यूबीएस ने भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में ठहराव और उच्च मूल्यांकन के बीच बढ़ते जोखिम पर जताई चिंता
नई दिल्ली [भारत]: भारतीय दूरसंचार क्षेत्र ठहराव की कगार पर खड़ा दिख रहा है, वैश्विक निवेश बैंक यूबीएस ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के नतीजों को लेकर जारी अपने सतर्क दृष्टिकोण में यह संकेत दिया है। यूबीएस का कहना है कि निकट अवधि में इस सेक्टर के पास स्पष्ट उत्प्रेरक (catalysts) नहीं हैं, और इसकी कीमतें पहले से ही संभावित विकास को पूरी तरह समाहित कर चुकी हैं, जिससे आगे की वृद्धि चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
टैरिफ वृद्धि की संभावनाओं पर देरी की आशंका
यूबीएस ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के अंत तक 10-12% टैरिफ वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन इसमें देरी की संभावना बनी हुई है। रिपोर्ट में उल्लेख है कि भारतीय मोबाइल टैरिफ अब अन्य उभरते बाजारों के अनुरूप स्तर पर पहुंच चुके हैं, और एंट्री-लेवल प्लान पहले से ही प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में उच्च कीमत पर हैं।
इस स्थिति के कारण ऑपरेटरों के लिए विशेषकर निम्न-स्तरीय उपयोगकर्ताओं के बीच कीमतों में और वृद्धि करना मुश्किल हो सकता है, जिससे समग्र राजस्व वृद्धि सीमित हो सकती है।
यूबीएस ने कहा: “भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में टैरिफ वृद्धि की संभावना तो बनी हुई है, लेकिन कीमतों में आगे की वृद्धि को लेकर चुनौतियां स्पष्ट हैं, और यह विकास की गति को धीमा कर सकती हैं।”
ग्राहक वृद्धि और ARPU में धीमी प्रगति का अनुमान
आगामी तिमाही में यूबीएस ने ग्राहकों की संख्या में सीमित वृद्धि और प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व (ARPU) में मामूली सुधार का अनुमान जताया है। इसका मतलब है कि जब तक महत्वपूर्ण रणनीतिक बदलाव या बाजार में संरचनात्मक परिवर्तन नहीं होते, वित्तीय प्रदर्शन में तेजी आने की संभावना कम है।
यूबीएस का रुख इस ओर इशारा करता है कि आगे वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए ऑपरेटरों को नई रणनीतियों पर ध्यान देना होगा।
उच्च मूल्यांकन और लाभांश भुगतान में असमानता
यूबीएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय दूरसंचार क्षेत्र का मूल्यांकन क्षेत्रीय समकक्षों की तुलना में महंगा हो गया है। नकदी प्रवाह में सुधार के बावजूद, इस क्षेत्र में लाभांश भुगतान वैश्विक मानकों की तुलना में कम बना हुआ है, जिससे लाभ चाहने वाले निवेशकों के लिए इसका आकर्षण कम हो गया है।
रिपोर्ट में कहा गया: “उच्च मूल्यांकन और कम लाभांश भुगतान की मौजूदा स्थिति से दूरसंचार क्षेत्र में निवेशकों के लिए जोखिम और बढ़ गया है।”
यूबीएस ने व्यापक मैक्रो दृष्टिकोण का विश्लेषण करते हुए बताया कि भारत में दूरसंचार पर खर्च अब जीडीपी के अनुपात में अन्य उभरते बाजारों के बराबर हो गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि मात्र मूल्य निर्धारण के आधार पर त्वरित वृद्धि की गुंजाइश सीमित रह गई है।
प्रतिस्पर्धात्मक दबाव और नीतिगत अनिश्चितता बढ़ा रही हैं चुनौतियां
रिपोर्ट में कहा गया कि प्रतिस्पर्धात्मक दबाव, नियामकीय और नीतिगत समर्थन की अनिश्चितता के साथ मिलकर, इस क्षेत्र में आगे की राह को चुनौतीपूर्ण बना रही है।
यूबीएस ने संकेत दिया है कि मौजूदा मूल्यांकन इन सभी जोखिमों को अभी पूरी तरह परिलक्षित नहीं कर रहे हैं, जिससे आगे जाकर निवेशकों को संभलकर चलने की आवश्यकता है।
भारतीय दूरसंचार क्षेत्र ने पिछले वर्षों में मजबूती से प्रदर्शन किया है, लेकिन मौजूदा परिदृश्य में वृद्धि की संभावनाओं पर चुनौतियां बढ़ गई हैं।
यूबीएस की रिपोर्ट इस ओर संकेत देती है कि जब तक नए उत्प्रेरक और संरचनात्मक बदलाव नहीं आते, तब तक दूरसंचार क्षेत्र में स्थिरता और स्थगन की स्थिति बनी रह सकती है।
इसलिए, निवेशकों और उद्योग के हितधारकों को रणनीति बनाते समय इन संभावित जोखिमों को ध्यान में रखना होगा।
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