विनायक चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है। यह भगवान गणेश को समर्पित है। यह त्योहार महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 30 मई को आएगा। इस दिन भक्तगण भगवान गणेश की पूजा करते हैं। वे व्रत भी रखते हैं ताकि उनकी ज़िन्दगी में सफलता और समृद्धि आए। साथ ही सभी बाधाएं दूर हों।
The Significance of Vinayaka Chaturthi
विनायक चतुर्थी का नाम दो शब्दों से बना है — “विनायक” और “चतुर्थी।” विनायक भगवान गणेश का एक नाम है। चतुर्थी का मतलब महीने की चौथी तारीख है। यह तिथि हर महीने आती है। लेकिन ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विशेष है। इसे गणेश जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। वे बुद्धि और ज्ञान के देवता भी हैं। नए कार्यों की शुरुआत में उनकी पूजा होती है। इसलिए यह पर्व नए आरंभ के लिए शुभ माना जाता है।
Rituals and Worship Practices
विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध होकर पूजा की जाती है। भक्त लाल रंग के कपड़े पहनते हैं। वे दुर्वा, फल, मोदक और लड्डू भगवान को चढ़ाते हैं। मोदक भगवान गणेश का प्रिय प्रसाद है।
पूजा के दौरान गणेश चालीसा, गणपति अथर्वशीर्ष और अन्य मंत्रों का जाप किया जाता है। घर और मंदिर फूलों और रंगोली से सजाए जाते हैं।
भक्त व्रत भी रखते हैं। व्रत के दौरान केवल शाकाहारी भोजन या फलाहार किया जाता है। व्रत खत्म होने पर प्रसाद बांटा जाता है। परिवार के सदस्य एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।
Social and Cultural Aspects
विनायक चतुर्थी केवल धार्मिक उत्सव नहीं है। यह सामाजिक मेलजोल का भी माध्यम है। बड़े शहरों में सार्वजनिक गणेश मूर्तियों की स्थापना होती है। कई दिन तक सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। इनमें भजन, कीर्तन, नृत्य और नाटक शामिल हैं।
मुंबई का गणेशोत्सव विश्व प्रसिद्ध है। वहां लाखों लोग इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं। यह पर्व सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है।

Vinayaka Chaturthi in Modern Times
आज के डिजिटल और व्यस्त जीवन में भी विनायक चतुर्थी का महत्व कम नहीं हुआ है। कई लोग ऑनलाइन पूजा और आरती में भाग लेते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अब ईको-फ्रेंडली गणेश मूर्तियां बनाई जा रही हैं। ये मूर्तियां पानी में जल्दी घुल जाती हैं। इसलिए पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं।
इस प्रकार, विनायक चतुर्थी हमें धार्मिक आस्था के साथ-साथ प्रकृति और सामाजिक जिम्मेदारी की भी सीख देती है।
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