Jagannath Rath Yatra 2025 भारत के सबसे भव्य और पवित्र धार्मिक आयोजनों में से एक है, जो 27 जून को पुरी, ओडिशा में शुरू होगा। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथयात्रा के रूप में मनाई जाती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु रथ खींचने के लिए एकत्र होते हैं।
रथ निर्माण और पवित्रता की परंपरा
Jagannath Rath Yatra 2025 के लिए तीन विशाल रथ बनाए जा रहे हैं—नंदीघोष (16 पहिए), तालध्वज (14 पहिए), और दर्पदलन (12 पहिए)। कुल 42 पहियों से युक्त ये रथ पवित्र नीम की लकड़ी से बनाए जाते हैं। हर रथ विशेष आकार, रंग और झंडों से सजाया जाता है, जो देवताओं की विशेषताओं को दर्शाते हैं।
रथयात्रा के बाद लकड़ी और पहियों का क्या होता है?
Jagannath Rath Yatra 2025 के बाद, कुछ रथों के पवित्र पहिए भक्तों को नीलामी के माध्यम से दिए जाते हैं, जिसकी कीमत ₹50,000 से शुरू होती है। बाकी की पवित्र लकड़ी को जगन्नाथ मंदिर के रसोईघर में उपयोग किया जाता है या फिर ‘प्रसाद’ के रूप में बांट दिया जाता है। इससे श्रद्धा और उपयोगिता दोनों कायम रहती है।
बड़ी सुरक्षा और प्रबंधन तैयारियाँ
Jagannath Rath Yatra 2025 के लिए 205 पुलिस प्लाटून, ATS कमांडो, बम निरोधक दस्ते, और AI-आधारित CCTV तैनात किए गए हैं। ड्रोन का उपयोग निषिद्ध है। ट्रैफिक और भीड़ नियंत्रण के लिए Integrated Control Room बनाया गया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए “Shree Jagannatha Dham” ऐप लॉन्च किया गया है, जो मार्गदर्शन और लाइव अपडेट देगा।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजन
Jagannath Rath Yatra 2025 केवल पुरी तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर और विदेशों में भी मनाई जा रही है:
- प्रयागराज: पर्यावरण-अनुकूल रथ और 7-दिन का उत्सव
- इलाहाबाद: रत्नों से सजे भव्य विग्रह
- रांची: ₹7 लाख का 40 फीट ऊंचा लकड़ी का रथ
- लागोस (नाइजीरिया): 1000+ श्रद्धालु यत्रा में शामिल
- अमेरिका: कई शहरों में सप्ताहभर चलने वाले आयोजन
Jagannath Rath Yatra 2025 का महत्वपूर्ण कैलेंडर
आयोजन | तिथि |
---|---|
स्नान पूर्णिमा | 11 जून |
अनवसरा | 13–26 जून |
गुंडिचा मार्जना | 26 जून |
रथ यात्रा | 27 जून |
हेरा पंचमी | 1 जुलाई |
बहुदा यात्रा | 4–5 जुलाई |
सुनाबेशा | 5 जुलाई |
नीलाद्री विजय | 5 जुलाई |
श्रद्धालु रथ क्यों खींचते हैं?
Jagannath Rath Yatra 2025 में रथ खींचना मोक्ष की प्राप्ति का प्रतीक है। मान्यता है कि रथ खींचने से ईश्वर और भक्त के बीच सीधा संबंध स्थापित होता है। यह सेवा का सर्वोच्च रूप माना जाता है।
बहुदा यात्रा और नीलाद्री विजय
Jagannath Rath Yatra 2025 के नौ दिनों के बाद, बहुदा यात्रा होती है, जिसमें देवता वापस मंदिर लौटते हैं। इसके बाद सुनाबेशा और नीलाद्री विजय के पावन अनुष्ठान होते हैं। नेत्रदान (नेत्र अनुष्ठान) के जरिए देवताओं की दृष्टि पुनर्स्थापित की जाती है, जो प्रतीकात्मक रूप से उनकी दिव्यता को लौटाता है।

तकनीक और परंपरा का मेल
Jagannath Rath Yatra 2025 में परंपरा के साथ तकनीक का भी उपयोग हो रहा है। पुरी प्रशासन ने “Shree Jagannatha Dham” ऐप लॉन्च किया है, जिससे भक्त लाइव रथ स्थिति, भीड़ की जानकारी और पार्किंग अपडेट प्राप्त कर सकते हैं। वहीं कोलकाता में ISKCON द्वारा QR कोड से रथ ट्रैकिंग की सुविधा भी दी गई है।
शांति और एकता का संदेश
Jagannath Rath Yatra 2025 इस वर्ष केवल भक्ति नहीं, बल्कि शांति और वैश्विक एकता का संदेश भी दे रही है। देश और विदेश में फैलते तनाव के बीच यह यात्रा आध्यात्मिक ऊर्जा और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक बनकर उभरी है।
Jagannath Rath Yatra 2025 के लिए सुरक्षा सुझाव
- आधिकारिक ऐप से अपडेट लेते रहें
- केवल निर्धारित मार्गों का पालन करें
- ड्रोन का प्रयोग न करें
- पानी साथ रखें और हल्के कपड़े पहनें
- भीड़ में बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान रखें
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