Shiv Tandav to Rudrashtakam: Sawan Somwar Puja Guide – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

श्रावण मास की पहली सोमवार (Sawan Somwar) को भगवान शिव की आराधना विशेष फलदायक मानी जाती है। इस दिन व्रत और शिव स्तोत्रों का पाठ भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शुद्धि प्रदान करता है। इस Sawan Somwar Puja Guide में हम आपको बताएंगे कि कैसे आप शिव की आराधना करें, किन श्लोकों और स्तुति का पाठ करें, और क्या नियम अपनाएं ताकि महादेव की कृपा प्राप्त हो सके।

Sawan Somwar का महत्व

श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस मास की प्रत्येक सोमवार को व्रत रखने और शिव स्तुति करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिव को बेलपत्र, जल, दूध, धतूरा, और भस्म अर्पित करने से विशेष फल प्राप्त होता है। यह Sawan Somwar Puja Guide व्रतधारियों को पूर्ण मार्गदर्शन देगा।

शिव वंदना का पाठ

शिव वंदना:

यस्यांकेच विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके  
भाला बालविधुर्गले  गरलं यस्योरसि व्यालराट्  
सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा  
शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्री शंकरः पातु माम्॥

यह स्तुति शिव के भव्य स्वरूप का वर्णन करती है—जटाओं में गंगा, गले में नाग, और मस्तक पर चंद्रमा धारण करने वाले देवों के देव महादेव की।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

नमः शिवाय” से मिलकर बना यह स्तोत्र पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है और शिव के मूलस्वरूप की स्तुति करता है।

पंचाक्षर स्तोत्र की मुख्य पंक्तियाँ:

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय  
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।  
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय  
तस्मै नकाराय नमः शिवाय॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ।  
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते।।

इस स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति को शिवलोक तक ले जाता है, ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है।

रुद्राष्टकम

भक्त तुलसीदास द्वारा रचित रुद्राष्टकम भगवान शिव के निराकार, निर्विकल्प और ब्रह्मस्वरूप का वर्णन करता है। यह स्तोत्र शिव की सभी रूपों में महिमा का बखान करता है:

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं  
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्॥
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये।  
ये पठन्ति नरा भक्तया तेषां शम्भु: प्रसीदति॥

श्रद्धा से पाठ करने पर यह स्तोत्र जीवन के सभी संकटों को दूर करता है और शिव की विशेष कृपा प्रदान करता है।

शिव तांडव स्तोत्र

रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र शिव के तांडव नृत्य और उनके विकराल, उग्र एवं उदात्त रूप का गान करता है। यह स्तोत्र उच्च स्तर की भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा को जगाने वाला है:

जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले  
गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्।
धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित
प्रचण्ड ताण्डवः शिवः॥

इस स्तोत्र को गा कर या पढ़ कर भक्त अपने भीतर शक्ति, साहस और संकल्प को जागृत कर सकता है।

व्रत और पूजन विधि: Sawan Somwar Puja Guide

  1. स्नान कर के सफेद वस्त्र पहनें।
  2. शिवलिंग पर जल, दूध, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।
  3. बेलपत्र, धतूरा, आक और सफेद फूल अर्पित करें।
  4. शिव चालीसा, रुद्राष्टकम और तांडव स्तोत्र का पाठ करें।
  5. एक समय फलाहार करें और रात्रि को शिव मंत्र जपें।

कुछ और महत्वपूर्ण स्तोत्र

  • शिव अष्टकम
  • मृत्युंजय मंत्र ( त्र्यंबकम् यजामहे…)
  • शिव गायत्री मंत्र

इन मंत्रों का भी उच्चारण करें जिससे मानसिक शांति, आरोग्य और समृद्धि प्राप्त हो।

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