ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी: 10% टैरिफ का खतरा
ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी ने एक बार फिर वैश्विक राजनीति और व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। ब्राजील में आयोजित हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में जहां अमेरिका का नाम लिए बिना कई नीतियों की आलोचना की गई, वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसके जवाब में तीखी प्रतिक्रिया दी।
ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी और टैरिफ की धमकी
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी में कहा कि अगर ब्रिक्स राष्ट्र अमेरिका विरोधी नीतियों का समर्थन करते हैं, तो उन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि इस नीति में कोई अपवाद नहीं रखा जाएगा।
उन्होंने लिखा, “ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ने वाले किसी भी देश को इसकी कीमत चुकानी होगी। 10% का अतिरिक्त टैरिफ तय है।”
अमेरिका का नाम लिए बिना ब्रिक्स देशों की प्रतिक्रिया
ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी का कारण बना वह वक्तव्य जिसमें ब्रिक्स देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर हुए हमले और व्यापार शुल्कों की निंदा की। सम्मेलन में इस्राइल की सैन्य कार्रवाइयों की आलोचना भी की गई।
ब्रिक्स नेताओं ने कहा कि लगातार बढ़ते टैरिफ वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं और यह WTO के नियमों के खिलाफ है।
ब्राजील की अध्यक्षता में ब्रिक्स सम्मेलन
इस बार का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ब्राजील की अध्यक्षता में हुआ। ब्राजील ने 1 जनवरी 2025 को ब्रिक्स की कमान संभाली थी। ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी ऐसे समय में आई जब ब्राजील सहित अन्य सदस्य देशों ने ‘ग्लोबल साउथ’ के सहयोग पर जोर दिया।
ब्रिक्स सम्मेलन की थीम रही:
“समावेशी और टिकाऊ वैश्विक शासन के लिए ग्लोबल साउथ का सहयोग मजबूत करना।“
नौ जुलाई को समाप्त हो रही टैरिफ निलंबन की डेडलाइन
ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी की एक और बड़ी वजह है—9 जुलाई को समाप्त हो रही टैरिफ निलंबन की समयसीमा। ट्रंप ने पहले ही संकेत दिए थे कि इस डेडलाइन के बाद वैश्विक टैरिफ पर कोई छूट नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा, “मैंने 10-12 देशों को टैरिफ लगाने की सूचना देने वाले पत्रों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिन्हें सोमवार को भेजा जाएगा।”
ब्रिक्स में नए सदस्य देशों की भागीदारी
ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी ऐसे समय में सामने आई जब ब्रिक्स ने अपनी सदस्यता का विस्तार किया है। इस सम्मेलन में पुराने 5 देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के अलावा मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई और इंडोनेशिया जैसे नए देशों ने हिस्सा लिया।

इससे यह स्पष्ट होता है कि ब्रिक्स अब एक बड़ा वैश्विक गठबंधन बन रहा है, जो अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती देने की स्थिति में है।
ट्रंप की आक्रामक विदेश नीति की झलक
ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी उनके पुराने रूख की याद दिलाती है, जहां वे ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति पर चलते हैं। चाहे चीन पर टैरिफ हो, यूरोप के साथ ट्रेड वार हो या अब ब्रिक्स राष्ट्रों पर दबाव—ट्रंप हमेशा कड़ा रवैया अपनाते हैं।
इस बार भी उनका संदेश साफ है—जो भी अमेरिका के विरोध में खड़ा होगा, उसे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
वैश्विक व्यापार पर संभावित असर
ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी अगर लागू होती है, तो इसका असर कई स्तरों पर देखा जा सकता है:
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार महंगा हो सकता है
- ब्रिक्स देशों में अमेरिकी निवेश घट सकता है
- वैश्विक सप्लाई चेन में व्यवधान आ सकता है
- डॉलर की स्थिति और अधिक अस्थिर हो सकती है
आगे क्या?
ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी फिलहाल बयान के रूप में सामने आई है, लेकिन 9 जुलाई के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। अगर अमेरिका वाकई टैरिफ बढ़ाता है, तो यह एक नई वैश्विक आर्थिक अस्थिरता को जन्म दे सकता है।
ट्रंप की ब्रिक्स देशों को चेतावनी ने ब्रिक्स सम्मेलन की गंभीरता और इसके वैश्विक प्रभाव को फिर से रेखांकित कर दिया है। अमेरिका और ब्रिक्स देशों के बीच चल रही यह तनातनी निकट भविष्य में वैश्विक व्यापार और कूटनीति के समीकरणों को बदल सकती है।