भारतीय सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री बी. सरोजा देवी का निधन 14 जुलाई 2025 को बेंगलुरु स्थित उनके आवास पर हो गया। 87 वर्षीय यह दिग्गज अदाकारा उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं। उन्होंने पांच भाषाओं में 160 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर भारतीय सिनेमा में एक अमिट छाप छोड़ी।
उनका जाना न केवल कन्नड़ सिनेमा बल्कि तमिल, तेलुगु, हिंदी और सिंहली फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी एक अपूरणीय क्षति है।
अभिनयकी शुरुआत और पहला ब्रेक
बी. सरोजा देवी ने अपने करियर की शुरुआत कन्नड़ फिल्म ‘महाकवि कालिदास‘ (1955) से की। इसी फिल्म से उन्हें दर्शकों का पहला प्यार मिला और यहीं से शुरू हुआ उनका छह दशक लंबा सिने-सफर। उन्होंने उस दौर में अभिनय शुरू किया जब महिला कलाकारों के लिए सीमित मौके होते थे, लेकिन उन्होंने अपनी प्रतिभा से हर बंधन को तोड़ा।
तमिल और तेलुगु सिनेमा में मिली पहचान
तमिल फिल्म ‘नादोड़ी मन्नन’ में एम.जी. रामचंद्रन के साथ उनकी जोड़ी खूब सराही गई। इसके बाद उन्होंने ‘कर्पूरा करासी’, ‘थिरुमनम’, ‘कुला देवी’, ‘पारसक्ति’ जैसी फिल्मों से तमिल दर्शकों के दिलों में गहरी पहचान बनाई।
तेलुगु सिनेमा में भी ‘पांडुरंगा महत्यम’ और ‘सत्य हरिश्चंद्र’ जैसी फिल्मों ने उन्हें एक ऑल–इंडिया स्टार बना दिया।
हिंदी सिनेमा में भी कम नहीं रही छाप
हिंदी फिल्मों में भी बी. सरोजा देवी ने अपनी खास पहचान बनाई। उन्होंने ‘सास बहू’, ‘गुनाह और कानून’, ‘बेटी बेटे’, ‘प्यार का सागर’, ‘राजा और रंक’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया। उनके सौंदर्य, संवाद अदायगी और नृत्य ने उन्हें सभी भाषाओं के दर्शकों की पसंदीदा अभिनेत्री बना दिया।
बी. सरोजा देवी: अभिनय सरस्वती का खिताब
उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति, संवादों की स्पष्टता और आंखों से अभिनय करने की कला ने उन्हें ‘अभिनय सरस्वती’ की उपाधि दिलाई। वे उन गिनी-चुनी अभिनेत्रियों में थीं जिन्होंने अपने करियर के दौरान नेहरू, इंदिरा गांधी और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे कई नेताओं से भी सम्मान प्राप्त किया।

कुछ यादगार कन्नड़ फिल्में
बी. सरोजा देवी ने कन्नड़ सिनेमा में कई यादगार फिल्में दीं:
- कित्तूर चेन्नम्मा
- भक्त कनकदास
- अन्ना थम्मा
- बाले बंगारा
- नागकन्निके
- बेट्टादा हूवु
- कस्तूरी निवास
इन फिल्मों में उन्होंने सामाजिक, ऐतिहासिक और धार्मिक किरदारों को बड़ी खूबी से निभाया।
सम्मान और पुरस्कार
B. Saroja Devi Death की खबर के साथ उनकी उपलब्धियां एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्हें भारतीय सरकार द्वारा दिए गए सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाज़ा गया:
- पद्म श्री (1969)
- पद्म भूषण (1992)
- कलाईमामणि अवॉर्ड – तमिलनाडु सरकार द्वारा
- डॉक्टरेट (मानद उपाधि) – बेंगलुरु विश्वविद्यालय से
- राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (लाइफटाइम अचीवमेंट श्रेणी)
ये सभी सम्मान उनकी प्रतिभा, समर्पण और भारतीय सिनेमा में योगदान को दर्शाते हैं।
पारिवारिक जीवन और बाद का योगदान
विवाह के बाद बी. सरोजा देवी ने फिल्मों से कुछ समय के लिए दूरी बना ली, लेकिन सामाजिक कार्यों और महिला सशक्तिकरण से जुड़ी रहीं। उन्होंने कई सरकारी और सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर महिला कलाकारों की दशा सुधारने की दिशा में काम किया।
उनका जीवन न केवल एक अभिनेत्री के रूप में बल्कि एक समाजसेविका के रूप में भी प्रेरणादायी रहा है।
🕯 अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि
B. Saroja Devi Death के बाद उनका अंतिम संस्कार बेंगलुरु में किए जाने की संभावना है। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, फिल्म कलाकारों और प्रशंसकों ने उन्हें सोशल मीडिया और प्रेस स्टेटमेंट के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की है।
देश भर के सिनेमाघरों और फिल्म संस्थानों में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें याद किया गया।

उनके जाने के बाद क्या रह गया?
बी. सरोजा देवी अपने पीछे छोड़ गई हैं:
- 160+ फिल्मों की बेमिसाल विरासत
- संस्कृति, परंपरा और महिला सशक्तिकरण का आदर्श रूप
- दर्शकों की अनगिनत यादें और सदाबहार गीत
- एक प्रेरणा जो पीढ़ियों तक कलाकारों को दिशा देती रहेगी
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