सिनेमा की कालजयी कृति ‘उमराव जान’ एक बार फिर सिनेमाघरों में लौट रही है। फिल्म के निर्देशक मुजफ्फर अली ने रेखा की अभिनय कला और फिल्म की सांस्कृतिक विरासत पर दिल खोलकर बात की।
भारतीय सिनेमा की सदाबहार फिल्म ‘उमराव जान’ एक बार फिर थिएटर में रिलीज हो रही है और इस मौके पर इसके निर्देशक मुजफ्फर अली ने फिल्म से जुड़ी कई यादों और अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि यह फिल्म केवल एक सिनेमाई अनुभव नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक दस्तावेज है।
रेखा मेरी सोच से पहले उमराव बन गई थीं
रेखा द्वारा निभाया गया उमराव जान का किरदार आज भी भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली पात्रों में से एक माना जाता है। इस पर मुजफ्फर अली ने कहा, “रेखा मेरे साथ सपना देख रही थीं। मैं कुछ सोच पाता, उससे पहले ही वह उस भाव को जीने लगती थीं। उन्होंने उमराव के दर्द, कला और उस दौर की तहज़ीब को अपनी आत्मा से आत्मसात कर लिया था। वह सिर्फ किरदार नहीं निभा रही थीं, बल्कि उसमें बदल गई थीं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि रेखा ने उस युग में एक महिला की पीड़ा और सामाजिक मर्यादाओं को जिस तरह से अपने अभिनय में पिरोया, वह आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है।
कविता, संगीत और इतिहास आज भी लोगों से जुड़ सकते हैं
जब उनसे पूछा गया कि क्या आज की तेज़-तर्रार दुनिया में ऐसी फिल्मों की कोई जगह है, तो उन्होंने कहा, “कला को दिल की रफ्तार से चलना चाहिए। यह समय लेती है, गहराई में जाती है और वही सच्ची कला होती है जो सच्चाई से जुड़ती है।”
उन्होंने आगे कहा कि उमराव जान जैसी फिल्में समय के साथ पुनर्जन्म लेती हैं और हर पीढ़ी में नया जीवन पाती हैं।
‘हाउस ऑफ कोटवारा’ और उमराव जान का गहरा रिश्ता
मुजफ्फर अली ने फिल्म की कॉस्ट्यूम डिज़ाइन और अपनी फैशन लेबल ‘हाउस ऑफ कोटवारा’ के बीच के रिश्ते पर भी बात की। उन्होंने बताया कि इस फिल्म के कपड़े सिर्फ डिज़ाइन नहीं थे, बल्कि वो संस्कृति की कहानी कह रहे थे। “ये वस्त्र खरीदे नहीं जाते, ये विरासत में मिलते हैं, और इन कपड़ों की बुनावट में भावनाएं और कहानियां छुपी होती हैं,” उन्होंने कहा।
कॉफी टेबल बुक भी होगी रिलीज
‘उमराव जान’ की रील से रीयल तक की यात्रा पर आधारित एक कॉफी टेबल बुक भी जारी की जाएगी। इसमें दुर्लभ तस्वीरें, आर्काइव्स और बहुमूल्य दृश्य शामिल होंगे जो छात्रों, कलेक्टर्स और फिल्म प्रेमियों के लिए एक अनमोल धरोहर होगी।
फिल्म का पुनर्जन्म और नई पीढ़ी से उम्मीद
फिल्म की दोबारा रिलीज़ को लेकर अली ने उम्मीद जताई कि नई पीढ़ी इससे जुड़ाव महसूस करेगी। उन्होंने कहा, “यह फिल्म हर दर्शक से व्यक्तिगत रूप से बात करती है। जैसे-जैसे लोग इससे जुड़ते हैं, इसका असर और गहराता जाएगा।”

‘उमराव जान’ का पहला संस्करण 1981 में रिलीज हुआ था जिसमें रेखा ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म ने चार राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे। 2006 में इसका दूसरा संस्करण आया जिसमें ऐश्वर्या राय मुख्य भूमिका में थीं, लेकिन वह दर्शकों को प्रभावित नहीं कर पाई।
मुजफ्फर अली की यह फिल्म आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाए हुए है — एक ऐसी विरासत, जो कला, संस्कृति और स्त्री चेतना का अद्भुत समागम है।
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