चीन की GDP ग्रोथ ने एक बार फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था को चौंका दिया है। अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में चीन ने 5.2% की सालाना वृद्धि दर दर्ज की है, जो अमेरिका के साथ लंबे समय से जारी व्यापार युद्ध और घरेलू चुनौतियों के बावजूद एक बेहद मजबूत संकेत है।
विश्लेषकों की उम्मीदों से कहीं बेहतर इस आंकड़े ने साबित कर दिया कि चीन अभी भी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक ताकतवर खिलाड़ी है। यह प्रदर्शन कई रणनीतिक कदमों और संरचनात्मक निवेशों का परिणाम है, जिसने डगमगाते ड्रैगन को स्थिर कर दिया।
निवेश और निर्यात ने थामा हाथ
चीन की GDP ग्रोथ को मजबूती देने में सबसे अहम भूमिका निभाई है निवेश और निर्यात ने।
सरकार ने फैक्ट्रियों, हाई-स्पीड रेलवे, और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भारी निवेश किया। इसके साथ ही, चीन ने एक चतुर व्यापार रणनीति अपनाई जिसमें उसने अपने उत्पादों को सीधे अमेरिका भेजने की बजाय दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के जरिए एक्सपोर्ट करना शुरू किया। वहां से सामान अमेरिका और यूरोप को भेजा गया जिससे अमेरिकी टैरिफ से बचा जा सका।
सब्सिडी और घरेलू मांग को बढ़ावा
सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों, एसी, वॉशिंग मशीन जैसे एनर्जी एफिशिएंट उत्पादों पर सब्सिडी देना शुरू किया ताकि घरेलू उपभोक्ता खर्च में तेजी लाई जा सके। चीन की GDP ग्रोथ के लिए यह नीति बेहद कारगर रही क्योंकि इसने न केवल उपभोक्ता को राहत दी बल्कि निर्माण इकाइयों की मांग भी बढ़ी।
हालांकि, कुछ स्थानीय सरकारों को फंडिंग की समस्या का सामना करना पड़ा, जिससे योजना का विस्तार हर क्षेत्र में समान रूप से नहीं हो सका।
डिफ्लेशन की मार और घटती आमदनी
जहां एक ओर ग्रोथ का आंकड़ा बेहतर रहा, वहीं दूसरी ओर चीन अभी भी डिफ्लेशन की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। वस्तुओं की अधिकता और उपभोक्ता मांग में कमजोरी के कारण कारें, इलेक्ट्रॉनिक्स और घर जैसी महंगी चीजें सस्ती होती जा रही हैं।
इससे कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ा और चीन की GDP ग्रोथ के बावजूद लोगों की व्यक्तिगत आय में गिरावट दर्ज की गई। डिफ्लेशन से निकलना किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए सबसे कठिन चुनौती होती है।
रियल एस्टेट संकट अभी भी बरकरार
चीन का रियल एस्टेट क्षेत्र अब भी दबाव में है। सरकार ने कर्ज सस्ता करने के लिए ब्याज दरों में कटौती की, जिससे कर्ज़ लेना आसान हुआ। 2025 में सरकारी बॉन्ड की ब्याज दरें 11 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गईं।
लेकिन इसके बावजूद घरों की कीमतें एक बार फिर गिरने लगी हैं। इसका साफ मतलब है कि रियल एस्टेट सेक्टर में विश्वास की कमी अब भी बनी हुई है, जो चीन की GDP ग्रोथ के लिए भविष्य में खतरा बन सकती है।

अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने बढ़ाया ग्रोथ अनुमान
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स और अन्य संस्थानों ने 2025 के लिए चीन की वार्षिक वृद्धि दर का अनुमान 4.3% से बढ़ाकर 4.7% कर दिया है।
नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-जून तिमाही में 1.1% तिमाही दर से भी ग्रोथ हुई है, जो एक रिकॉर्ड है। यह बताता है कि चीन का आर्थिक मॉडल अभी भी लचीला है।
चीन की रणनीतिक नीतियां
- फैक्ट्रियों और बुनियादी ढांचे में भारी निवेश
- इलेक्ट्रिक गाड़ियों और उपकरणों पर सब्सिडी
- दक्षिण-पूर्वी एशिया के ज़रिए एक्सपोर्ट चैनल
- ब्याज दरों में कटौती
- उत्पादन के लिए अग्रिम विदेशी ऑर्डर
इन सभी कदमों ने चीन की GDP ग्रोथ को स्थिर रखा, जबकि अमेरिका और यूरोपीय देशों में आर्थिक मंदी की आशंका बनी हुई है।

वैश्विक व्यापार युद्ध में चीन की स्थिति
डोनाल्ड ट्रंप के दौर में शुरू हुआ व्यापार युद्ध अब भी जारी है, लेकिन चीन ने अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव न्यूनतम करने के लिए अपने निर्यात नेटवर्क को विविध बनाया है।
दक्षिण कोरिया, वियतनाम, मलेशिया जैसे देशों के माध्यम से चीन ने अपने सामान को अमेरिका तक पहुँचाया और इस ट्रांजिट मॉडल ने चीन की GDP ग्रोथ को गिरने नहीं दिया।
भले ही कई अंदरूनी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, पर चीन ने यह दिखा दिया कि वह वैश्विक दबावों में भी अपने मॉडल को स्थिर रख सकता है। चीन की GDP ग्रोथ 2025 में वैश्विक निवेशकों और आर्थिक रणनीतिकारों के लिए एक अहम संकेत है कि यह देश अब भी भविष्य की वैश्विक शक्ति बना हुआ है।
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