दक्षिण वजीरिस्तान [पाकिस्तान]: पाकिस्तान के वजीरिस्तान क्षेत्र में चल रहे सैन्य अभियानों के खिलाफ प्रतिरोध के एक मजबूत संकेत में महसूद जनजाति के एक ग्रैंड जिरगा ने राज्य द्वारा की जा रही अंधाधुंध मोर्टार गोलाबारी, जबरन निकासी और नागरिक हताहतों की घटनाओं की कड़ी निंदा की है। डॉन न्यूज़ के अनुसार, जिरगा ने इसे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन और पाकिस्तान के संवैधानिक दायित्वों का घोर उल्लंघन करार दिया है।
हज़ारों लोगों की उपस्थिति में जिरगा, सांसद और पीटीएम नेता शामिल
माकिन तहसील में आयोजित इस जिरगा में ऊपरी और निचले दक्षिण वजीरिस्तान और उत्तरी वजीरिस्तान से हज़ारों आदिवासी बुज़ुर्ग, छात्र, वकील, पत्रकार और राजनीतिक नेता शामिल हुए। इस जिरगा में सांसद आसिफ खान महसूद, अजब गुल वज़ीर, जुबैर खान वज़ीर, पूर्व सीनेटर सालेह शाह और पश्तून तहफ़्फ़ुज़ मूवमेंट (PTM) सहित कई प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया।
राज्य की सैन्य नीतियों पर सीधी आलोचना
प्रतिभागियों ने आदिवासी ज़िलों में बिगड़ती क़ानून-व्यवस्था पर एकमत होकर नाराज़गी ज़ाहिर की और बार-बार हो रही नागरिक मौतों और विस्थापन के लिए राज्य की सैन्य नीतियों को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि लक्षित हत्याएँ, फिरौती के लिए अपहरण और बम धमाकों की घटनाएँ आम हो गई हैं, जबकि उग्रवादियों और सुरक्षा बलों की झड़पों में निर्दोष नागरिकों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
सैन्य अभियानों को तुरंत रोकने की मांग
जिरगा ने एक प्रस्ताव पारित कर सैन्य अभियानों को तत्काल रोकने, नागरिक क्षेत्रों पर गोलाबारी बंद करने और आदिवासी समुदायों के लिए सम्मानजनक, अधिकार आधारित दृष्टिकोण अपनाने की माँग की। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि राज्य आदिवासी नागरिकों के साथ संदिग्धों जैसा व्यवहार करता है, जबकि उनका पाकिस्तान के प्रति लंबा वफ़ादारी का इतिहास रहा है।
राज्य की विफलताओं पर तीखी टिप्पणी
जिरगा में सरकार की आलोचना करते हुए कहा गया कि वह बुनियादी सुरक्षा, शिक्षा और आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में विफल रही है, जिसके कारण बाज़ार वीरान पड़े हैं, स्कूल बंद हो गए हैं और हज़ारों परिवारों को मानसिक आघात पहुँचा है। वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी समुदायों को सम्मान के साथ राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल किया जाए और निर्णय-निर्माण की प्रक्रियाओं में उनकी आवाज़ को स्थान दिया जाए।

शांतिपूर्ण प्रतिरोध का संकल्प, चेतावनी भी जारी
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, जिरगा का समापन संवैधानिक तरीकों से शांतिपूर्ण प्रतिरोध जारी रखने की शपथ के साथ हुआ, लेकिन साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि वैध मांगों की अनदेखी की गई, तो अब और चुप रहना संभव नहीं होगा।
यह जिरगा पाकिस्तान की राज्य नीतियों पर कठोर अभियोग प्रस्तुत करता है, जहाँ शासन के स्थान पर सैन्य प्रभुत्व हावी है और सुरक्षा के नाम पर नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों की बलि दी जा रही है। वजीरिस्तान में आदिवासी समुदाय ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनके अधिकारों को बहाल नहीं किया गया और राज्य हिंसा जारी रही, तो क्षेत्र में विरोध और असंतोष और तेज़ होगा।
Pakistan Denies Baloch Leaders’ Families and Lawyers Access Amid Human Rights Concerns

