में 4.9% अधिक रही, लेकिन मई 2025 की तुलना में 2.3% कम रही।वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) में घरेलू यात्री यातायात 422.4 लाख रहा, जो सालाना आधार पर 5.1% की वृद्धि दर्शाता है।
मई 2025 तक, भारतीय एयरलाइनों का अंतरराष्ट्रीय यात्री यातायात 29.7 लाख रहा, जो सालाना आधार पर 7.3% अधिक है। हालांकि, भू-राजनीतिक चुनौतियों के चलते इसमें पिछले महीने की तुलना में 7.9% की गिरावट आई।
वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में अंतरराष्ट्रीय यात्री यातायात 59.8 लाख रहा, जो वर्ष दर वर्ष 12.1% की वृद्धि है। FY25 (अप्रैल 2024-मार्च 2025) में घरेलू हवाई यात्री यातायात 1,653.8 लाख रहा, जो 7.6% सालाना वृद्धि को दर्शाता है, जबकि अंतरराष्ट्रीय यात्री यातायात 338.6 लाख रहा, जिसमें 14.1% की वार्षिक वृद्धि हुई।
भारतीय विमानन उद्योग ने कोविड-19 के झटकों से उबरकर यात्री यातायात में वृद्धि हासिल की है, लेकिन ईंधन लागत और प्रतिस्पर्धात्मक दबाव के कारण FY26 में शुद्ध घाटा जारी रह सकता है। इसके बावजूद, ब्याज कवरेज अनुपात में सुधार और यात्री वृद्धि आने वाले समय में उद्योग के वित्तीय लचीलापन को बढ़ाने में मदद कर सकती है।
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