Source| reuters
बीते कुछ वर्षों में वैश्विक व्यापार युद्धों का स्वरूप बदलता रहा है, लेकिन चीन ने एक ऐसी रणनीति अपनाई है जो इस युद्ध को नए स्तर पर ले जाती है। यह रणनीति है – “दुर्लभ मृदा खनिजों” (Rare Earth Minerals) का हथियार के रूप में उपयोग। यह केवल व्यापार नहीं, बल्कि भू-राजनीति, तकनीक और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भी चीन की पकड़ को दर्शाता है।
चीन की नई रणनीति
चीन की नई रणनीति, अमेरिकी शैली की निर्यात नियंत्रण प्रणाली चीन ने अब अपने दुर्लभ मृदा खनिजों के निर्यात पर एक विस्तारित लाइसेंस प्रणाली लागू की है, जो अमेरिका की निर्यात नियंत्रण नीति से प्रेरित है। इससे चीन को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के भीतर संवेदनशील बिंदुओं की निगरानी करने और उन्हें रणनीतिक रूप से नियंत्रित करने की क्षमता मिल गई है।
क्यों महत्वपूर्ण हैं दुर्लभ मृदा खनिज?
ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों, निर्देशित मिसाइलों, जेट इंजन, चिप डिजाइन और अन्य अत्याधुनिक तकनीकों के लिए आवश्यक हैं। चीन दुनिया के लगभग 70% दुर्लभ मृदा खनिजों का खनन करता है, और प्रसंस्करण पर उसका लगभग एकाधिकार है।

अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता और ट्रम्प-शी बातचीत हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प और शी जिनपिंग के बीच हुई फोन कॉल इस मुद्दे पर केंद्रित रही। जबकि चीन लाइसेंसिंग प्रक्रिया में कुछ लचीलापन दिखाने का संकेत दे रहा है, पर उसकी प्रणाली को समाप्त करने का कोई इरादा नहीं है।
वैश्विक कंपनियों पर असर यूरोपीय और जापानी कंपनियों को चीन से लाइसेंस मिलने में देरी के कारण उत्पादन में बाधा आई है। उदाहरण के तौर पर, कई ऑटो आपूर्तिकर्ताओं ने उत्पादन रुकने की जानकारी दी है।
डेटा और निगरानी, चीन की नई ताकत इस निर्यात प्रणाली के ज़रिए चीन को यह पता चलता है कि विश्व की कंपनियाँ इन खनिजों का उपयोग कैसे कर रही हैं। यह जानकारी अन्य सरकारों के पास नहीं होती, जिससे बीजिंग को रणनीतिक बढ़त मिलती है।
रणनीतिक जवाबी हमला और इतिहास चीन ने 2010 में जापान के साथ विवाद के दौरान इस तरह की शक्ति का प्रयोग किया था। अब उसने इसे एक नीति का रूप दे दिया है। 2020 का नया निर्यात नियंत्रण कानून चीन को तकनीक, डेटा और महत्वपूर्ण सामग्रियों पर नियंत्रण का कानूनी अधिकार देता है।
अमेरिका की चिंता और नीतियाँ
अमेरिका ने उन्नत सेमीकंडक्टर चिप्स पर चीन को प्रतिबंधित किया, लेकिन चीन ने गैलियम, जर्मेनियम और ग्रेफाइट जैसे खनिजों पर प्रतिक्रिया स्वरूप निर्यात नियंत्रण लगाया।

भविष्य की राह विश्लेषकों का मानना है कि चीन की यह प्रणाली वैश्विक व्यापारिक और तकनीकी संतुलन को बदल सकती है। परंतु यह जानना कठिन है कि चीन कितने लाइसेंस स्वीकृत करेगा, क्योंकि यह डेटा सार्वजनिक नहीं होता।
चीन ने वर्षों के नियोजन और रणनीतिक सोच से एक ऐसा व्यापारिक हथियार तैयार किया है जो न केवल वैश्विक सप्लाई चेन को प्रभावित करता है, बल्कि दुनिया की बड़ी शक्तियों को भी झकझोरता है। यह रणनीति आने वाले वर्षों में व्यापार युद्धों का प्रमुख मोर्चा बन सकती है।
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