भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल के करीब पहुंच रहा है, जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अगुवाई में Axiom-4 मिशन की अंतरिक्ष यात्रा समाप्त हो रही है। Axiom-4 के सभी चार सदस्य, जिनमें शुभांशु शुक्ला (पायलट), पूर्व NASA एस्ट्रोनॉट पेगी व्हिटसन (कमांडर), पोलैंड के स्लावोस्ज उज़नांस्की और हंगरी के टिबोर कपू (मिशन स्पेशलिस्ट्स) शामिल हैं, अब धरती पर लौटने की प्रक्रिया में हैं। यह मिशन ISRO और स्पेसX के सहयोग से संचालित हुआ है।
22.5 घंटे का कठिन और सुनियोजित रिटर्न मिशन

शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम का लौटना एक साधारण यात्रा नहीं है। जब SpaceX Dragon कैप्सूल सोमवार को शाम 4:35 बजे IST पर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के Harmony मॉड्यूल से अनडॉक करेगा, उसके बाद 22.5 घंटे का गहन रिटर्न प्रोसेस शुरू होगा।
यह देरी महज अंतरिक्ष दूरी की वजह से नहीं है, बल्कि सुरक्षा मानकों, कक्षा कम करने की प्रक्रिया, डी-ऑर्बिट बर्न, ऑर्बिटल अलाइन्मेंट और अंततः पैराशूट के माध्यम से सही स्थान पर स्प्लैशडाउन सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
NASA और SpaceX की साझा निगरानी में कैप्सूल को 400 किलोमीटर की ऊंचाई से धीरे-धीरे पृथ्वी के वायुमंडल में लाया जाएगा। इसका अंतिम पड़ाव कैलिफोर्निया तट के पास निर्धारित किया गया है, जहां टीम को तुरंत रिकवरी बोट्स के माध्यम से रेस्क्यू किया जाएगा।
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शुभांशु शुक्ला: एक नई प्रेरणा
शुभांशु शुक्ला ने विदाई समारोह के दौरान कहा कि उन्हें 1984 की यादें ताज़ा हो गईं, जब राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से “सारे जहां से अच्छा” कहा था। उन्होंने भी वही भावनाएं व्यक्त कीं, कि आज भी अंतरिक्ष से भारत सबसे सुंदर दिखता है। यह बयान भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।
उनकी मौजूदगी और उपलब्धि भारत के लिए सम्मान का विषय है, खासकर तब जब इस मिशन में ISRO ने लगभग 550 करोड़ रुपये का निवेश किया। इतना ही नहीं, इस मिशन के तहत कुल 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग हुए, जिनमें से सात को ISRO ने शॉर्टलिस्ट किया था। ये प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में जीवन विज्ञान, तकनीकी नवाचार और चिकित्सा विज्ञान से संबंधित थे।
धरती पर लौटने के बाद की प्रक्रिया
स्प्लैशडाउन के बाद, चारों एस्ट्रोनॉट्स का शुरुआती मेडिकल परीक्षण किया जाएगा और फिर उन्हें कम से कम 10 दिनों के लिए क्वारंटाइन में रखा जाएगा ताकि वे पृथ्वी की ग्रेविटी के साथ फिर से सामंजस्य बिठा सकें।
इस प्रक्रिया का उद्देश्य न केवल स्वास्थ्य परीक्षण करना है, बल्कि यह भी देखना है कि माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों से शरीर को कितना समय लगता है सामान्य स्थिति में लौटने में। इससे भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों के लिए वैज्ञानिक डेटा तैयार होगा।

ISRO और Axiom Space की साझेदारी
Axiom-4 मिशन ISRO और Axiom Space के बीच हुई एक निजी साझेदारी का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक मानव अंतरिक्ष अभियानों में अग्रणी बनाना है। शुभांशु शुक्ला की भूमिका न केवल तकनीकी थी, बल्कि कूटनीतिक और प्रेरणात्मक भी रही।
अंतरिक्ष से पृथ्वी की ओर
SpaceX Dragon का रिटर्न प्रोसेस पूरी तरह स्वचालित होगा, लेकिन इसमें मौसम की अनुकूलता आवश्यक होगी। यदि मौसम की स्थिति प्रतिकूल रही तो रिटर्न को स्थगित भी किया जा सकता है। NASA ने स्पष्ट किया है कि सभी समयसीमाएं संभावित विलंब को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई हैं।
भारत की नई उड़ान
Axiom-4 मिशन और शुभांशु शुक्ला की भागीदारी ने भारतीय अंतरिक्ष अभियानों को एक नया अध्याय दिया है। भारत अब केवल अंतरिक्ष प्रक्षेपण में नहीं, बल्कि मानवयुक्त अभियानों में भी अग्रसर हो चुका है।
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