FM Jaishankar ne Pak ko de di seedhi warning – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक साक्षात्कार में पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि हाल ही में कश्मीर में हुआ आतंकी हमला पाकिस्तान की कट्टरपंथी सोच का नतीजा है। यह हमला केवल निर्दोष पर्यटकों की हत्या तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य भारत की धार्मिक और सामाजिक एकता को भी चोट पहुंचाना था।

कश्मीर हमला: मानवता पर हमला

यह हमला पूरी तरह से अमानवीय था। इसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की उनके परिवार के सामने बेरहमी से हत्या कर दी गई। आतंकियों ने पीड़ितों से उनका धर्म भी पूछा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह हमला सांप्रदायिक तनाव फैलाने के इरादे से किया गया। यह न केवल मानवता के खिलाफ अपराध था, बल्कि कश्मीर की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था पर भी एक सीधा आघात था।

पाकिस्तान के सेना प्रमुख पर गंभीर आरोप

एस. जयशंकर ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर पर सीधा आरोप लगाया कि उनका दृष्टिकोण कट्टर धार्मिक सोच से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से जो विचारधारा सामने आई है, वह इस हमले से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है।

टीआरएफ ने ली हमले की जिम्मेदारी

जयशंकर ने बताया कि “The Resistance Front” (टीआरएफ) नामक आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। यह संगठन पहले से ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में था। भारत को इसके कमांड सेंटर्स की जानकारी पहले से थी, और यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की सूची में भी दर्ज है।

ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ भारत की कार्रवाई

भारत ने इस हमले के जवाब में 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत ठोस सैन्य कार्रवाई की। जयशंकर ने साफ किया कि यह ऑपरेशन पूरी तरह भारत की स्वतंत्र नीति के तहत किया गया। इसमें किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी। हालांकि, अमेरिका और अन्य देशों से बातचीत जरूर हुई, लेकिन फैसला भारत ने अपने सुरक्षा हितों को ध्यान में रखकर ही लिया।

“अमेरिका तो अमेरिका में ही था” – जयशंकर

जब उनसे पूछा गया कि अमेरिका ने इस मामले में क्या भूमिका निभाई, तो उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “अमेरिका तो अमेरिका में ही था।” उन्होंने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री और उपराष्ट्रपति वैंस ने दोनों पक्षों से बात की थी, परंतु अंतिम निर्णय भारत ने ही लिया।

भारत-पाक संबंध: जटिल लेकिन स्पष्ट नीति

जयशंकर ने यह भी जोड़ा कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से कठिन रहे हैं। 1947 से ही पाकिस्तान ने कश्मीर में प्रॉक्सी युद्ध की नीति अपनाई है। भारत, आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन यह संवाद केवल द्विपक्षीय रूप से ही होगा — किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं होगी।

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