“Smiling Buddha” भारत का पहला परमाणु परीक्षण 1974 – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

भारत ने 18 मई 1974 को एक ऐसा कदम उठाया जिसने उसे दुनिया की परमाणु शक्तियों की सूची में खड़ा कर दिया। इस ऐतिहासिक मिशन को कोड नेम दिया गया “Smiling Buddha”। आइए जानते हैं इस परीक्षण से जुड़ी हर जरूरी जानकारी एक ही नज़र में।

परीक्षण सफल होने के बाद की तस्वीर

“We will not be the first to use nuclear weapons, but we must have them to protect ourselves.”– Indira Gandhi

18 मई 1974, सुबह 8:05 बजे राजस्थान के पोखरण रेंज में एक ऐसा धमाका हुआ जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। भारत ने पहली बार परमाणु शक्ति का प्रदर्शन किया और दुनिया के सामने अपनी scientific और strategic ताकत का इज़हार किया। इस मिशन का कोड नाम था – “Smiling Buddha”

क्या था Smiling Buddha?

“Smiling Buddha” भारत का पहला underground nuclear test था। इसे “Pokhran-I” भी कहा जाता है। इस नाम को इसलिए चुना गया क्योंकि टेस्ट वाले दिन गौतम बुद्ध जयंती थी, एक शांत प्रतीक के साथ भारत ने शक्ति का प्रदर्शन किया। भारत ने यह दर्शाया कि यह शक्ति रक्षात्मक है, आक्रामक नहीं।

मुख्य तथ्य: स्माइलिंग बुद्धा – 18 मई 1974

  • कोड नाम  (Smiling Buddha):- इस परीक्षण को “स्माइलिंग बुद्धा” नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह गौतम बुद्ध जयंती के दिन हुआ था। नाम शांतिपूर्ण इरादों को दर्शाता है, हालांकि असल में यह एक परमाणु हथियार परीक्षण था।
  • आधिकारिक नाम  (Pokhran-I):- यह परीक्षण भारत के पोखरण सैन्य क्षेत्र में हुआ था, इसलिए इसका आधिकारिक नाम पोखरण-1 रखा गया। इसके बाद पोखरण-2 (1998) भी हुआ।
  • तारीख  (18 मई 1974):- यह वह ऐतिहासिक दिन था जब भारत ने पहली बार दुनिया को अपनी परमाणु शक्ति दिखा दी।
  • स्थान (पोखरण टेस्ट रेंज, राजस्थान):- परीक्षण राजस्थान के थार रेगिस्तान में स्थित पोखरण सैन्य ज़ोन में किया गया, जिससे रेडिएशन का प्रभाव सीमित रहे।
  • समय (सुबह 8:05 AM):-  परीक्षण सुबह जल्दी किया गया ताकि मौसम अनुकूल रहे और सुरक्षा बनी रहे।
  • बम का प्रकार (प्लूटोनियम आधारित परमाणु बम):- इसमें प्लूटोनियम-239 का उपयोग किया गया था जो परमाणु बमों में आमतौर पर प्रयुक्त होता है। यह बम इम्प्लोजन डिजाइन पर आधारित था।
  • विस्फोट की शक्ति (लगभग 8 किलोटन):- इसका मतलब है कि बम का प्रभाव ऐसा था जैसे 8,000 टन TNT एक साथ विस्फोट करते। यह अपेक्षाकृत छोटा विस्फोट था लेकिन पर्याप्त ताकतवर था।
  • परीक्षण का स्वरूप (भूमिगत परीक्षण):- परीक्षण को जमीन के नीचे एक सुरंग में किया गया ताकि रेडिएशन और ध्वनि का प्रभाव सतह पर न पहुंचे। इससे दुनिया को तुरंत पता भी नहीं चला।
  • कार्यक्रम का नेतृत्व, BARC (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर):- भारत की इस उपलब्धि के पीछे BARC की टीम थी, जो देश का प्रमुख परमाणु अनुसंधान संस्थान है।
  • प्रधान वैज्ञानिक (राजा रमन्ना, पी.के. अय्यंगर, एन. रामास्वामी):- ये वैज्ञानिक इस परीक्षण के मुख्य मस्तिष्क थे। उन्होंने परीक्षण की तकनीकी योजना और निर्माण में अहम भूमिका निभाई।
  • प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी):- उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। उन्होंने इस परीक्षण को गुप्त रूप से समर्थन दिया और इसे अंजाम तक पहुँचाया।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया (मिश्रित):- कुछ देशों ने इस परीक्षण की आलोचना की (जैसे अमेरिका, कनाडा), जबकि कुछ ने भारत की वैज्ञानिक प्रगति की सराहना भी की।
  • परिणाम (भारत परमाणु शक्ति बन गया):- यह परीक्षण भारत को विश्व के परमाणु शक्तियों की सूची में शामिल कर गया। भारत की रणनीतिक स्थिति मज़बूत हो गई और यह आत्मनिर्भरता का प्रतीक बना।

ऊपर दी गयी जानकारी के आधार पर आप भारत के पहले परमाणु परीक्षण की पूरी कहानी समझ पाएंगे और आसानी से जान पाएंगे कि कहाँ, कैसे, कब, क्यों और किसने किया। यह घटना भारत के इतिहास में वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता, रणनीतिक मजबूती और वैश्विक पहचान का प्रतीक बन गई।

NPT (Non-Proliferation Treaty) और भारत

भारत के “Smiling Buddha” परमाणु परीक्षण के बाद दुनिया के कई देशों ने इसे “शांतिपूर्ण” कहे गए परीक्षण पर सवाल उठाया। लेकिन भारत ने साफ किया कि यह उसकी रक्षा नीति का हिस्सा है, न कि आक्रामक नीति। ज्यादातर देशो ने इस परीक्षण को परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के खिलाफ माना और इसकी आलोचना की परन्तु भारत ने NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि उसे वह treaty एकतरफा लगती थी। इस एक परीक्षण ने भारत को बदल दिया न सिर्फ तकनीकी रूप से, बल्कि दुनिया की नज़रों में भी। Smiling Buddha भारत के आत्मनिर्भरता और आत्मबल का प्रतीक बन गया।

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