क्रेडिट स्कोर के आधार पर मिल रही नौकरी: जानें क्यों खराब स्कोर बना सकता है बेरोजगारी की वजह – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

यह ब्लॉग क्रेडिट स्कोर की नौकरी में बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालता है। पहले जहां इसे सिर्फ लोन और क्रेडिट कार्ड से जोड़ा जाता था, अब बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में यह भर्ती प्रक्रिया का अहम हिस्सा बन गया है। कई कंपनियां कैंडिडेट्स का क्रेडिट स्कोर देखकर उनकी वित्तीय जिम्मेदारी और विश्वसनीयता आंक रही हैं। खराब स्कोर होने पर जॉब रिजेक्ट भी की जा सकती है, खासकर कैशियर और मैनेजर जैसे पदों के लिए। इस ब्लॉग में बताया गया है कि कैसे क्रेडिट स्कोर काम करता है, और करियर पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है।

अब सिर्फ लोन ही नहीं, आपकी नौकरी भी आपके क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करने लगी है। खासकर बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में यह नया चलन बन चुका है, पूरी जानकारी।

अब तक क्रेडिट स्कोर (Credit Score) को सिर्फ लोन लेने या क्रेडिट कार्ड की एप्लिकेशन से जोड़ा जाता था, लेकिन अब यह आपकी नौकरी के लिए भी बेहद जरूरी बन गया है। बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर से जुड़ी कई कंपनियां अब उम्मीदवारों का क्रेडिट स्कोर चेक कर रही हैं। अगर यह स्कोर खराब है, तो नौकरी पाना मुश्किल हो सकता है।

नौकरी के लिए अब जरूरी है अच्छा क्रेडिट स्कोर

एक अच्छी नौकरी पाने के लिए लोग स्किल डेवेलपमेंट, प्रोफेशनल CV, इंटरव्यू प्रैक्टिस आदि पर काम करते हैं। लेकिन अब कंपनियां, खासकर बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां और सरकारी वित्तीय संस्थान, कैंडिडेट का क्रेडिट स्कोर भी जांच रही हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, खासकर मैनेजर और कैशियर जैसे फाइनेंस से जुड़े पदों पर यह जांच आम हो गई है।

क्रेडिट स्कोर क्या है और कैसे काम करता है?

क्रेडिट स्कोर एक तीन अंकों की संख्या होती है जो आपकी फाइनेंशियल डीसिप्लिन को दर्शाती है। यह स्कोर आपकी लोन चुकौती, क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट और क्रेडिट हिस्ट्री पर आधारित होता है। TransUnion CIBIL, Equifax, Experian और CRIF High Mark जैसी एजेंसियां यह स्कोर जारी करती हैं। स्कोर 300 से 900 के बीच होता है, जिसमें 750 या उससे ऊपर को अच्छा स्कोर माना जाता है।

सिविल स्कोर और क्रेडिट स्कोर में अंतर

सिविल स्कोर विशेष रूप से CIBIL द्वारा जारी किया जाता है जबकि क्रेडिट स्कोर एक व्यापक शब्द है जो किसी भी क्रेडिट ब्यूरो द्वारा प्रदान किया जा सकता है। दोनों स्कोर का उद्देश्य व्यक्ति की ऋण भुगतान क्षमता और फाइनेंशियल व्यवहार को आंकना होता है।

क्यों कंपनियां देखने लगी हैं क्रेडिट स्कोर

बैंकिंग और फाइनेंस एक्सपर्ट मोहित गांग के अनुसार, कुछ नियोक्ता अब क्रेडिट स्कोर को बैकग्राउंड वेरिफिकेशन का हिस्सा मानते हैं। उनका मानना है कि जो व्यक्ति अपने पैसों को सही ढंग से मैनेज नहीं कर पाता, वह कंपनी की जिम्मेदारियों को भी गंभीरता से नहीं निभा पाएगा।

खराब क्रेडिट स्कोर का असर नौकरी पर

विशेषज्ञों के अनुसार, खराब क्रेडिट स्कोर की वजह से जॉब एप्लिकेशन रिजेक्ट हो सकती है। कंपनियां मानती हैं कि खराब वित्तीय स्थिति वाला व्यक्ति तनाव और मानसिक दबाव में रह सकता है, जिसका असर कार्यक्षमता पर पड़ सकता है।

अगर आप बैंकिंग, इंश्योरेंस या किसी भी वित्तीय संस्था में करियर बनाने की सोच रहे हैं तो अब सिर्फ स्किल और डिग्री ही नहीं, आपका क्रेडिट स्कोर भी उतना ही महत्वपूर्ण है। समय रहते अपने फाइनेंशियल बिहेवियर में सुधार करें, ताकि करियर की राह में क्रेडिट स्कोर बाधा न बने।

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