Israel-Hamas War एक बार फिर दुनिया की नजरों में है, क्योंकि गाजा पट्टी में हालात और भी बदतर होते जा रहे हैं। इस्राइली हवाई हमलों में दीर अल-बलाह क्षेत्र में 21 फलस्तीनियों की मौत हो गई है, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं।
युद्ध, नाकेबंदी और राहत सामग्री की कमी ने गाजा को एक मानवीय संकट में धकेल दिया है। भुखमरी, अराजकता और लूटपाट आम हो चुकी है।
गाजा में तीन अलग–अलग हमलों में मौतें
- पहला हमला: गाजा सिटी के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में एक मकान पर इस्राइली एयरस्ट्राइक हुई, जिसमें 12 लोगों की मौत हुई। मरने वालों में 6 बच्चे और 2 महिलाएं थीं।
- दूसरा हमला: तल अल-हवा क्षेत्र में एक अपार्टमेंट को निशाना बनाया गया, जिसमें 6 लोगों की जान गई, जिनमें एक गर्भवती महिला और 3 बच्चे शामिल थे।
- तीसरा हमला: गाजा सिटी के नासेर क्षेत्र में एक तंबू पर बम गिराया गया, जिसमें 3 बच्चों की जान चली गई।
इस्राइली सेना ने इन हमलों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। सामान्यतः सेना यह कहती रही है कि हमास नागरिक क्षेत्रों से हमला करता है, जिससे आम लोगों की मौतें होती हैं।
गंभीर होती भुखमरी और अराजकता
गाजा में करीब 20 लाख की आबादी है, और अब वहां खाद्य सामग्री की भारी कमी है। इस्राइल की नाकेबंदी के चलते लोगों को रोज़ाना की जरूरत की चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं।
- राहत सामग्री लूटने के मामले बढ़ गए हैं
- कानून–व्यवस्था चरमरा गई है
- बच्चों में कुपोषण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं
संयुक्त राष्ट्र ने यह जानकारी दी कि मई 2024 से अब तक 1,000 से अधिक नागरिक, सिर्फ खाना पाने की कोशिश में मारे गए हैं। ये मौतें उन केंद्रों के पास हुईं जहां अमेरिकी मदद से राहत सामग्री बंटी जा रही थी।
युद्ध में अब तक 59,000 फलस्तीनी मारे गए
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस युद्ध में अब तक 59,000 से अधिक फलस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है। इनमें से 50% से अधिक महिलाएं और बच्चे हैं।
गौर करने की बात यह है कि यह मंत्रालय हमास प्रशासन का हिस्सा है, लेकिन इसमें काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मी पेशेवर डॉक्टर हैं।
संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियां इन आंकड़ों को सबसे विश्वसनीय मानती हैं।
मानवाधिकार संगठनों का आक्रोश
बुधवार को 109 अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और राहत संस्थाओं ने एक साझा पत्र जारी किया, जिसमें गाजा की स्थिति को “जनसंहार की स्थिति“ बताया गया।
- पत्र में इस्राइल पर राहत सामग्री पहुंचाने में बाधा डालने का आरोप लगाया गया
- राहत केंद्रों पर हुए हमलों को “मानवता के खिलाफ अपराध“ करार दिया
- उन्होंने तत्काल युद्धविराम और बड़े पैमाने पर राहत पहुंचाने की मांग की
इस्राइल का दावा है कि उसने हजारों ट्रक मदद गाजा में भेजे हैं, लेकिन राहत न पहुंच पाने के लिए एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया।
आर्थिक और राजनीतिक दबाव भी बढ़ा
- अमेरिका और यूरोपीय देशों से राजनयिक दबाव बढ़ रहा है
- ICJ और ICC जैसी संस्थाएं युद्ध अपराध की जांच की मांग कर रही हैं
- गाजा में बिगड़ती स्थिति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भी सक्रिय किया है
मीडिया और इंटरनेट पर सख्ती

गाजा से बाहर सच्चाई पहुंचाना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है। इंटरनेट बंद, पत्रकारों की मौत और धमकियों की वजह से स्थानीय मीडिया साइलेंट होता जा रहा है।
- कई अंतरराष्ट्रीय पत्रकार संगठनों ने गंभीर चिंता जताई
- सोशल मीडिया पर वीडियोज़ और तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो मानवाधिकार उल्लंघन को दर्शाती हैं
जनता की नजर में युद्ध और पीड़ा
- फलस्तीनी जनता खुद को फंसा हुआ और लाचार मान रही है
- इजरायली नागरिकों में भी सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है
- आम लोगों का जीवन राजनीति और आतंक की भेंट चढ़ चुका है
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