भारत और अमेरिका के बीच Trade संबंध हमेशा उतार-चढ़ाव से भरे रहे हैं। लेकिन 2025 में यह संबंध एक नए मोड़ पर आ चुका है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दिए बयान में कहा कि अमेरिका “एक बड़ा और पारदर्शी Trade समझौता” चाहता है, जिससे व्यापारिक बाधाएं समाप्त हों और दोनों देश एक मजबूत आर्थिक साझेदारी की ओर बढ़ें। यह बयान ऐसे समय आया है जब दोनों देशों के बीच 90-दिन की टैरिफ छूट अवधि समाप्त होने वाली है।
ट्रंप की रणनीति: Trade को सुरक्षा नीति से जोड़ना?
डोनाल्ड ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा:
“भारत-अमेरिका Trade समझौता बड़ा हो सकता है — अविश्वसनीय जैसा लगे, लेकिन प्रयास जारी हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका हर देश से Trade समझौता नहीं करेगा—कुछ देशों को सिर्फ टैक्स देना होगा। इसका स्पष्ट संकेत यह है कि अमेरिका अब चुनिंदा देशों के साथ ही सामरिक और रणनीतिक Trade समझौते करना चाहता है। भारत अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति में अहम भागीदार है, और ऐसे में यह समझौता केवल व्यापारिक नहीं बल्कि भूराजनीतिक महत्व भी रखता है।
Trade वार्ता की वर्तमान स्थिति
भारत की ओर से वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन पहुंच चुका है, और अमेरिका के Trade प्रतिनिधियों के साथ गहन वार्ता जारी है। 9 जुलाई से पहले समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिशें तेज़ कर दी गई हैं, क्योंकि 90-दिन की टैरिफ छूट खत्म होने वाली है।
भारत-अमेरिका के बीच वर्तमान द्विपक्षीय Trade वर्ष 2024 में $200 बिलियन के करीब था, जो 2020 में $146 बिलियन था। इस तेज़ वृद्धि को स्थायी बनाने के लिए व्यापार समझौता जरूरी माना जा रहा है।
मुख्य मुद्दे: किसे क्या चाहिए?
अमेरिका की मांगें:
- कृषि और डेयरी क्षेत्र में टैरिफ कटौती
- अमेरिका चाहता है कि भारत GMO फसलों पर नियंत्रण हटाए
- डेयरी उत्पादों पर आयात ड्यूटी में छूट दी जाए
- औद्योगिक उत्पादों में टैक्स कटौती
- इलेक्ट्रिक वाहन, वाइन, पेट्रोकेमिकल, सॉया, मक्का जैसे उत्पादों को छूट मिले
- बायोटेक और डेटा प्रोटेक्शन
- अमेरिका चाहता है कि भारत बायोटेक कंपनियों के लिए एक स्पष्ट और अनुमोदन-अनुकूल नीति बनाए
भारत की प्राथमिकताएं:
- श्रम-प्रधान उद्योगों को लाभ
- कपड़ा, जेम्स और ज्वेलरी, चमड़ा, परिधान, प्लास्टिक, केमिकल्स को टैक्स छूट मिले

- कृषि और दुग्ध उत्पादों पर सुरक्षा
- भारत के 12 करोड़ छोटे किसान और 6 करोड़ डेयरी किसान इस सेक्टर में कार्यरत हैं
- FTA (Free Trade Agreement) में अब तक भारत ने डेयरी सेक्टर को नहीं खोला है
- GMO पर राष्ट्रीय सुरक्षा
- भारत का मानना है कि GMO फसलों को अनुमति देना खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता के लिए खतरा बन सकता है
क्यों समझौता ‘अविश्वसनीय’ जैसा लग रहा है?
ट्रंप के “अविश्वसनीय” शब्द का संकेत भारत और अमेरिका के बीच गहरे नीतिगत मतभेदों की ओर है:
- भारत की आत्मनिर्भर कृषि नीति बनाम अमेरिका की मुक्त बाज़ार मांग
- GMO और जैव-प्रौद्योगिकी को लेकर विज्ञान बनाम नीति की टकराहट
- राष्ट्रीय सुरक्षा, खाद्य स्वावलंबन और किसान कल्याण जैसे मुद्दों पर भारत का रुख कड़ा
भारत सरकार के अनुसार:
“राष्ट्र और किसानों के हित के खिलाफ कोई समझौता नहीं होगा।”
यह बयान बताता है कि भारत अमेरिका की हर मांग स्वीकार नहीं करेगा।
ऐतिहासिक संदर्भ और कूटनीतिक पृष्ठभूमि
फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह सहमति बनी थी कि दोनों देश एक “निष्पक् समझौता करेंगे। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे भारत के दीर्घकालिक व्यापार हितों के अनुरूप बताया था।
लेकिन अमेरिका के घरेलू चुनावी परिदृश्य में ट्रंप की वापसी की संभावना और चीन के साथ व्यापारिक तनाव की पृष्ठभूमि में, यह समझौता अमेरिका के लिए भी सामरिक जरूरत बन चुका है।
भारत की चुनौतियाँ: क्या खोएगा देश?
- दुग्ध सेक्टर में खुलापन छोटे किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है
- GMO नीति में बदलाव पर जैविक खेती और परंपरागत बीज प्रणाली संकट में आ सकती है
- औद्योगिक शुल्क कटौती से घरेलू उत्पादों पर अमेरिकी सामान की बाढ़ आ सकती है
आगे की राह: संतुलन बनाना है लक्ष्य

9 जुलाई से पहले:
- टैरिफ छूट समाप्त हो जाएगी
- इसलिए समझौते पर दबाव बढ़ेगा
वार्ता के अगले चरण में:
- राजकोषीय रूपरेखा, GMO लाइसेंसिंग और पेटेंट कानूनों की समीक्षा की जाएगी
- डेटा शेयरिंग और डिजिटल व्यापार भी चर्चा में रहेंगे
भारत का लक्ष्य:
- ‘स्वदेशी कृषि’, ‘किसान कल्याण’, और ‘रोज़गार संरचना’ से समझौता नहीं करना
- अमेरिका के साथ साझेदारी मजबूत करना, लेकिन “अपनी शर्तों” पर
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