2025 में अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता ठप होने के बाद तनाव बढ़ गया है। सुरक्षा चिंताओं के चलते अमेरिका ने इराक से अपने कर्मचारियों को हटाया। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देंगे।” जानिए पूरी खबर।
परमाणु वार्ता रुकने से अमेरिका-ईरान में बढ़ा तनाव, इराक से हटाए गए US कर्मचारी, ट्रंप ने बताई वजहें
नई दिल्ली: अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव एक बार फिर से चरम पर पहुंच गया है। वर्ष 2025 की पहली छमाही में जब से ईरान के साथ परमाणु वार्ता ठप हुई है, तब से अमेरिका ने न सिर्फ अपने रुख को सख्त किया है, बल्कि इराक में मौजूद अमेरिकी दूतावास से अपने गैर-जरूरी कर्मचारियों और उनके परिवारों को वापस बुलाने का भी आदेश जारी कर दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस कदम को “एहतियाती कार्रवाई” बताया है और स्पष्ट शब्दों में कहा है कि ईरान को किसी भी सूरत में परमाणु हथियार बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ट्रंप ने कहा, “हमारे लोग खतरे में हैं। हमने उन्हें वहां से हटाने का निर्णय लिया है क्योंकि वहां की स्थिति खतरनाक हो सकती है। आगे क्या होगा, यह देखने वाली बात है।”
ईरान पर ट्रंप का सख्त रुख: ‘नहीं बनने देंगे परमाणु हथियार’
राष्ट्रपति ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में ईरान को लेकर अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा, “उनके पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए, यह एक सीधी और स्पष्ट नीति है।” उनका बयान उस समय आया है जब अमेरिकी विदेश विभाग की तरफ से कहा गया कि इराक में अमेरिकी मिशन की उपस्थिति को “हालिया विश्लेषण” के आधार पर घटाया जा रहा है।

अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने भी मध्य पूर्व में तैनात अमेरिकी सैनिकों के परिवारों को स्वेच्छा से लौटने की अनुमति दे दी है। इसके पीछे की सुरक्षा चिंताओं को लेकर अब तक कोई विस्तृत खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन रिपोर्टों के अनुसार ईरान की ओर से यह संकेत दिए गए हैं कि यदि परमाणु वार्ता विफल रही, तो वह मध्य पूर्व में मौजूद अमेरिकी ठिकानों पर हमला कर सकता है।
ईराक से मिशन की उपस्थिति घटाने का फैसला
अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने बयान में कहा, “हम अपने सभी दूतावासों में कर्मचारियों की सुरक्षा और उपस्थिति की नियमित समीक्षा करते हैं। हालिया आकलन के आधार पर इराक से हमारे गैर-जरूरी स्टाफ को हटाने का फैसला लिया गया है।” यह आदेश अमेरिकी दूतावास में कार्यरत अधिकारियों, सलाहकारों और उनके परिवारों पर लागू होता है।
वहीं, समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला अमेरिका द्वारा हालिया खुफिया जानकारी मिलने के बाद लिया गया है, जिसमें बताया गया है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को दोबारा सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है। अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि “ईरान सक्रिय रूप से परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है।”
तनाव बढ़ने के पीछे कौन सी बातें जिम्मेदार?
- परमाणु वार्ता का ठप होना – अमेरिका और ईरान के बीच चल रही परमाणु समझौते की वार्ता लंबे समय से रुकी हुई है।
- ईरान की धमकियां – मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वार्ता विफल होने पर वह उसके ठिकानों को निशाना बना सकता है।
- सैन्य तैयारियों में तेजी – अमेरिका ने अपने सैनिकों को सतर्क कर दिया है और दूतावासों से गैर-जरूरी स्टाफ को हटाया जा रहा है।
- राजनीतिक बयानबाजी – ट्रंप और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बार-बार दिए जा रहे सख्त बयानों से तनाव और अधिक गहरा गया है।
क्या है आगे की राह?
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह स्पष्ट किया है कि अमेरिका अभी युद्ध नहीं चाहता, लेकिन वह ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु शक्ति नहीं बनने देगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की रणनीति क्या होगी, कूटनीतिक वार्ता की फिर से शुरुआत या फिर सैन्य दबाव का बढ़ना।
बढ़ते तनाव से उत्पन्न हुआ सुरक्षा संकट
ईरान और अमेरिका के बीच का यह नया तनाव न केवल दोनों देशों के संबंधों पर असर डालेगा, बल्कि पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। अमेरिका का इराक से अपने कर्मचारियों को हटाना यह दर्शाता है कि हालात सामान्य नहीं हैं। यदि परमाणु वार्ता फिर से शुरू नहीं होती, तो यह टकराव किसी भी रूप ले सकता है।
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