परिचय:
द्वारका, गुजरात में स्थित एक ऐतिहासिक और पवित्र नगरी है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की नगरी माना जाता है। यह हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है और सप्तपुरियों यानी सात पवित्र नगरों में गिनी जाती है। मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद इस नगर का निर्माण समुद्र किनारे करवाया था।
द्वारका आज धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक रहस्यों और आधुनिक विकास का एक अद्भुत संगम बन चुकी है।
धार्मिक महत्व:
द्वारका को श्रीकृष्ण की कर्मभूमि माना जाता है। यहाँ उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा भाग बिताया।
द्वारकाधीश मंदिर (या जगत मंदिर) भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और लाखों श्रद्धालुओं का तीर्थ स्थल है।
इस नगरी में कई अन्य ऐतिहासिक मंदिर भी स्थित हैं, जो इसे एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बनाते हैं।
द्वारका आज भी भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र है, जहाँ भक्ति, श्रद्धा और संस्कृति एक साथ बहती है।
क्या द्वारका डूब गई थी?
► धार्मिक मान्यता:
धार्मिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने प्रभास क्षेत्र में देह त्याग किया, और उनके स्वर्गारोहण के बाद द्वारका नगरी समुद्र में समा गई। इसे एक दिव्य घटना और प्रभु की लीला के रूप में देखा जाता है।
► वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
समुद्र विज्ञान, भूगर्भ शास्त्र और 3D सोनार तकनीक के माध्यम से किए गए शोधों में यह सिद्ध हुआ है कि समुद्र के नीचे एक प्राचीन नगर के अवशेष मौजूद हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और समुद्री पुरातत्व संस्थान (NIO) ने यह निष्कर्ष निकाला है कि यह अवशेष द्वारका के ही हैं – जिनमें भवन, सड़कें और दीवारें शामिल हैं।
समुद्र के नीचे छिपा इतिहास:
हाल के शोधों में Underwater Archaeology Wing ने यह बताया कि समुद्र के भीतर मिले अवशेष लगभग 9000 वर्ष पुराने हैं।

इनमें मंदिरों की दीवारें, पत्थर की सड़कें, स्तंभ और घरों की संरचनाएँ मिली हैं। यह सिद्ध करता है कि द्वारका एक समृद्ध और विकसित नगर था।
यह खोज भारत की प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर उजागर करती है।
2024-25 में द्वारका का आधुनिक विकास:
सुदर्शन सेतु, जो बेट द्वारका को मुख्य भूमि से जोड़ता है, भारत का सबसे लंबा समुद्री केबल-स्टे ब्रिज बन चुका है (लंबाई: 2.32 किमी)।
इस पुल के बनने से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों दोनों के लिए द्वारका पहुँचना सरल और आकर्षक हो गया है।
इस ब्रिज का निर्माण आस्था और आधुनिकता का प्रतीक है, जो द्वारका की पहुंच को और भी सुगम बनाता है।
श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए अनुभव:
आज की द्वारका न केवल एक तीर्थ है, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक अनुभव भी प्रदान करती है।
मंदिरों की घंटियाँ, जलते दीपक, और वातावरण में गूंजते भजन – यह सब मिलकर एक अलौकिक अनुभव बनाते हैं।
यहाँ की गलियों में भक्ति की खुशबू और इतिहास की छाया एक साथ महसूस होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका:

फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरब सागर में डूबी द्वारका के प्राचीन अवशेषों का अवलोकन किया और इसे दुनिया के सामने लाने की घोषणा की।
उन्होंने सुदर्शन सेतु का भी उद्घाटन किया, जो द्वारका के लिए एक नया युग लेकर आया।
निष्कर्ष:
द्वारका वह स्थल है जहाँ धर्म, इतिहास और विज्ञान एक साथ मिलते हैं।
यह नगर न केवल श्रीकृष्ण की स्मृति में अमर है, बल्कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और आधुनिक विकास का प्रतीक भी बन गया है।
आने वाले वर्षों में द्वारका का यह स्वरूप भारत की सांस्कृतिक पहचान को पूरी दुनिया के सामने और भी गौरवपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करेगा।
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