जापान समर्थित रिपोर्ट में पाकिस्तान के गहराते शिक्षा संकट का खुलासा, 2.5 करोड़ से अधिक बच्चे स्कूल से बाहर
इस्लामाबाद [पाकिस्तान]: पाकिस्तान एक गंभीर शिक्षा संकट का सामना कर रहा है, जहां 5-16 वर्ष आयु वर्ग के 2.53 करोड़ से अधिक बच्चे स्कूल से बाहर हैं। यह संकट, पहले से ही शिक्षा तक सीमित पहुंच से जूझ रहे देश में, भविष्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन रहा है।
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
ये आंकड़े अल्लामा इकबाल ओपन यूनिवर्सिटी (AIOU) में जारी “पाकिस्तान अनौपचारिक शिक्षा रिपोर्ट 2023-24” में सामने आए हैं। रिपोर्ट को पाकिस्तान शिक्षा संस्थान (PIE) ने शिक्षा मंत्रालय और जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) के सहयोग से तैयार किया है।
रिपोर्ट लॉन्च के दौरान संघीय शिक्षा मंत्री खालिद मकबूल सिद्दीकी ने कहा: “कोविड-19 महामारी और हाल की बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने शिक्षा संकट को और बदतर बना दिया है। यह रिपोर्ट हमें लक्षित नीतियां बनाने में मदद करेगी।”
अनौपचारिक शिक्षा बन रही है जीवनरेखा
जहां औपचारिक शिक्षा तक पहुंच सीमित है, वहीं अनौपचारिक शिक्षा (NFE) पाकिस्तान में लाखों बच्चों और युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा बनकर उभर रही है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि Accelerated Learning Programs (ALP), विशेषकर ALP (मध्य-तकनीकी) मॉडल का विस्तार किया जाए, जिनकी प्रतिधारण दर 70% है और जो शैक्षणिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण दोनों उपलब्ध कराते हैं। इसके साथ ही क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने, वयस्क साक्षरता में सुधार लाने और डेटा संग्रह एवं उसके प्रभावी उपयोग को सशक्त करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।
नामांकन में वृद्धि और चुनौतियां
डॉन न्यूज़ के अनुसार, पाकिस्तान में वर्तमान में 35,427 अनौपचारिक शिक्षा (NFE) केंद्र संचालित हैं, जो 1.29 मिलियन से अधिक शिक्षार्थियों को सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, और यह पिछले वर्ष की तुलना में नामांकन में 20 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसके बावजूद, शिक्षा क्षेत्र में वित्तीय और प्रशासनिक अक्षमताएं लगातार चुनौती बनी हुई हैं, जिसके कारण लाखों बच्चे अभी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हैं।
नीति और सुधार की दिशा में उठाए जा रहे कदम
सिद्दीकी ने घोषणा की: संघीय अनौपचारिक शिक्षा नीति 2025 और राष्ट्रीय अनौपचारिक शिक्षा नीति 2025 के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना विकासाधीन हैं। डेटा आधारित नीति निर्माण और एक कार्यशील शिक्षा प्रबंधन सूचना प्रणाली (EMIS) पर बल दिया गया है। NFE शिक्षकों के लिए मानकीकृत मूल्यांकन प्रणाली लाने और स्कूल न जाने वाले बच्चों को कक्षाओं में लाने के लिए व्यापक प्रबंधन ढांचे की योजना बनाई गई है।
उन्होंने सभी हितधारकों से रिपोर्ट के डेटा का उपयोग कर शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता सुधारने का आग्रह किया।
शिक्षा पर पाकिस्तान की नाकामी: राष्ट्रीय विश्वासघात
हालांकि जापान जैसे साझेदारों और नीति घोषणाओं के बावजूद, पाकिस्तान शिक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता में बदलने में विफल रहा है। जनवरी से दिसंबर तक दिए जाने वाले वादों और भाषणों के बीच, गरीब बच्चे गरीबी और निरक्षरता के दुष्चक्र में फंसे हुए हैं। पाकिस्तान में सार्वजनिक शिक्षा अभी भी अपर्याप्त वित्तपोषित, कमजोर नियमन वाली और अधिकांश बच्चों की पहुंच से बाहर है, खासकर हाशिए पर रहने वाली लड़कियों और समुदायों के लिए।
शिक्षा संकट केवल नीतिगत विफलता नहीं
रिपोर्ट इस ओर संकेत करती है कि पाकिस्तान का शिक्षा संकट: “केवल नीतिगत विफलता नहीं है, बल्कि यह दशकों की सरकारी उपेक्षा और राजनीतिक उदासीनता से उत्पन्न राष्ट्रीय विश्वासघात है।”
यदि तत्काल, सशक्त और ईमानदार प्रयास नहीं किए गए, तो यह शिक्षा संकट पाकिस्तान की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए दीर्घकालिक संकट में बदल जाएगा।
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