Ramayana Staged in Karachi: Pakistani Drama Group Uses AI to Bring Hindu Epic to Life – Top15News: Latest India & World News, Live Updates

कराची [ पाकिस्तान]: पाकिस्तान के कराची में रामायण का मंचन कर पाकिस्तानी थिएटर ग्रुप ‘मौज’ ने इतिहास रच दिया, जिसने कराची आर्ट्स काउंसिल में हिंदू महाकाव्य रामायण को AI (Artificial Intelligence) का उपयोग कर जीवंत प्रस्तुत किया। इस साहसिक और अनोखे प्रयास की पूरे पाकिस्तान में प्रशंसा हो रही है, जिससे सीमा पार भी एक सकारात्मक लहर पैदा हुई है।

कराची में रामायण का भव्य मंचन, AI तकनीक से जीवंत किया महाकाव्य

सप्ताह के अंत में कराची आर्ट्स काउंसिल में हुए इस मंचन में ड्रामा ग्रुप ‘मौज’ ने AI का इस्तेमाल कर रामायण महाकाव्य के पात्रों, दृश्यों और युद्ध दृश्यों को अत्याधुनिक तकनीक के साथ मंच पर उतारा।
नाटक के निर्देशक योवेश्वर करेरा ने कहा: “मेरे लिए रामायण को मंच पर जीवंत करना एक विजुअल ट्रीटमेंट की तरह है। यह दिखाता है कि पाकिस्तानी समाज जितना माना जाता है, उससे कहीं अधिक सहिष्णु है। मुझे कभी नहीं लगा कि रामायण का मंचन करने से कोई मुझे नापसंद करेगा या खतरा होगा।”

आर्टिस्ट्स ने बटोरीं तारीफें

योवेश्वर ने बताया कि नाटक को दर्शकों और आलोचकों ने खूब सराहा। पाकिस्तानी कला और फिल्म समीक्षक उमैर अलावी ने कहा कि वे कहानी कहने की ईमानदारी और लाइव म्यूजिक, रंगीन वेशभूषा और डिजाइन से प्रभावित हुए। उन्होंने कहा: “रामायण एक ऐसी कहानी है जो दुनिया भर के लाखों लोगों से जुड़ी है। इसका प्रस्तुतीकरण पाकिस्तानी कला मंच पर भी इसकी महत्ता को दिखाता है।”

मुस्लिम नायिका ने निभाई मां सीता की भूमिका

नाटक की प्रोड्यूसर और मां सीता की भूमिका निभाने वाली राणा काज़मी ने कहा कि वह इस भूमिका को निभाकर गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा: “दर्शकों के लिए इस प्राचीन कहानी को जीवंत, शांतचित्त अनुभव में बदलना मेरे लिए गर्व की बात है।”

कराची में रामायण का मंचन एक साहसिक और सराहनीय कदम है, जो पाकिस्तानी समाज की सहिष्णुता और कला के प्रति प्रेम को दर्शाता है। यह मंचन पाकिस्तान में हिंदू पौराणिक कथाओं को समझने और भारतीय उपमहाद्वीप की साझा सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने का प्रयास है।

पाकिस्तान में पहले भी हो चुका है रामायण का मंचन

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में रामायण या रामलीला का मंचन हुआ है। पहले भी पाकिस्तानी कलाकार और हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय ने रामायण और रामलीला के मंचन कर धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का प्रयास किया है।

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