भारत को अमेरिका के रासायन उत्पादों के बाजार में अपनी हिस्सेदाaरी बढ़ाने का सुनहरा अवसर मिला है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत 25% से कम टैरिफ पर अमेरिका के साथ सफलतापूर्वक समझौता करता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को 0.3% जीडीपी वृद्धि का लाभ मिल सकता है।
SBI रिपोर्ट का दावा: टैरिफ में राहत से मिलेगा बड़ा मौका
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत अमेरिका के साथ कम टैरिफ वाली डील करने में सफल हो जाए, तो अमेरिकी बाजार में भारतीय रासायनिक उत्पादों की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है। अभी चीन और सिंगापुर जैसे देश अमेरिका को बड़े पैमाने पर रसायन निर्यात कर रहे हैं। लेकिन अगर भारत इन देशों के बाजार में केवल 2% हिस्सा भी हासिल करता है, तो जीडीपी में 0.2% की बढ़ोतरी संभव है।
जापान, मलेशिया और दक्षिण कोरिया से भी मिल सकता है लाभ
रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि जापान, मलेशिया और दक्षिण कोरिया वर्तमान में अमेरिका को रासायनिक निर्यात में भारत की तुलना में अधिक टैरिफ का सामना कर रहे हैं। यदि भारत इन देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धात्मक रेट पर 1% अमेरिकी रसायन बाजार पर कब्जा कर लेता है, तो देश की जीडीपी में 0.1% की अतिरिक्त वृद्धि संभव है।
भारत का तुलनात्मक लाभ (RCA) रसायन क्षेत्र में
भारत अमेरिका को रसायन क्षेत्र में एक्सपोर्ट करने वाले शीर्ष 5 देशों में एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास ‘रिवील्ड कंपेरेटिव एडवांटेज’ (RCA) मौजूद है। यह संकेतक यह दर्शाता है कि भारत इस सेक्टर में अन्य देशों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी है। हालाँकि अमेरिका में चीन और सिंगापुर की हिस्सेदारी अब भी अधिक बनी हुई है।
सकल घरेलू उत्पाद में संभावित 0.3% की वृद्धि
रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि अगर भारत अमेरिका के रासायनिक आयात बाजार में चीन और सिंगापुर से 2% और जापान, मलेशिया व दक्षिण कोरिया से 1% की हिस्सेदारी छीनने में सफल होता है, तो उसकी जीडीपी में कुल 0.3% की वृद्धि संभव है। यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत सकारात्मक संकेत होगा।

भारत के लिए रणनीतिक सुझाव:
- टैरिफ वार्ता को प्राथमिकता दें: अमेरिका के साथ कम टैरिफ डील को लेकर कूटनीतिक प्रयास बढ़ाने होंगे।
- इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स पर ध्यान दें: निर्यात लागत को कम करने के लिए पोर्ट, भंडारण और ट्रांसपोर्ट को और बेहतर बनाना होगा।
- रसायन उद्योग में निवेश बढ़ाएं: भारत को अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को मजबूत करके अमेरिका की मांग पूरी करने में सक्षम बनना होगा।
- क्वालिटी सर्टिफिकेशन में तेजी: अमेरिकी मानकों के अनुसार प्रमाणन प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाना जरूरी है।
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