MSME में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की भूमिका और विकास – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और निर्यात का मजबूत स्तंभ है। अब इसे डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के माध्यम से नई उड़ान दी जा रही है।

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर से MSMEs को कैसे मिला बल

DPI ने MSMEs के लिए व्यवसाय करना न केवल आसान, बल्कि पारदर्शी और तेज़ बना दिया है। यह प्लेटफॉर्म डिजिटल पहचान, वित्तीय सेवाएं और ऋण जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों तक पहुँच संभव बनाता है।

डिजिटल पहचान से लेकर ऋण सुविधा तक का सफर

आज किसी MSME की पहचान उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल (URP) या उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म (UAP) पर पंजीकरण से शुरू होती है। इससे आधार और आयकर जैसे डेटाबेस से डेटा सीधा खींचा जाता है, जिससे पारदर्शिता और गति आती है।

DigiLocker से दस्तावेजों का डिजिटल संग्रहण और UPI से आसान भुगतान संभव हुआ है। वहीं, GST Sahay प्लेटफॉर्म GST चालानों के आधार पर ऋण पात्रता तय करता है। इसके साथ, Account Aggregator के ज़रिए MSMEs अपनी वित्तीय जानकारी बैंकों के साथ साझा कर सकते हैं।

डिजिटल अपनाने में तेजी: आंकड़ों की नजर में

SIDBI की मई 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, 90% MSMEs डिजिटल भुगतान अपना चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि डिजिटल क्रांति अब केवल शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि ग्रामीण MSMEs भी इसका हिस्सा बन चुके हैं।

औपचारिकता की दिशा में मजबूत कदम

सरकार की बहुपक्षीय रणनीतियों के चलते MSMEs के औपचारिक पंजीकरण में बेतहाशा वृद्धि देखी गई है। अप्रैल 2023 में जहाँ 1.6 करोड़ MSMEs रजिस्टर थे, वहीं जून 2025 तक यह संख्या 6.4 करोड़ पार कर गई है।

URP और UAP डेटा के एकीकरण से दोहराव से बचाव होगा और “डिजिटल KYC” के तौर पर URP को मान्यता मिलने से ऋण और सरकारी लाभों की प्रक्रिया सरल हो सकती है। इसके अलावा, MSME निर्यातकों के IEC को Udyam पोर्टल से जोड़कर निर्यात को भी बढ़ावा मिल सकता है।

MSME ऋण अंतर को कम करने की रणनीति

MSME ऋण में बीते वर्ष 13% की वृद्धि देखी गई, जो कि बड़े उद्योगों की तुलना में दोगुनी है। अब कुल MSME ऋण ₹30 लाख करोड़ के पार पहुँच गया है।

इसका श्रेय सरकार की “7A Strategy” को जाता है:

  • Availability (उपलब्धता): CGS गारंटी सीमा ₹10 करोड़ तक बढ़ी।
  • Accessibility (पहुँच): ऋणदाताओं की संख्या 126 से बढ़कर 276 हुई।
  • Affordability (सुलभता): गारंटी शुल्क में 50% तक कटौती।
  • Awareness (जागरूकता): वित्तीय साक्षरता को प्रोत्साहन।
  • Alliance (साझेदारी): नीति निर्माण में साझेदारों को जोड़ा गया।
  • Accountability (जवाबदेही): योजनाओं का लाभ सीधे MSMEs को।
  • Achievements (उपलब्धियाँ): सफल MSMEs की प्रेरणादायक कहानियाँ साझा की गईं।

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना: एक केस स्टडी

2023 में शुरू की गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाना है। योजना का लक्ष्य 30 लाख लोगों को कवर करना है, जिनमें से 29 लाख पहले ही पंजीकृत हो चुके हैं।

योजना का क्रियान्वयन पूरी तरह डिजिटल है। 37 लाख से अधिक हितधारकों को जोड़कर लाभार्थियों को ₹15,000 का टूलकिट ई-वाउचर और ₹3 लाख तक का 5% ब्याज पर ऋण दिया जा रहा है। इस ऋण पर सरकार 8% तक की ब्याज सब्सिडी भी प्रदान कर रही है।

भविष्य की राह और सुझाव

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के बल पर MSME क्षेत्र अब औपचारिक, डिजिटल और सशक्त हो चुका है। आगे और बेहतर परिणामों के लिए निम्नलिखित सुझाव अहम होंगे:

  • MSMEs को खुद पहल कर डिजिटल पंजीकरण करना चाहिए।
  • URP को सभी सरकारी योजनाओं से जोड़ना आवश्यक है।
  • ऋण जानकारी और आवेदन प्रक्रिया को स्थानीय भाषाओं में सरल बनाया जाना चाहिए।

यदि यही प्रगति बनी रही, तो भारत का MSME क्षेत्र वैश्विक मंच पर अपनी मज़बूत मौजूदगी दर्ज करवा सकेगा।

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