2021 में किसान आंदोलन के दौरान एक विवादास्पद टिप्पणी ने अब कंगना रनौत के लिए कानूनी मुसीबत खड़ी कर दी है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मानहानि के एक केस को खारिज करने की उनकी याचिका को ठुकरा दिया है। NDTV India की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला एक बुजुर्ग महिला मोहिंदर कौर से जुड़ा है, जिन पर कंगना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
किसान आंदोलन और कंगना रनौत की टिप्पणी
साल 2021 में देशभर में किसान आंदोलन अपने चरम पर था। सोशल मीडिया पर आंदोलन की तस्वीरें, वीडियो और बयानों की बाढ़ सी आ गई थी। ऐसे ही समय में कंगना रनौत ने एक बुजुर्ग महिला की तस्वीर शेयर करते हुए एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि यह महिला “100 रुपये में धरना देने आती हैं।” बाद में यह तस्वीर मोहिंदर कौर की बताई गई।
इस टिप्पणी के बाद पूरे देश में कंगना की तीखी आलोचना हुई। बठिंडा निवासी मोहिंदर कौर ने इस टिप्पणी को अपमानजनक मानते हुए कंगना के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया।
हाईकोर्ट में कंगना रनौत की याचिका
कंगना रनौत ने इस केस को खारिज करवाने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया था। उन्होंने यह तर्क दिया कि उनकी पोस्ट का उद्देश्य किसी की मानहानि करना नहीं था और यह उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत आता है। उनका कहना था कि उन्होंने किसी को व्यक्तिगत रूप से निशाना नहीं बनाया।
लेकिन हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है और केस को खारिज करने का कोई आधार नहीं है। इससे स्पष्ट है कि अब कंगना को इस केस का सामना करना होगा।
मोहिंदर कौर का पक्ष
मोहिंदर कौर के वकील ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला सिर्फ मोहिंदर कौर के लिए नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो सोशल मीडिया पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों से प्रभावित होते हैं। सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं कि किसी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई जाए।
सोशल मीडिया पर कंगना के विवाद
यह पहली बार नहीं है जब कंगना रनौत का सोशल मीडिया पोस्ट विवादों में घिरा हो। किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय साजिश करार दिया था और कई बार आंदोलनकारी किसानों पर टिप्पणी की थी। उनके बयानों के खिलाफ बुलंदशहर और आगरा जैसे कई शहरों में शिकायतें दर्ज की गई थीं।

राजनीतिक और कानूनी प्रभाव
कंगना रनौत अब एक सांसद भी हैं, और ऐसे में उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही उनके राजनीतिक करियर पर भी असर डाल सकती है। यह मामला बताता है कि सोशल मीडिया पर सार्वजनिक व्यक्तित्वों को भी जिम्मेदाराना व्यवहार करना चाहिए।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
कोर्ट के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कई यूजर्स ने कोर्ट के फैसले को ‘उचित’ बताया, जबकि कुछ ने कंगना के समर्थन में लिखा। एक तरफ जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर मर्यादा बनाए रखने की भी मांग की जा रही है।
कंगना के लिए आगे की राह
अब जबकि हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है, कंगना को बठिंडा की स्थानीय अदालत में मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अदालत में मानहानि साबित हो जाती है, तो कंगना को माफी मांगनी पड़ सकती है या फिर उन्हें जुर्माना या सजा भी हो सकती है।
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