महाराणा प्रताप जयंती 2025: जानिए इस महान योद्धा की जीवनगाथा और प्रेरक बातें
महाराणा प्रताप जयंती 2025 पर जानिए उनके जीवन से जुड़ी वीरता, आत्मबल और बलिदान की प्रेरक कहानियाँ, जो आज भी युवाओं के लिए मार्गदर्शक हैं।
महाराणा प्रताप जयंती 2025: वीरता, आत्मगौरव और स्वतंत्रता का प्रतीक
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को महान योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष महाराणा प्रताप जयंती 29 मई 2025 को मनाई जाएगी। उनका जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था। वे मेवाड़ के 13वें शासक उदय सिंह द्वितीय के सबसे बड़े पुत्र थे।
राजपूताना गौरव: महाराणा प्रताप
महाराणा प्रताप सिसोदिया वंश से संबंधित थे और राजपूत परंपरा के प्रतीक माने जाते हैं। वे केवल एक शासक नहीं बल्कि स्वतंत्रता, स्वाभिमान और वीरता की मूर्ति थे। उन्होंने जीवनभर मुगलों की अधीनता को अस्वीकार किया और स्वतंत्र मेवाड़ राज्य को बचाने के लिए अनेक संघर्ष किए।
बचपन से ही योद्धा बनने का सफर
महाराणा प्रताप ने युवा अवस्था में ही तलवारबाज़ी, घुड़सवारी और युद्धनीति में निपुणता प्राप्त कर ली थी। उनका शरीर बलशाली और व्यक्तित्व तेजस्वी था। कहा जाता है कि उनका कद 7 फीट 5 इंच था और युद्ध के समय वे 80 किलो का कवच पहनते थे। कुल मिलाकर वे लगभग 208 किलो वजन के हथियारों के साथ युद्ध में उतरते थे।

हल्दीघाटी का ऐतिहासिक युद्ध
8 जून 1576 को महाराणा प्रताप और अकबर के सेनापति राजा मान सिंह के बीच हल्दीघाटी का युद्ध हुआ था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप के पास लगभग 20,000 सैनिक थे, जबकि मुगलों की सेना करीब 80,000 की संख्या में थी।
इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने अद्भुत रणनीति, साहस और देशभक्ति का प्रदर्शन किया। उनका प्रिय घोड़ा चेतक, जिसने युद्ध में वीरगति पाई, आज भी वीरता का प्रतीक माना जाता है।
जीवनभर संघर्ष, पर अधीनता नहीं
हालांकि हल्दीघाटी का युद्ध निर्णायक नहीं रहा, लेकिन महाराणा प्रताप ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने जंगलों में रहकर, घास की रोटियाँ खाकर भी अपने राज्य को पुनः संगठित किया और कई क्षेत्रों पर पुनः अधिकार कर लिया।
उन्होंने कभी भी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और आजीवन स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्षरत रहे। उनके इस त्याग और संघर्ष को भारतवर्ष सदैव नमन करता रहेगा।
चेतक: वफादारी और बलिदान की मिसाल
महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक न केवल एक जानवर था बल्कि उनके लिए एक योद्धा और मित्र जैसा था। चेतक ने घायल होने के बावजूद अपने स्वामी को युद्ध क्षेत्र से बाहर निकाला और अंत में वीरगति को प्राप्त हुआ। चेतक की वीरता की कथा आज भी राजस्थानी लोकगीतों और कथाओं में जीवित है।

प्रेरणादायक जीवन से जुड़ी प्रमुख बातें
- महाराणा प्रताप का जीवन स्वतंत्रता और स्वाभिमान की जीती-जागती मिसाल है।
- उन्होंने कभी भी मुगलों के सामने झुकने से इनकार किया।
- उनका उद्देश्य केवल युद्ध नहीं, बल्कि स्वतंत्र आत्मा की रक्षा था।
- वे जनप्रिय शासक थे जो प्रजा के हितों को सर्वोपरि रखते थे।
- उनके बलिदान और संघर्ष ने आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति और आत्मबल की प्रेरणा दी।
महाराणा प्रताप का जीवन हमें सिखाता है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर मन में स्वाभिमान और उद्देश्य के प्रति अडिगता हो, तो कोई भी शक्ति हमें झुका नहीं सकती। उनकी जयंती केवल एक स्मरण नहीं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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📄 This content was originally published on jagran on 2025-05-26. Read the original article here: https://www.jagran.com/spiritual/religion-maharana-pratap-jayanti-2025-history-of-maharana-pratap-in-hindi-23943754.html
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