मणिपुर एक बार फिर उग्र विरोध और अशांति की चपेट में आ गया है। इस बार तनाव की चिंगारी मेतेई संगठन अरमबाई टेंगोल के नेताओं की गिरफ्तारी से भड़की। रविवार को राजधानी इंफाल समेत राज्य के घाटी क्षेत्रों में विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया, जिसके चलते प्रशासन को इंफाल घाटी के पांच जिलों में निषेधाज्ञा लागू करने और इंटरनेट सेवाएं बंद करने जैसे कठोर कदम उठाने पड़े।
सड़कों पर विरोध, टायर जलाए, रास्ते रोके
प्रदर्शनकारियों ने इंफाल पश्चिम जिले के उरिपोक और कोइरेंगई तथा इंफाल पूर्व के खुराई इलाकों में सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। लोगों ने सड़कों पर टायर जलाए, मलबा फैलाया और सड़कें खोदकर मिट्टी के ढेर डाल दिए, ताकि सुरक्षा बलों की आवाजाही रोकी जा सके। इसी तरह के प्रदर्शनों की सूचना असम के जिरिबाम जिले से भी आई है।
प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबाल, बिष्णुपुर और काकचिंग जिलों में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। साथ ही, शनिवार रात से ही पूरे घाटी क्षेत्र में इंटरनेट और मोबाइल डाटा सेवाएं—जिसमें वीएसएटी और वीपीएन सेवाएं भी शामिल हैं—को बंद कर दिया गया है।
गिरफ्तारी और सीबीआई का बयान
तनाव की जड़ में मेतेई समूह अरमबाई टेंगोल के सदस्य असेम कानन की गिरफ्तारी है। उनके साथ चार अन्य कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया गया। इनकी गिरफ्तारी भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (ACB) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने संयुक्त रूप से की। सीबीआई ने पुष्टि की कि कानन को 2023 में मणिपुर में हुई हिंसा से जुड़े आपराधिक मामलों में शामिल होने के आरोप में इंफाल हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया।
सीबीआई ने एक बयान में कहा कि कानन की गिरफ्तारी की सूचना उनके परिवार को दे दी गई है और उन्हें गुवाहाटी की अदालत में पेश किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मणिपुर हिंसा से जुड़े मामलों की सुनवाई मणिपुर से गुवाहाटी स्थानांतरित की गई है।
शहर में हिंसा, बच्चे को गंभीर चोट
गिरफ्तारी के बाद इंफाल में हालात तेजी से बिगड़े। प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध कर दीं, लकड़ी और पत्थर से बैरिकेड्स लगाए, और जगह-जगह टायर जलाकर माहौल गर्मा दिया। जवाब में सुरक्षा बलों ने आंसू गैस, नकली बम और फायरिंग का सहारा लिया।
इस दौरान एक 13 वर्षीय बच्चे के पैर में गंभीर चोट आई, जब कथित तौर पर आंसू गैस के गोले का विस्फोट हुआ। उसे तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। शनिवार शाम से लेकर रविवार शाम तक कम से कम 11 लोग घायल हुए हैं। रविवार शाम 5:30 बजे तक स्थिति तनावपूर्ण और अस्थिर बनी रही।

राज्यपाल से मिले विधायक, शांति की अपील
इन घटनाओं के बीच राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। राजभवन के बयान के अनुसार, 20 विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला, जिसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के विधायक शामिल थे। उन्होंने राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर चिंता जताई और शांति बहाल करने में हस्तक्षेप की मांग की। राज्यपाल ने प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि स्थिति सामान्य करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
10 दिन का बंद और सख्त चेतावनी
अरमबाई टेंगोल ने शनिवार को अपने कार्यकर्ताओं की बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए राज्यभर में 10 दिन के पूर्ण बंद का आह्वान किया है। इससे जनजीवन पूरी तरह प्रभावित होने की आशंका है।
वहीं, खुराई के एक महिला समूह ने चेतावनी दी है कि राज्य से बाहर गए विधायक यदि 10 जून शाम 6 बजे तक इंफाल नहीं लौटे, तो उन्हें दोबारा राज्य में घुसने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विधायक जनता की सरकार बनाएं और उनका साथ दें, नहीं तो उनका प्रवेश वर्जित किया जाएगा।
सुरक्षा कड़ी, जनाक्रोश चरम पर
रविवार को इंफाल के प्रमुख इलाकों जैसे पैलेस कंपाउंड, कीशंपट ब्रिज, मोइरांगखोम और टिड्डिम रोड पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई। पुलिस और अर्धसैनिक बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है और वे सरकार से जवाबदही और न्याय की मांग कर रहे हैं।
मणिपुर एक बार फिर गंभीर संकट की स्थिति में है। एक ओर राजनीतिक गतिरोध और प्रशासनिक निष्क्रियता है, वहीं दूसरी ओर आम जनता की पीड़ा और असंतोष दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। अगर सरकार और प्रशासन ने समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। जरूरत है शांतिपूर्ण संवाद, न्यायिक कार्रवाई और ठोस राजनीतिक इच्छाशक्ति की, ताकि मणिपुर को स्थायित्व और शांति मिल सके।
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