Syria Sectarian Clashes: 30 Dead In Swaida Violence – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

सीरिया एक बार फिर खून-खराबे की चपेट में है। दक्षिणी प्रांत स्वैदा (Swaida) में ड्रूज मिलिशिया और सुन्नी बेदुइन कबीलों के बीच हिंसक टकराव में 30 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है और करीब 100 लोग घायल हुए हैं। इस छोटे से टकराव की शुरुआत एक अपहरण और लूट की घटना से हुई थी, लेकिन जल्द ही यह जातीय हिंसा में बदल गया, जिससे पूरे इलाके में तनाव फैल गया।

स्वैदा की जंग: कैसे शुरू हुई हिंसा?

ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक ड्रूज समुदाय के सब्जी विक्रेता को सुन्नी बेदुइन समुदाय से जुड़े लोगों ने अगवा कर लिया और लूटपाट की। इसके जवाब में ड्रूज मिलिशिया ने जवाबी कार्रवाई की, जिससे दोनों समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी। इसके बाद से इलाके में अपहरण, मारपीट और गोलीबारी की कई घटनाएं सामने आईं।

अब तक 37 लोगों की मौत, मासूम भी शिकार

घटनाओं में अब तक 37 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं। इसके अलावा 90 से अधिक लोग घायल हैं, जिन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। सरकारी आंकड़ों से अलग स्थानीय सूत्रों का कहना है कि कई घायल अभी भी मलबे में दबे हो सकते हैं।

सरकार ने मानी असफलता, सेना तैनात

सीरियाई गृह मंत्रालय ने माना कि स्थिति “खतरनाक” हो चुकी है। मंत्रालय ने कहा कि स्थानीय प्रशासन की कमजोर पकड़ और दोनों समुदायों के बीच पहले से मौजूद तनाव ने हालात को और बिगाड़ दिया। इसके बाद सरकार ने सेना की टुकड़ियों को स्वैदा भेजा और पुलिस व आंतरिक मंत्रालय की विशेष टीमें भी इलाके में तैनात कर दी गई हैं।

ड्रूज समुदाय की पृष्ठभूमि और सरकारी अविश्वास

ड्रूज समुदाय एक धार्मिक अल्पसंख्यक है, जिसकी उत्पत्ति इस्माइली शाखा से हुई है। यह समुदाय मुख्य रूप से स्वैदा प्रांत और दमिश्क के दक्षिणी हिस्सों में रहता है। ड्रूजों ने बशर अल-असद सरकार के कमजोर पड़ने के बाद अपनी मिलिशिया बनानी शुरू की और आज तक वे नई सरकार को लेकर आशंकित बने हुए हैं।

14 साल की जंग का नया चेहरा

सीरिया में वर्ष 2011 से गृहयुद्ध जारी है। पहले यह संघर्ष बशर अल-असद की सत्ता के विरोध में था, लेकिन समय के साथ इसमें धार्मिक, जातीय और क्षेत्रीय तत्व जुड़ते गए। स्वैदा की यह हालिया झड़प सीरिया की उसी बिखरी हुई समाज व्यवस्था की एक और मिसाल है। ड्रूज और बेदुइन गुटों का यह टकराव दर्शाता है कि स्थायित्व और शांति अभी भी इस देश से कोसों दूर है।

सेना की भूमिका और चुनौतियाँ

सीरियाई सेना को अब न केवल हिंसा को रोकना है, बल्कि दोनों समुदायों के बीच मध्यस्थ की भूमिका भी निभानी है। लेकिन यह उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि दोनों गुट एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते और सरकार की भूमिका पर भी संदेह है। अगर सेना बलपूर्वक दबाव बनाती है, तो स्थिति और बिगड़ सकती है।

क्या है आगे का रास्ता?

सीरिया में शांति तभी संभव है जब:

  • सभी धार्मिक और जातीय समुदायों को बराबरी का प्रतिनिधित्व मिले।
  • सरकारी हस्तक्षेप निष्पक्ष और भरोसेमंद हो।
  • आतंक और असुरक्षा के माहौल को खत्म किया जाए।

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