कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 एक ऐतिहासिक क्षण बनकर सामने आई है, क्योंकि पांच साल के लंबे अंतराल के बाद यह पवित्र तीर्थयात्रा एक बार फिर शुरू हो गई है। शुक्रवार को सिक्किम के नाथूला दर्रे से राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर ने पहले जत्थे को रवाना कर इस पुनरारंभ का औपचारिक उद्घाटन किया।
नाथूला से हुआ कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का शुभारंभ
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 के पहले जत्थे में कुल 36 सदस्य शामिल हैं, जिनमें 33 श्रद्धालु, दो नोडल अधिकारी और एक आईटीबीपी डॉक्टर शामिल हैं। यात्रा को भारतीय विदेश मंत्रालय, सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। राज्यपाल माथुर ने इस मौके पर कहा,
“यह सिक्किम के लिए गर्व का क्षण है कि यह ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा फिर से इस पवित्र भूमि से आगे बढ़ रही है।”
भारत-चीन सहयोग का प्रतीक बनी कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 के दोबारा शुरू होने को भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक और राजनयिक संबंधों की पुनर्स्थापना के रूप में देखा जा रहा है। यह यात्रा COVID-19 महामारी के कारण 5 वर्षों तक स्थगित रही थी, लेकिन अब यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सांस्कृतिक निरंतरता का प्रतीक बन चुकी है।
तीर्थयात्रियों की फिटनेस जांच और उच्च हिमालयी प्रशिक्षण
यात्रा से पहले तीर्थयात्रियों की कठोर चिकित्सा जांच की गई और उन्हें दो चरणों में high-altitude acclimatisation प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। पहला चरण 18वें मील और दूसरा शेराथांग में हुआ। यह प्रक्रिया 14,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित कठिन जलवायु के लिए उन्हें तैयार करने के लिए अनिवार्य थी। भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया,
“कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 के सभी यात्री पूरी तरह फिट घोषित किए गए हैं।”
श्रद्धालुओं की भावनाएं और अनुभव
श्रद्धालु शालंदा शर्मा ने कहा,
“कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का पुनरारंभ भारत और चीन के बीच आपसी समझ का नतीजा है। व्यवस्था, चिकित्सा और आतिथ्य प्रशंसनीय है।”
वहीं एक अन्य श्रद्धालु इंदर शर्मा ने कहा,
“Sikkim Tourism और STDC ने जो इंतजाम किए हैं, वे शानदार हैं। हम आशीर्वाद लेकर लौटेंगे और आशा करते हैं कि भविष्य में और अधिक लोगों को यह अवसर मिले।”
यात्रा का अगला चरण: चीन सीमा में प्रवेश
सुबह 9:15 बजे तक जत्थे के सदस्यों ने नाथूला बॉर्डर पार कर चीन की सीमा में प्रवेश किया, जहाँ इमिग्रेशन की औपचारिकताओं के बाद उनकी यात्रा कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की ओर आगे बढ़ी।

धार्मिक महत्व और पर्यटन के लिए वरदान
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे सिक्किम के पर्यटन को भी नई पहचान मिलेगी। सिक्किम के पर्यटन मंत्री त्सेरिंग थेंडुप भूटिया ने कहा,
“इतिहास बन रहा है क्योंकि भक्तों का यह जत्था नाथूला से कैलाश की यात्रा पर जा रहा है। यह यात्रा पर्यटन को भी बढ़ावा देगी।”
यात्रा आयोजन में जुड़े प्रमुख संस्थान
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 के सफल संचालन में कई महत्वपूर्ण भारतीय संस्थानों की भूमिका रही है। इस पवित्र तीर्थयात्रा को सुचारू, सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से आयोजित करने के लिए भारत सरकार का विदेश मंत्रालय, सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और भारतीय सेना ने आपसी समन्वय और सहयोग के साथ काम किया है। इन सभी संस्थानों ने न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि चिकित्सा, लॉजिस्टिक और प्रशासनिक व्यवस्था को भी बेहतरीन ढंग से संभाला, जिससे यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए एक स्मरणीय और आध्यात्मिक अनुभव बन सकी।
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025: श्रद्धा, संस्कृति और संयम की मिसाल
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का पुनः आरंभ एक नई आशा, शांति और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक बन गया है। यह यात्रा धार्मिक श्रद्धा से जुड़ी होने के साथ-साथ भारत-चीन के रिश्तों को मजबूती देने का भी एक अवसर है। आने वाले दिनों में दूसरे जत्थे की भी तैयारी जारी है, जो इस यात्रा को और भी व्यापक बनाएगा।
Source | ANI
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