Kailash Mansarovar Yatra Disrupted Near Nepal-China Border Due to Floods – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

काठमांडू [ नेपाल]: नेपाल-चीन सीमा पर आई बाढ़ और नेपाल के रसुवागढ़ी सीमा बिंदु के पास मितेरी पुल के ढह जाने के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए हजारों भारतीय और विदेशी तीर्थयात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रेकिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ नेपाल (TAAN) ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए चीनी और नेपाली सरकारों से तत्काल राजनयिक कदम उठाने की अपील की है ताकि यात्रा जल्द फिर से शुरू हो सके।

पुल ढहने से तीर्थयात्रियों की आवाजाही बाधित

TAAN के महासचिव सोनम ग्यालजेन शेरपा ने एक बयान में बताया कि मंगलवार सुबह लेहेन्डे नदी में आई बाढ़ के कारण नेपाल-चीन सीमा पर मितेरी पुल ढह गया। यह पुल कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण संपर्क बिंदु था और इसके टूट जाने से यात्रियों की आवाजाही रुक गई है। शेरपा ने बताया कि इसके कारण रसुवागढ़ी मार्ग से कैलाश मानसरोवर जाने वाले नेपाली और विदेशी यात्रियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

चीनी सरकार से वैकल्पिक मार्गों की सुविधा का अनुरोध

टीएएएन ने चीनी सरकार से आग्रह किया है कि वह तीर्थयात्रियों को तातोपानी, कोरोला, हिल्सा और अन्य चेकपॉइंट्स से गुजरने की सुविधा प्रदान करने के लिए तत्काल कूटनीतिक कदम उठाए ताकि यात्रा बाधित न हो। इसके साथ ही, उन्होंने नेपाल के विदेश मंत्रालय (MoFA) से भी काठमांडू स्थित चीनी दूतावास के साथ मिलकर वीज़ा प्रक्रिया को सरल और तेज करने के लिए कूटनीतिक बातचीत करने का अनुरोध किया है ताकि तीर्थयात्रियों को जल्द यात्रा का अवसर मिल सके।

कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू, 25,000 भारतीय तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद

इस वर्ष पांच वर्षों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा नेपाल के रास्ते फिर से शुरू हो रही है, जिसके लिए कम से कम 25,000 भारतीय तीर्थयात्रियों के नेपाल पहुंचने की संभावना है। गौरतलब है कि 27 जनवरी, 2025 को बीजिंग में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी थी।

भारत के आधिकारिक और नेपाल के वैकल्पिक मार्ग

भारत सरकार कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दो आधिकारिक मार्ग संचालित करती है: लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) – कुमाऊँ मंडल विकास निगम द्वारा प्रबंधित और नाथू ला दर्रा (सिक्किम), सिक्किम पर्यटन विकास निगम द्वारा प्रबंधित

ये दोनों मार्ग सरकार द्वारा पूर्व निर्धारित और कोटा आधारित हैं। हालांकि, ज्यादातर भारतीय तीर्थयात्री नेपाल के माध्यम से निजी रूप से यात्रा करना अधिक सुविधाजनक और किफायती समझते हैं। नेपाल के चार प्रमुख मार्ग हैं:-तातोपानी, रसुवागढ़ी, हिल्सा और काठमांडू-ल्हासा उड़ान मार्ग

रसुवागढ़ी-केरुंग मार्ग, जो दिसंबर 2014 से चालू हुआ और 2017 में अंतरराष्ट्रीय चेकपॉइंट के रूप में अपग्रेड हुआ, तीर्थयात्रियों के लिए सबसे किफायती और लोकप्रिय मार्ग बन चुका है। इस मार्ग से यात्रा करने वालों को वीज़ा और पासपोर्ट के माध्यम से सीमा पार करने की अनुमति मिलती है।

नेपाल के पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है तीर्थयात्रा सीजन

जून से सितंबर तक चलने वाला कैलाश मानसरोवर यात्रा का मौसम नेपाल के पर्यटन क्षेत्र और सरकारी राजस्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान हजारों तीर्थयात्री नेपाल में होटल, रेस्तरां और ट्रैवल एजेंट्स की सेवाएं लेते हैं, जिससे एयरलाइंस, गाइड्स और कुलियों को रोजगार के अवसर मिलते हैं। यात्रा में आ रही इस अस्थायी बाधा के कारण पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है।

टीएएएन ने नेपाल और चीन दोनों सरकारों से अनुरोध किया है कि तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए जल्द से जल्द समाधान ढूंढा जाए ताकि वे कैलाश मानसरोवर की पवित्र यात्रा बिना किसी देरी के कर सकें।

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