RBI Discontinues Daily Variable Repo Auctions from June 11 – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

RBI to Discontinue Daily Variable Rate Repo Auctions Amid Surplus Liquidity

RBI का बड़ा फैसला: Daily VRR Auction होंगे बंद

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश में बदलते लिक्विडिटी परिदृश्य को देखते हुए एक अहम निर्णय लिया है। 11 जून 2025 से दैनिक वेरिएबल रेट रेपो (VRR) नीलामी को बंद कर दिया जाएगा। यह कदम RBI द्वारा मौजूदा लिक्विडिटी हालात की गहन समीक्षा के बाद उठाया गया है, क्योंकि अब अल्पकालिक नकदी की जरूरत पहले जैसी नहीं रही।

जनवरी में शुरू, जून में समाप्त

RBI ने जनवरी 2025 में डेली VRR नीलामी की शुरुआत की थी ताकि शॉर्ट टर्म लिक्विडिटी को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सके। लेकिन अब, जब देश की बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी का स्तर तीन वर्षों के उच्चतम स्तर ₹3 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है, RBI ने इसे बंद करने का निर्णय लिया है।

मंगलवार को अंतिम डेली VRR नीलामी ₹25,000 करोड़ की अधिसूचित राशि के साथ आयोजित की जाएगी।

लिक्विडिटी का मजबूत प्रदर्शन

पिछले कुछ महीनों में सिस्टम लिक्विडिटी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। मई में औसत अधिशेष ₹1.71 लाख करोड़ था, जो जून की शुरुआत में बढ़कर ₹2.75 लाख करोड़ तक पहुंच गया। इस स्थिरता के चलते बाजार में VRR नीलामी की मांग में भारी गिरावट देखी गई है।

सोमवार को हुई नीलामी में केवल ₹3,711 करोड़ की बोलियां प्राप्त हुईं, जो अधिसूचित राशि से बहुत कम थी। यह दर्शाता है कि वित्तीय संस्थानों को अब VRR की उतनी आवश्यकता नहीं रही क्योंकि सस्ती फंडिंग के विकल्प आसानी से उपलब्ध हैं।

बैंकर्स की प्रतिक्रिया

एक पब्लिक सेक्टर बैंक के वरिष्ठ ट्रेजरी अधिकारी ने कहा, “हम ₹3 लाख करोड़ के अधिशेष पर बैठे हैं। ऐसे में कम दरों पर ओवरनाइट फंडिंग लेना VRR से ज्यादा फायदेमंद है।”

14-Day VRR जारी रह सकता है

हालांकि डेली VRR को बंद किया गया है, लेकिन बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि RBI 14-दिन की VRR नीलामी को जारी रख सकता है। ये नीलामियां मीडियम-टर्म लिक्विडिटी मैनेजमेंट के लिए अधिक उपयुक्त मानी जाती हैं और आगे भी वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में सहायक होंगी।

लिक्विडिटी मैनेजमेंट में लचीलापन जरूरी

इस निर्णय से यह स्पष्ट है कि RBI अपने मौद्रिक उपकरणों को समय और परिस्थिति के अनुसार ढालने को तैयार है। लिक्विडिटी प्रबंधन में इस तरह के लचीले दृष्टिकोण से न केवल बाजार में स्थिरता बनी रहती है, बल्कि मौद्रिक नीति भी अधिक प्रभावी साबित होती है।

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