हर साल 15 जून को दुनियाभर में विश्व पवन दिवस मनाया जाता है। यह दिन पवन ऊर्जा की शक्ति को समझने, उसे अपनाने और उसके महत्व को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इसे ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (GWEC) और विंड यूरोप द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है।
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि पवन ऊर्जा न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह भविष्य में ऊर्जा का स्थायी स्रोत भी बन सकती है।
क्या होती है पवन ऊर्जा?
पवन ऊर्जा हवा की गति से पैदा होती है। जब तेज हवा पवन टरबाइनों से टकराती है, तो टरबाइन घूमने लगती है। यह घूमना यांत्रिक ऊर्जा पैदा करता है, जिसे फिर बिजली में बदला जाता है।
यह प्रक्रिया पूरी तरह से प्रदूषण रहित होती है। इसके लिए किसी ईंधन की जरूरत नहीं होती, जिससे कार्बन उत्सर्जन शून्य हो जाता है। यही कारण है कि पवन ऊर्जा को स्वच्छ ऊर्जा स्रोत माना जाता है।
पवन ऊर्जा के लाभ
पवन ऊर्जा के कई पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ हैं। आइए कुछ प्रमुख फायदों पर नज़र डालते हैं:
- यह ऊर्जा पूरी तरह अक्षय और मुफ्त है।
- इसके कारण वातावरण में कोई प्रदूषण नहीं फैलता।
- यह ईंधन आधारित ऊर्जा पर निर्भरता को घटाती है।
- रोज़गार के अवसर उत्पन्न होते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- इसके ज़रिए ऊर्जा आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है।
इसके अलावा, पवन ऊर्जा से जुड़ी तकनीक लगातार विकसित हो रही है, जिससे इसकी लागत भी कम होती जा रही है।
भारत में पवन ऊर्जा की स्थिति
भारत पवन ऊर्जा उत्पादन में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। वर्तमान में भारत पवन ऊर्जा के मामले में चौथे स्थान पर है।
तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य इस क्षेत्र में आगे हैं। खास बात यह है कि सरकार की राष्ट्रीय पवन ऊर्जा नीति के तहत इस क्षेत्र को लगातार प्रोत्साहन मिल रहा है।
MNRE (नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय) द्वारा कई प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका उद्देश्य निजी कंपनियों और निवेशकों को पवन ऊर्जा परियोजनाओं की ओर आकर्षित करना है।
वैश्विक स्तर पर पवन ऊर्जा
पवन ऊर्जा आज वैश्विक ऊर्जा ढांचे का अहम हिस्सा बन चुकी है। चीन, अमेरिका, जर्मनी और स्पेन जैसे देश इसमें अग्रणी हैं। यूरोप के कई देश अपने कुल बिजली उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा पवन ऊर्जा से प्राप्त कर रहे हैं।
तकनीक में सुधार और ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ती प्राथमिकता के चलते पवन ऊर्जा की लागत में भी भारी गिरावट आई है। यही कारण है कि यह अब सस्ती और सुलभ हो चुकी है।
क्यों मनाया जाता है विश्व पवन दिवस?
इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि पवन ऊर्जा न सिर्फ एक पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन से लड़ने का एक शक्तिशाली उपाय भी है।
अभी भी कई देश और समुदाय ऐसे हैं जहाँ पवन ऊर्जा का पूर्ण उपयोग नहीं हो रहा है। ऐसे में इस दिन के ज़रिए लोगों को शिक्षा, सूचना और प्रेरणा दी जाती है ताकि वे इसका महत्व समझ सकें।

शैक्षणिक संस्थानों में गतिविधियाँ
विश्व पवन दिवस के अवसर पर कई विद्यालयों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- पोस्टर प्रतियोगिता
- वाद-विवाद प्रतियोगिता
- पवन टरबाइन मॉडल प्रतियोगिता
- पर्यावरणीय रैली
- जागरूकता सेमिनार
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य युवाओं में ग्रीन एनर्जी को लेकर रुचि जगाना और उन्हें इसके महत्व से अवगत कराना होता है।
भविष्य की दिशा
भविष्य में पवन ऊर्जा का दायरा और प्रभाव और भी बढ़ने वाला है। आने वाले वर्षों में पवन ऊर्जा को:
- स्मार्ट ग्रिड से जोड़ा जाएगा।
- बैटरी स्टोरेज तकनीक के साथ एकीकृत किया जाएगा।
- समुद्र आधारित पवन फार्म्स को अधिक प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके अलावा, सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग बढ़ाकर इसे और मजबूत बनाया जा सकता है।
पवन ऊर्जा से जुड़ी रोचक बातें
- एक आधुनिक पवन टरबाइन साल में लगभग 6 लाख यूनिट बिजली पैदा कर सकती है।
- एक पवन टरबाइन की ब्लेड लंबाई एक एयरप्लेन के विंग जितनी हो सकती है।
- दुनिया का सबसे बड़ा पवन फार्म चीन में स्थित है।
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