पेरिस एयर शो 2025 में इजरायली हथियारों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध ने अंतरराष्ट्रीय विवाद खड़ा कर दिया है। फ्रांस सरकार के निर्देश पर इजरायली पवेलियन को काले पर्दों से ढक दिया गया। इस फैसले को इजरायल ने यहूदी विरोध और राजनीतिक साजिश बताया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट, जहां आपको मिलेगा इस घटनाक्रम का विस्तृत विश्लेषण और वैश्विक प्रतिक्रिया।
पेरिस एयर शो 2025, जो कि विश्व का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक एयरोस्पेस आयोजन है, इस बार राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया। 16 जून 2025 को पेरिस के Le Bourget एयरपोर्ट पर जब शो शुरू हुआ, तो इजरायल के पवेलियन के चारों ओर काले पर्दे लगाए गए, जिससे उनकी हथियार प्रणाली प्रदर्शन से हटा दी गई।
इजरायल का विरोध – “अभूतपूर्व और शर्मनाक कदम”
इजरायली रक्षा मंत्रालय ने इस कार्रवाई को “अभूतपूर्व और अपमानजनक” बताया है। मंत्रालय का कहना है कि यह निर्णय फ्रांस सरकार के दबाव में लिया गया, जिसने इजरायल की कंपनियों को आक्रामक हथियारों को हटाने के लिए मजबूर किया। इजरायली रक्षा मंत्रालय के महानिदेशक अमीर बराम ने एक बयान में कहा:
“इजरायल को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, जबकि चीन और तुर्की जैसे अधिनायकवादी देश बिना किसी रोक-टोक के प्रदर्शनी में हिस्सा ले रहे हैं।”
Times of Israel की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली अधिकारी पूरी तैयारी कर चुके थे, लेकिन रातोंरात काले पर्दे लगाकर उनके हथियार प्रदर्शन को बाकी दुनिया से अलग-थलग कर दिया गया। इजरायल के प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि यह कदम न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह फ्रांस की रक्षा कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा को रोकने का प्रयास भी है।
इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्री के CEO बोले – “हमें यहूदी होने की सजा दी जा रही है”
इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्री (IAI) के CEO बोअज लेवी, जो स्वयं होलोकॉस्ट सर्वाइवर के पुत्र हैं, ने इसे यहूदी विरोध करार दिया। उन्होंने कहा:
“यह अस्वीकार्य है कि आज, होलोकॉस्ट के 100 साल भी नहीं हुए हैं, और हमें धर्म के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।”
चार प्रमुख इजरायली रक्षा कंपनियों के स्टॉल बंद कर दिए गए। कहा गया कि इन कंपनियों ने बम और आक्रामक हथियारों का प्रदर्शन किया था, जो फ्रांस के अनुसार निषिद्ध श्रेणी में आते हैं।
इजरायली रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इजरायल ने 2024 में $14.795 बिलियन के रक्षा उपकरण निर्यात किए, जो कि अब तक का रिकॉर्ड उच्चतम स्तर है। इसमें से 54% बिक्री यूरोपीय देशों को हुई, जो रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहे हैं।
ईरान-इजरायल युद्ध की पृष्ठभूमि में लिया गया निर्णय?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया जब इजरायल और ईरान के बीच युद्ध चौथे दिन में प्रवेश कर चुका है। इजरायल ने हाल ही में ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक की है, जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए ईरान ने इजरायल की तेल रिफाइनरी और पावर ग्रिड को निशाना बनाया।
पेरिस एयर शो 2025 में इजरायली हथियारों पर लगाया गया प्रतिबंध सिर्फ एक तकनीकी या सुरक्षा निर्णय नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक प्रतिस्पर्धा का भी बड़ा पहलू छिपा है। इजरायल ने इस भेदभावपूर्ण रवैये की कड़ी निंदा की है और फ्रांस से निर्णय वापस लेने की मांग की है।
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